scriptमास्टर प्लान में जमीन ग्रीन-बेल्ट में गई, तो सरकार देगी ग्रीन एफएआर | If the land went to the green belt in the master plan, the government | Patrika News

मास्टर प्लान में जमीन ग्रीन-बेल्ट में गई, तो सरकार देगी ग्रीन एफएआर

locationभोपालPublished: Oct 22, 2019 03:52:00 pm

– व्यक्ति गीन एफएआर को बेच सकेगा
– दूसरी जगह भी इस्तेमाल हो सकेगा एफएआर
– इसी साल के अंत से लागू होगा फार्मूला
 

पर्यटकों के लिए कूनो में प्रकृति ने बिछाई ग्रीन कारपेट

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भोपाल। कमलनाथ सरकार ने रियल एस्टेट सेक्टर को बूम देने के लिए एक और बड़ा कदम उठाना तय किया है। इसके तहत सरकार अब कॉलोनाइजर और आम आदमी को ग्रीन एफएआर देगी। इसमें यदि किसी व्यक्ति या कॉलोनाइजर की जमीन मास्टर प्लान आने पर ग्रीन बेल्ट में आ जाती है, तो सरकार उसे ग्रीन एफएआर देगी। इस फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) को व्यक्ति किसी दूसरी जगह इस्तेमाल कर सकेगा या किसी दूसरे को बेचकर जमीन की कीमत वसूल कर सकेगा। इसी साल भोपाल के मास्टर प्लान से इसका फार्मूला लागू किया जाएगा।

 

राज्य सरकार प्रदेश के सभी शहरों में ग्रीन बेल्ट की जमीन पर लगी निर्माण की रोक की भरपाई के लिए सरकार निर्माण करने का कानूनी अधिकार देने जा रही है। अभी तक यह होता है कि मास्टर प्लान आता है, तो अनेक लोगों की जमीन ग्रीन बेल्ट में चली जाती है। एेसी जमीन को केवल खेती, पार्क या एेसे ही दूसरे काम के उपयोग लायक ही रह जाती है। उस जमीन पर निर्माण कार्य नहीं हो सकता। इसलिए जमीन की कीमत गिरने से संबंधित जमीन मालिक को भारी नुकसान होता है। अब एेसे नुकसान की भरपाई ग्रीन एफएआर को बेचकर हो सकेगी। खास बात ये कि सरकार ने इसके लिए नई ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स (टीडीआर) नीति के तहत एफएआर दूसरी जगह इस्तेमाल करने या बेचने का विकल्प दे रही है। इसमें एफएआर का बकायदा सर्टिफिकेट दिया जाएगा।


भोपाल में सबसे पहले-
भोपाल में नवंबर-दिसंबर में ही मास्टर प्लान लाने का दावा किया जा रहा है, इस कारण सबसे पहले इसका क्रियान्वयन भोपाल में ही हो सकता है। इसमें बड़े तालाब के आसपास मास्टर प्लान में ग्रीन बेल्ट घोषित किया गया है, लेकिन लोग अपनी जमीन देने के लिए तैयार नहीं है। टीडीआर की वजह से उन्हें मुआवजे की भरपाई संभव है।


मुंबई-बैंग्लोर में है पहले से नीति-

इस एफएआर की नीति पहले से बैंगलोर, मुंबई सहित कई शहरों में लागू है। इसी पैटर्न पर मध्यप्रदेश की भी टीडीआर पॉलिसी तैयार की गई है, जिसके तहत इसे लागू किया जाएगा। नई रियल एस्टेट पॉलिसी में भी इसके लिए प्रावधान किए गए हैं।

