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पवन बोले- IAS पर निर्भर है क्या करें, मैं तो जेब में रखता था इस्तीफा

locationभोपालPublished: Jan 18, 2020 04:02:56 pm

Submitted by:

KRISHNAKANT SHUKLA

आईएएस सर्विस मीट-2020 : आईएएस अफसरों का सवाल- सरकारें अफसरों से कुछ और चाहती हैं तो क्या किया जाए?

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भोपाल. ख्यात लेखक व पूर्व राजनयिक पवन वर्मा ने शुक्रवार को आईएएस सर्विस मीट में अफसरों को बेहतर काम के टिप्स दिए। वर्मा ने कहा कि पॉवर ऑफ ओरिजनल को पहचानो। चाणक्य असली अर्थशास्त्र के जनक हैं।

विश्व कुटुम्बम हमारा असली विचार है। आज देखिए कि मोबाइल के जरिए आप ग्लोबल हो गए हो, वायरलेस तरीके से दुनिया से कनेक्ट हो। अब दुनिया बदल रही है, साइबर टेरेरिज्म आ गया है, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी का दौर है। नए आईएएस की इसमें बहुत बड़ी भूमिका है। वर्मा ने कहा कि दुनिया को देखने का लोगों का अपना नजरिया है। आप किसी के बारे में जानना चाहते हो तो सबसे पहले उसकी औकात जानना चाहते हो, आप पूछते हो पिता कौन है, कहां पढ़े हो, क्या करते हो, फिर इस ओर अधिक जागरूक हो तो जाति क्या है पूछते हो। वर्मा से आईएएस अफसरों ने सवाल भी किए।

 

पूर्व आईएएस सीएस चड्ढा : सरकारें अफसरों से कुछ और चाहती हैं, तो क्या किया जाए?
वर्मा : यह तो आईएएस अफसर पर निर्भर है। मैं जब नौकरी में था, तो टोपी थोड़ी तिरछी और जेब में इस्तीफा रखता था। ये और बात है कि उसकी जरूरत नहीं पड़ी और मेरी सीआर अच्छी होती गई।

पल्लवी जैन गोविल : ब्यूरोक्रेसी व्यवस्था को चेंज कैसे करें?
वर्मा : आपमें सही बात पर कायम रहने का साहस होना चाहिए। रीढ़ आपको ही रखना होगी। आमलेट खाना है, तो अंडा फोडऩा पड़ेगा।

 

हरिरंजन राव : पढऩे के लिए समय कैसे निकालें?
वर्मा : 24 घंटे का ही समय होता है, उसे कोई भी 28 घंटे नहीं कर सकता। इसी समय में बेहतर प्रबंधन से सारे काम हो सकते हैं।

राजीव शर्मा : शंकराचार्य के सनातन धर्म व गांधी के सिद्धांत उनके मूल स्थानों से ही क्यों लुप्त हो रहे हैं?
वर्मा : सनातन धर्म अपने दार्शनिक स्थान से लुप्त नहीं हुआ है। यदि हुआ है, तो यह दु:ख की बात है। जहां तक बात गांधी की है, तो गांधी की 150वीं जयंती वो लोग भी मना रहे हैं, जो उन्हें सबसे कम मानते हैं। खैर, वो छोडि़ए।

 

मनोहर दुबे : शंकराचार्य ने कहा कि जाति नहीं होना चाहिए। इन्हें किताबों से भी हटा दें तो क्या असर होगा?
वर्मा : इसका जवाब कोई नहीं दे पाएगा, लेकिन पहले जो संकीर्णता थी वो कम हुई है। इसके अलावा आरक्षण भी विवादित मुद्दा है, जबकि यह संविधान के बाद आया। इस पर कई भ्रांतियां हैं।

यशवर्धन : सीएए और एनआरसी मुद्दे का इतना नकारात्मक असर क्यों हो रहा है? क्या यह देश के लिए ठीक है?
वर्मा : यह बेहद निंदनीय है। इसका रिव्यू होना चाहिए।

 

सोचें प्रदेश को कहां ले जाना है : सीएम

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि आईएएस अफसरों के पास लोग न्याय के लिए आते हैं। संविधान में दी गई आजादी और समानता की सीमा हो सकती है। न्याय की सीमा नहीं हो सकती, इसलिए न्याय देना प्रशासनिक अफसरों का काम है। मुख्यमंत्री ने यह बात शुक्रवार को आईएएस सर्विस मीट में कही।

सीएम ने कहा कि आईएएस को नवाचार के लिए न्यू आइडिया ऑफ चेंज पुरस्कार दिया जाएगा। इसके लिए पूर्व मुख्य सचिवों की एक ज्यूरी बनाई जाएगी, जो सर्वोत्कृष्ट आइडिया चुनेगी। आईएएस अफसरों के पास जो कौशल है, वह सामान्यत: राजनीतिक नेतृत्व के पास नहीं रहता। सरकारें पांच साल में बदलती हैं। प्रशासनिक तंत्र में बदलाव होता है, लेकिन आईएएस अफसरों का नॉलेज, स्किल और कला नहीं बदलती। हर सरकार की अच्छाई और कमजोरी होती हैं। आईएएस की नई पीढ़ी को देखना होगा कि प्रदेश को किस दिशा में ले जाना है।

 

विविधता ही प्रदेश की ताकत

अ फसरों से मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में मध्यप्रदेश ही ऐसा प्रदेश है, जो विविधताओं से सम्पन्न है और पूरे विश्व में भारत ही ऐसा देश है, जो विविधताओं से पूर्ण है। इस विविधता को सकारात्मक ऊर्जा में बदलना होगा। उन्होंने कहा कि विविधता में भारत की बराबरी करने वाला देश सिर्फ सोवियत संघ था। आज वह अस्तित्व में नहीं है, क्योंकि उसमें भारत जैसी सोच-समझ और सहिष्णुता की संस्कृति नहीं थी।

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