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जानलेवा साबित हो सकता 20 लीटर वाले जार का पानी…

locationभोपालPublished: Feb 08, 2019 09:04:20 am

असुरक्षित तरीके से कर रहे पानी की सप्लाई, गंदे तरीके से भरते बोतलें, नहर-नाले के पास से भी बहते पानी में से भर लेते 20 लीटर की बोतलें…

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जानलेवा साबित हो सकता 20 लीटर वाले जार का पानी…

भोपाल. शहर में असुरक्षित ढंग से भूजल बेचकर जनस्वास्थ्य के साथ खुलकर खिलवाड़ किया जा रहा है, लेकिन जिम्मेदारों को इसकी फिक्र नहीं है। पानी बेचने वाले प्लांट की गुणवत्ता शायद ही कभी चेक की जाती हो। कोलार इलाके में तो और भी बुरा हाल है, जहां अभी तक एक चौथाई आबादी को भी नगर निगम पेयजल उपलब्ध नहीं करवा पाया है।
यहां लोग सस्ता होने के कारण असुरक्षित पानी खरीद रहे हैं। रहवासी क्षेत्रों में पानी के प्लांट और अन्य कमर्शियल गतिविधियों पर भी नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी कोई रोक नहीं लगा सके हैं। कोलार के डीके (दानिश कुंज) 4, प्लॉट नम्बर 105 रहवासी इलाके में एबी बेवरीज नाम से संचालित किए जा रहे पानी के प्लांट पर पत्रिका संवाददाता ने केयरटेकर यशवंत सिंह पटेल से ग्राहक बनकर बात की।
प्लांट चलाने वाले केयरटेकर से सीधी बात:
रिपोर्टर: थोक में पानी सप्लाई का काम कराना चाहते हैं, कितने रुपए में बोतल (20 लीटर वाली) मिल जाएगी? वैसे तो एक बोतल 30-40 रुपए में मिलती है।
यशवंत: कम से कम सौ बोतल लेनी होंगी तो एक बोतल 7 रुपए में भरी जाएगी। इससे कम में परता नहीं पड़ेगा।
रिपोर्टर: और ये ठंडे पानी वाला कैम्फर कितने रुपए में मिलेगा?
यशवंत: ठंडे पानी वाला कैम्फर कम से कम 12 रुपए में भराएगा।

रिपोर्टर: आपके प्लांट की क्षमता कितनी है?
यशवंत: 2500 लीटर की। रोजाना ढाई हजार लीटर पानी को तैयार करने की क्षमता है। (इसके बाद वह प्लांट दिखाता है कि किस तरह बोरिंग का पानी आता है और उसे किस तरह टीडीएस सेट कर पीने लायक बनाते हैं।)
रिपोर्टर: ये अपने आप सेट होता रहता होगा?
यशवंत: नहीं, पानी का टीडीएस मेंटेन करना पड़ता है। यहां जमीन के पानी का टीडीएस 600 से अधिक है, जिसे 60-70 के बीच सेट करना पड़ता है।
रिपोर्टर: चौबीस घंटों में कितना पानी तैयार कर लेते हो?
यशवंत: हमारी मशीनें चौबीस घंटे चलती हैं, इससे हम सात हजार लीटर पानी रोजाना तैयार कर लेते हैं।