फायदा सबका-
इस अतिरिक्त एफएआर से सबका फायदा होगा। सरकारी प्रोजेक्ट के लिए भी इस नियम को अपनाया जा सकेगा। इसके लिए सरकार को जमीन मालिक को मुआवजा देने की जरूरत नहीं रहेगी। इससे सरकारी खजाने पर बोझ नहीं बढ़ेगा। वही आम आदमी के लिए उसकी जमीन ग्रीन-बेल्ट में उलझने पर होने वाले नुकसान की भरपाई हो जाएगी। कॉलोनाइजर के लिए भी यह फायदेमंद रहेगा, क्योंकि ग्रीन-बेल्ट में जमीन आने पर वह उस अतिरिक्त एफएआर को एेसी जगह इस्तेमाल कर सकेगा, जहां उसे एफएआर नहीं मिल पा रहा है। इस नियम से ग्रीन-बेल्ट के विवाद खत्म होंगे।


यूं लागू होगा नियम-

एक टीडीआर की अथॉरिटी होगी। इसके अधिकारी को मास्टर प्लान और जरूरत के हिसाब से सेंडिंग और रिसीविंग जोन घोषित करेगा। जहां लोगों की सुविधाओं वाले प्रोजेक्ट हैं, वहां सेंडिंग जोन घोषित कर लोगों को निर्माण अधिकार का सर्टिफिकेट में एफएआर दिया जाएगा। फिर इसे बेचने के लिए सबसे ज्यादा उपयोगी जमीन को रिसीविंग जोन बनाया जाएगा। यहां अथॅारिटी के जरिए एफएआर की खरीद-फरोख्त होगी। जितना भी निर्माण अधिकार मिला है, उसे कलेक्टर गाइडलाइन से ज्यादा कीमत पर बेचा जाएगा। प्रोजेक्ट जल्दी शुरू करने के लिए सरकार भी लोगों से खुद यह सर्टिफिकेट खरीद लेगी और फिर इसे बिल्डरों को नीलामी के जरिए बेचा जाएगा।

 

ग्रीन बेल्ट क्या है

मास्टर प्लान में ग्रीन बेल्ट के तहत नगर वन, बॉटनीकल गार्डन, जू, स्टेडियम आदि के लिए जमीन आरक्षित की जाती है। साथ ही तालाब, नदी और नाले के किनारे से 10 से 50 मीटर की दूरी तक जमीन खाली छोड़ी जाती है।

क्या है टीडीआर – यदि मास्टर प्लान आपकी जमीन ग्रीन बेल्ट या किसी सरकारी प्रोजेक्ट में आ जाती है तो आप इसका उपयोग नहीं कर पाते हैं। लिहाजा, सरकार आपको अतिरिक्त निर्माण की अनुमति देती है, जिसे आप अपनी जमीन की बजाय दूसरी जगह उपयोग कर सकते हैं। या फिर इसे दूसरे बिल्डर आदि को बेच भी सकते है।

ये दिक्कतें भी आ सकती है-
– अभी मनमाने निर्माण को कंट्रोल करने के लिए निश्चित सीमा तक ही एफएआर देने के नियम है। इस अतिरिक्त एफएआर से मनमाने निर्माण का दायरा बढेगा।

– अतिरिक्त निर्माण होने से संबंधित इलाके की सुविधाआें पर असर पड़ेगा। वहां निर्माण व आबादी का बोझ बढ़ेगा, तो सुविधा सिस्टम कमजोर हो सकता है।
– ट्रैफिक, पार्किंग, गोडाउन, सड़क चौड़ीकरण सहित अन्य अधोसंरचना पर असर पड़ेगा। प्रमुख इलाकों में गार्डन, खुला एरिया, मनोरंजन केंद्र-पार्क आदि जगहों में कमी आएगी।

 

वर्तमान में ग्रीन बेल्ट में जमीन आने से जमीन मालिक परेशान होते हैं। रियल एस्टेट पॉलिसी में ग्रीन एफएआर देने का प्रावधान रखा गया है। इससे जमीन मालिक चाहे तो इसका खुद दूसरी जगह उपयोग कर सकेगा, अथवा इसे बेचकर अपनी जमीन की कीमत वसूल सकेगा। इसके जल्द ही नियम बनाए जाएंगे।

– संजय दुबे, प्रमुख सचिव, नगरीय विकास एवं आवास

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