scriptहिंदी बोलते हैं तो लगता है संगीत गूंज रहा | If you speak Hindi, the music seems to resonate | Patrika News

हिंदी बोलते हैं तो लगता है संगीत गूंज रहा

locationभोपालPublished: Nov 11, 2019 10:56:34 am

Submitted by:

hitesh sharma

विश्व रंग में विश्वभर के साहित्यकारों ने हिंदी भाषा की स्थिति पर किया विमर्श

हिंदी बोलते हैं तो लगता है संगीत गूंज रहा

हिंदी बोलते हैं तो लगता है संगीत गूंज रहा

भोपाल। साहित्य एवं कला महोत्सव के अंतिम दिन मिंटो हॉल के प्रेमचंद सभागार में विश्व में हिंदी – विदेशी भाषा के रूप में हिन्दी शिक्षण की वर्तमान स्थिति विषय पर सत्र का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रवासी हिंदी पुस्तक का अतिथियों ने विमोचन किया। सत्र में वक्ता के तौर पर डॉ. लिउडमिला (मास्को), डॉ. तत्याना ओरान्सकया (जर्मनी), डॉ. उपुल रंजीत (श्रीलंका), डॉ. श्रपसिमे नेर्सिस्यान(अर्मेनिया), डॉ. दरीगा कोकोएवा(कजाकिस्तान) उपस्थित रहे। सत्र की अध्यक्षता इजरायल के साहित्यकार डॉ. गेनादी श्लोम्पोर और संचालन प्रो. वीके वर्मा ने किया।

इस मौके पर डॉ. दरीगा ने कहा कि भारत के लगभग ढाई हजार विद्यार्थी कजाकिस्तान में पढ़ाई करते हैं और कजाकिस्तान से हर वर्ष 20 विद्यार्थी भारत में हिंदी और भारतीय भाषाओं के अध्ययन के लिए आते हैं। जिन्हें छात्रवृत्ति भारतीय संस्कृति परिषद प्रदान की जाती है। कजाकिस्तान में हिंदी दिवस और अन्य उत्सव धूमधाम से मनाएं जाते हैं। मैंने दो पुस्तकें हिंदू धर्म का इतिहास तथा भारतीय भाषा का परिचय हाल ही में लिखी हैं। हम कजाकिस्तान में फिल्मों के माध्यम से भाषा और संस्कृति को सीख रहे हैं। हिंदी भारत की नहीं बल्कि दुनिया की भाषा है।

बॉलीवुड की जो भाषा है, वो छात्रों के लिए बड़ी लाभदायक साबित होती है

कवित्री एवं अनुवादक ऋपसिमे ने कहा कि इस तरह के आयोजन दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत करते हैं। अर्मेनिया में पहली बार 2003 में मानविकी संकाय की स्थापना हुई लेकिन अफसोस है कि अब वह बंद हो चुका है। जिससे मैं अध्यापन का छोड़कर अनुवादक का कार्य कर रही हूं। साहित्यकार और प्राध्यापक डॉ. रंजीत ने कहा कि श्रीलंका के पांच विश्वविद्यालयों में हिंदी भाषा के रुप में पढ़ाई कराई जाती है। हिंदी का विस्तार वहां पर रंगकर्म, सिनेमा, संगीत और साहित्य के माध्यम से हुआ है।

डॉ. गेनादी ने कहा कि हिंदी बोलते हैं तो ऐसा लगता है जैसे संगीत गूंज रहा हो। हमारे विभाग में स्नातक की उपाधि तीन साल के बाद मिल जाती है। लेकिन भाषा का अध्ययन दो साल तक अनिवार्य है। इन दो सालों के अंदर छात्र इतनी हिंदी सीख लेते हैं कि यदि स्वयं आगे बढऩा चाहे तो उनके पास एक अच्छा आधार होता है।

तीसरे साल में हिन्दू धर्म नामक कोर्स की भी बड़ी मांग होती है। यह हिंदू धर्म को लेकर टीवी, समाचार और अन्य कार्यक्रमों पर आधारित है। इसी साल थर्ड ईयर के पहले सत्र में छात्रों ने फिल्म उद्योग का अध्ययन करने में हाथ आजमाना चाहा। बॉलीवुड की जो भाषा है, वो छात्रों के लिए बड़ी लाभदायक साबित होती है। फिल्में एक दर्पण के तरह समाज के जीवन और आधुनिक भाषा की स्थिति दर्शाती है।

ट्रेंडिंग वीडियो