रिपोर्टर: बाकी का पानी कहां जाता है?
यशवंत: नाली में बहा देते हैं। जितना पानी साफ करते हैं, उतना ही पानी नाली में बहा देते हैं। जो प्लांट वाले कम पानी बहाते हैं, उनके पानी की क्वालिटी घट जाती है।
गंदे तरीके से भरते जार
पानी के बीस लीटर वाले जार को सफाई के नाम पर सस्ते डिटिर्जेंट से धोया जाता है। सैकड़ों बोतलों को धोने से डिटिर्जेंट वाला पानी इतना काला हो जाता है, जिससे लगता हो कि टायर धोए गए हों। इसी पानी से जल्दी-जल्दी बोतलें धोई जाती हैं और एक बार के बाद दूसरी बार ठीक से नहीं धोते, जिससे पानी में रसायन और गंदगी रह जाती है।
क्षमता ढाई हजार की, बेच रहे सात हजार लीटर
इस प्लांट की क्षमता ढाई हजार लीटर जलशोधन ही है, लेकिन पानी की डिमांड अधिक होने के कारण लगभग तीन गुना अधिक पानी बेचा जा रहा है। अंदरखाने के सूत्रों पर यकीन करें तो कई बार पानी बिना शोधन प्रक्रिया के सीधा बोतलों में भरकर सप्लाई कर दिया जाता है। समारोह और आयोजनों में इस तरह पानी की खपत अधिक हो जाती है।
नाली में बहा देते वेस्ट वाटर
पानी बेचने वाली यूनिट्स जलशोधन के बाद निकले वेस्ट वाटर का ठीक से ट्रीटमेंट नहीं करते। यदि ठीक तरीके से इस वेस्ट वाटर को ट्रीट किया जाए तो भूजल स्तर बढ़े। साधारण विधि में छनन, सेडीमेंटेशन के जरिए पानी शुद्ध होकर भूगर्भ में चला जाता है। पांच मीटर गरहे टैंक में बालू, गिट्टी, कोयला आदि के लेयर बिछाकर पानी छोड़ा जाना चाहिए, जिससे यह साफ होकर भूगर्भ में पहुंच सके। अधिकांश प्लांट वेस्ट वाटर को नालियों में बहा देते हैं जिससे भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है।
बोतलबंद पानी की जांच की जाती है या उन प्लांट के पानी की भी जांच की जाती है, जो एफडीए में रजिस्टर्ड हैं। एबी बेवरीज के बारे में पता कर रहा हूं।
– ब्रजेश सक्सेना, ज्वाइंट कंट्रोलर, एफडीए
मैं चेक कर रही हूं कि यह फर्म हमारे यहां रजिस्टर्ड है या नहीं। सिस्टम हैंग हो रहा है। यह भी एकदम नहीं बताया जा सकता कि पानी की कितनी यूनिट्स शहर में रजिस्टर्ड हैं।
– श्वेता पवार, ज्वाइंट कलेक्टर
कारखाने चले रहे रहवासी क्षेत्र में
दानिश कुंज-4, कोलार क्षेत्र के रहवासी क्षेत्र में अवैध कारखाने और कमर्शियल गतिविधियां संचालित हो रही हैं। स्थानीय रहवासी वीरेन्द्रनाथ श्रीवास्तव समेत कई रहवासी इससे परेशान हैं। इन गतिविधियों की कलेक्टर जनसुनवाई में शिकायत होने के बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। स्थानीय रहवासी वीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव ने नगर निगम आयुक्त को 11 जनवरी 2019 को इस आशय का आवेदन दिया था कि उनकी आवासीय कालोनी में प्लॉट नम्बर 105 पर मिनरल वाटर प्लांट, प्लॉट नम्बर 147 पर अवैध गोडाउन तथा प्लॉट नम्बर 81 पर लोहे का कारखाना स्थापित किया गया है। इन यूनिट्स के कारण रहवासियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इन कमर्शियल यूनिट्स पर रात-दिन भारी वाहनों की आवाजाही लगी रहती है, जिससे कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना घटित हो सकती है।
शिकायत में यह भी कहा गया है कि रात के समय इन कारखानों में काम करने वाले लोग और अन्य असामाजिक तत्व देर रात पर शराब पीकर हंगामा करते हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि वे नवम्बर 2018 से लगातार शिकायत करते आ रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। वीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव ने 14 जनवरी 2019 को कलेक्टर जनसुनवाई में भी इस आशय से संबंधित शिकायत संख्या 7645144 दर्ज कराई, लेकिन कोई कारवाई नहीं की गई। नगर निगम, जिला प्रशासन व संबंधित विभागों की चुप्पी से रहवासी परेशान हैं और किसी दिन रहवासियों और कारोबारियों के लोगों में टकराव की स्थिति बन सकती है।

इस बारे में रहवासियों की शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसपर कार्रवाई करने के लिए बिल्डिंग परमीशन शाखा को भेजा गया है।
– शैलेश चौहान, जेडओ, जोन-18, नगर निगम
दानिश कुंज के रहवासी इलाके में पानी बेचने के लिए कराई गई बोरिंग की अनुमति जल संसाधन विभाग से नहीं ली गई है, इसके लिए कार्रवाई की जाएगी।
– आरके जैन, एसडीओ, जल संसाधन विभाग
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