ईमानदारी से किया आंकलन तो नहीं मिलेगा ओडीएफ का दर्जा
भोपाल. क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (क्यूसीआई) की टीम शहर का दौरा कर चुकी है। शहर को खुले में शौच से मुक्त (आेडीएफ) का तमगा मिलेगा या नहीं यह एक-दो दिन में तय होगा।
परिणाम आने से पहले पत्रिका ने एक्सपर्ट के साथ शुक्रवार को उन स्थानों का निरीक्षण किया जहां पर क्यूसीआई की टीम पहुंची थी। मौके पर मिले हालात देखकर विशेषज्ञों ने कहा कि जो इंतजाम क्यूसीआई की टीम ने देखे हैं, यदि उनका ईमानदारी से आंकलन किया गया तो शहर को ओडीएफ का तमगा मिलना नामुमकिन है। पेश है लाइव रिपोर्ट…
खुले में छोड़ रहे गंदगी
कोलार रेस्ट हाउस के पास गौतम बुद्ध विहार के सामने सड़क किनारे मॉड्यूलर टॉयलेट रखकर नगर निगम लोगों को खुले में शौच न करने पाठ पढ़ा रहा है, लेकिन खुद निगम के अधिकारियों ने यहां रखे मॉड्यूलर शौचालयों से निकलने वाले मल को पास ही खुले में छोड़ा जा रहा है। यही नहीं, यहां रखी गई पानी की टंकी का टॉयलेट के नलों से जोड़ा ही नहीं गया है।
मानसरोवर कॉम्पलेक्स
मानसरोवर कॉम्पलेक्स के पीछे नाले किनारे नगर निगम की ओर से आधा दर्जन मॉड्यूलर टॉयलेट रखे गए हैं, लेकिन न तो यहां पानी के लिए टंकी रखी गई है और न उजाले की ही कोई व्यवस्था है। शौचालयों से निकलने वाले मल के लिए नाले किनारे करीब डेढ़-दो फीट का गड्ढा खोदा गया है। आने वाले दिनों में मल नाले में ही मिलेगा।
मोती नगर
मोती नगर में रेल पटरी किनारे दो स्थानों पर आधा-आधा दर्जन मॉड्यूलर टॉयलेट रखवाए गए हैं। यहां जो गड्ढे बनाए गए हैं वो महज दिखावे के लिए हैं। यहां जमीन खोदकर सोख्ता बनाने के बजाय जिम्मेदारों ने जमीन पर तीन ईंट की दीवार बनाकर उस पर पटिए रखकर गड्ढे बनाए हैं। एेसे में गंदा पानी इनके आस-पास जमा हो रहा है।
एेसे हुआ था सर्वे
मानसरोवर कॉम्पलेक्स के पीछे बसी झुग्गियों में रहने वाले महेश दास ने बताया कि गुरुवार को नगर निगम अधिकारी और अन्य लोग यहां रखे गए शौचालयों का निरीक्षण करने आए थे। उससे पहले नगर निगम के लोग आए थे, उन्होंने सबसे से बोला था कि अभी टीम आने वाली है। पूछताछ करेंगे तो बोलना कि हम खुले में शौच नहीं करते हैं।
इनका कहना है
खुले में शौच करना तो गलत है ही, लेकिन नगर निगम मॉड्यूलर टॉयलेट्स से निकलने वाली गंदगी को या तो खुले में इक_ा कर रहा है या फिर सीधे नाले में छोड़ रहा है, यह तो अपराध है। वाटर एक्ट 1974 के मुताबिक किसी भी वाटर बॉडीज चाहे वो नाला ही क्यों ना हो, उसमें गंदगी नहीं छोड़ी जा सकती। अगर क्यूसीआई की टीम ईमानदारी से आंकलन कर अंक दे तो शहर को यह दर्जा किसी हालत में नहीं मिलेगा।
सुभाष सी. पांडे, पर्यावरणविद
सरपंच-सचिव की हड़ताल ने बिगाड़ा प्रशासन का समीकरण
भोपाल. ग्राम पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए किए जा रहे जिला पंचायत के कार्यों की समीक्षा शुक्रवार को कलेक्टर निशांत वरवड़े ने की। कलेक्टर ने बैठक में मौजूद अधिकारियों से पूछा कि क्या 31 मार्च तक सभी गांवों को ओडीएफ घोषित कर दिया जाएगा। इस सवाल पर अधिकारियों का दर्द उभर कर सामने आ गया। पहली बार अधिकारियों ने माना की स्थिति ठीक नहीं है। पंचायत-सचिवों की हड़ताल से लक्ष्य दूर हो रहा है। यही नहीं आधा दर्जन से अधिक पंचायतों में शौचालय निर्माण करना आज भी मुश्किल बना हुआ हुआ है।