दक्षिण एशिया के प्रमुख व्यावसायिक फ़िल्म मार्केट के रूप में यह आयोजन कलात्मक और व्यापारिक सहयोग के अवसर देश और विदेश के फ़िल्म समुदाय को उपलब्ध कराता है. नवम्बर की 20 से 24 तारीख़ों के पाँच दिनों में फ़िल्म स्क्रीनिंग,फेस्टिवल और अंतर्राष्ट्रीय रिलीज़, वितरण, अधिकार, व्यावसायिक अनुबंध जैसी सुविधाओं और नेटवर्किंग के लिए फ़िल्म बाज़ार एक महत्त्वपूर्ण अवसर उपलब्ध कराता है. इस साल भी को -प्रोडक्शन लैब, वर्क-इन-प्रोग्रेस लैब, व्यूइंग रूम, इंडस्ट्री स्क्रीनिंग, प्रोड्यूसर लैब, नॉलेज सीरीज़ के ज़रिये डिजिटल, वेब, अंतर्राष्ट्रीय स्क्रीनिंग, सिनेमा बनाने में व्यावसायिक मदद, आर्थिक करार, पिचिंग जैसी कई गतिविधियाँ गोवा के मैरियट होटल स्थित आयोजन स्थल पर चल रही हैं. कुल 35 भाषाओं की 217 फ़िल्में इस बार के व्यूइंग रूम का हिस्सा हैं. नेटवर्किंग के लिए हर शाम होने वाली को-होस्टिंग पार्टी ‘फिल्म बाज़ार’ का अलग आकर्षण होती है. मक़सद अलग-अलग तरीक़ों से सिनेमा के विचार और कंटेंट के साथ नए सिनेमा को प्रोत्साहित करना है. वेब सीरीज़, डिजिटल प्लैटफॉर्म, मोबाइल एप जैसे नए आधारों के निर्माण और वितरण के कई दिग्गजों की उपस्थिति में बन चुकी या रफ कट स्टेज में आ चुकी अथवा सरकारी मदद से बनी फ़िल्मों का बाज़ार बनाना इस आयोजन का मक़सद है.
सिनेमा के विचार से इतर उसके आर्थिक स्वरुप को गढ़ना बहुत मुश्किल काम है. साथ ही यह सिनेमा निर्माण का महत्त्वपूर्ण अंग है क्योंकि कला के रूप में सिनेमा में धन का लगना और निर्माण के पश्चात उसकी वसूली होना अहम् है. सत्तर के दशक में जब पैरेलल सिनेमा की शुरुआत हुई थी तो राष्ट्रीय एजेंसी के रूप में फ़िल्मकारों को धन की उपलब्धता व रिलीज़ की सुनिश्चितता ने भारत के सिनेमा को गढ़ने में निर्णायक भूमिका निभाई है. बदलते वैश्विक समय में सिनेमा की अंतर्राष्ट्रीय उपस्थिति का यह प्रयास पिछले कई वर्षों से जारी है. इस वर्ष से ही मूवीबफ़ एप्रिसिएशन अवार्ड की भी शुरुआत हुई है. पणजी की सड़कों पर आने वाले समय का सिनेमा फ़िल्मकारों के साथ टहल रहा है. एक ही जगह पर सिनेमा देखने और बाज़ार बनाने का यह दिलचस्प अवसर गोवा आने वाला कोई सिनेमाप्रेमी खोना नहीं चाहता।