इस मामले की शिकायत 17 जनवरी 2019 को एक्टिविस्ट राशिद नूर खान ने जिला खनिज अधिकारी राजेन्द्र सिंह परमार को दी थी। 22 जनवरी को भी खनन की सूचना जिला खनिज अधिकारी को दी गई थी। सोमवार को 12 दिन बीतने के बाद भी मामला कलेक्टर तक नहीं पहुंचा और न ही कोई डिटेल्स बताई जा रही हैं। एक्टिविस्ट का कहना है कि जिला अधिकारी राजेन्द्र सिंह परमार को यह भी पता नहीं था कि यह खनन कार्य उनके क्षेत्र में हो रहा है। सूचना देने पर मुझे यह कहा था कि बगरोदा शायद रायसेन जिले में है। दूसरे दिन जिला खनिज अधिकारी राजेन्द्र सिंह परमार ने यह पता करने पर कि बगरोदा उनके ही जिले में आता है, विभाग की टीम भेजकर काम बंद कराने का दावा किया। खनिज क्रॅशर को जब्त नहीं किया गया, जबकि नियमानुसार मौके पर अवैध क्रॅशर पाए जाने पर जब्त करने का प्रावधान है।
बिना रॉयल्टी और जीएसटी के बिना खनिज का प्रयोग किया जा रहा है। कंपनी प्रतिनिधि के पास जमीन प्लेन करने की अनुमति थी, जबकि उसने कीमती पत्थर का अवैध खनन करके अपने उपयोग में गलत तरीके से लिया है और सरकार को राजस्व की भारी क्षति पहुंचाई है।
इस पत्थर को बनने में हजारों वर्ष लगते हैं, ऐसी कीमती धरोहरें नष्ट की जा रही हैं। हाल ही में वरिष्ठ पुरातत्वविद् डॉ. नारायण व्यास ने बगरोदा की पहाडिय़ों से लाखों वर्ष पुराने बेतवा-नर्मदा संस्कृति के पत्थर व पाषाण हथियार खोजे थे।
ये मिला हाल
भोपाल के बगरोदा में एक ट्रैक्टर कंपनी 155 एकड़ एरिया में फैक्टरी स्थापित कर रही है। स्थानीय लोगों ने बताया कि पिछले कई दिनों से कंपनी के दो दर्जन से अधिक डंपर, ट्रक, पोकलेन मशीनें और स्टोन क्रॅशर दिन-रात काम पर लगे हैं। सैकड़ों मजदूर भी यहां काम कर रहे हैं।
इस पत्थर को बनने में हजारों वर्ष लगते हैं, ऐसी कीमती धरोहरें नष्ट की जा रही हैं। हाल ही में वरिष्ठ पुरातत्वविद् डॉ. नारायण व्यास ने बगरोदा की पहाडिय़ों से लाखों वर्ष पुराने बेतवा-नर्मदा संस्कृति के पत्थर व पाषाण हथियार खोजे थे।
ये मिला हाल
भोपाल के बगरोदा में एक ट्रैक्टर कंपनी 155 एकड़ एरिया में फैक्टरी स्थापित कर रही है। स्थानीय लोगों ने बताया कि पिछले कई दिनों से कंपनी के दो दर्जन से अधिक डंपर, ट्रक, पोकलेन मशीनें और स्टोन क्रॅशर दिन-रात काम पर लगे हैं। सैकड़ों मजदूर भी यहां काम कर रहे हैं।
पत्रिका संवाददाता ने भी इस काम को देखा। कई फीट गहरी खुदाई कर बड़े-बड़े पत्थर निकाले जा रहे थे। कई पोकलेन मशीन, डंपर, ट्रक, स्टोन क्रॅशर से काम किया जा रहा था। खुदाई से निकले अलंगों को उपयोग में लेकर बाउंड़ी बनाई जा रही थी। श्रमिकों ने बताया कि फैक्टरी के लिए सबसे पहले बाउंड्री बनाने का निर्देश दिया गया है। इसके बाद अंदर और खुदाई कर निर्माण कार्य शुरू होगा।
ये है जुर्माने का रेट
खनिज विभाग के अफसर बताते हैं कि सरकारी जमीन पर अच्छे खनन का रॉयल्टी रेट 100 रुपए प्रति क्यूबिक मीटर है। एक क्यूबिक मीटर में एक मीटर लंबा, एक मीटर चौड़ा और एक मीटर गहरा नाप आता है। एक एकड़ जमीन में 1233.48 क्यूबिक मीटर होते हैं। कंपनी प्रतिनिधि का ही कहना है कि इस फैक्टरी का एरिया 155 एकड़ है और जमीन 12 मीटर तक नीची है, जिसे तीन चरणों में समतल कर फैक्टरी निर्माण किया जाना है। इस तरह यहां करोड़ों रुपए की रॉयल्टी बनती है।
खनिज विभाग के अफसर बताते हैं कि सरकारी जमीन पर अच्छे खनन का रॉयल्टी रेट 100 रुपए प्रति क्यूबिक मीटर है। एक क्यूबिक मीटर में एक मीटर लंबा, एक मीटर चौड़ा और एक मीटर गहरा नाप आता है। एक एकड़ जमीन में 1233.48 क्यूबिक मीटर होते हैं। कंपनी प्रतिनिधि का ही कहना है कि इस फैक्टरी का एरिया 155 एकड़ है और जमीन 12 मीटर तक नीची है, जिसे तीन चरणों में समतल कर फैक्टरी निर्माण किया जाना है। इस तरह यहां करोड़ों रुपए की रॉयल्टी बनती है।
ये बोले अफसर
हमने इस मामले में प्रकरण दर्ज कर पेनाल्टी लगाई है। जुर्माने की रकम याद नहीं है, कार्यालय जाकर बता पाऊंगा।
– अशोक द्विवेदी, खनिज अधिकारी
हमने इस बारे में प्रकरण दर्ज कर लिया है, लेकिन अभी तक कलेक्टर कोर्ट में भेजा नहीं गया है। मैं बाहर हूं। शिकायत मिलने पर काम बंद करवा दिया गया था। समतलीकरण की परमीशन है।
– राजेन्द्र सिंह परमार, जिला खनिज अधिकारी
हमने इस मामले में प्रकरण दर्ज कर पेनाल्टी लगाई है। जुर्माने की रकम याद नहीं है, कार्यालय जाकर बता पाऊंगा।
– अशोक द्विवेदी, खनिज अधिकारी
हमने इस बारे में प्रकरण दर्ज कर लिया है, लेकिन अभी तक कलेक्टर कोर्ट में भेजा नहीं गया है। मैं बाहर हूं। शिकायत मिलने पर काम बंद करवा दिया गया था। समतलीकरण की परमीशन है।
– राजेन्द्र सिंह परमार, जिला खनिज अधिकारी
कोई केस दर्ज नहीं
खनिज विभाग की टीम ने हमारे खिलाफ न तो कोई प्रकरण दर्ज किया है और न ही किसी तरह की कोई पेनाल्टी लगाई है। हमारे पास समतलीकरण की परमिशन है। फैक्टरी की 155 एकड़ जमीन को तीन स्टेप में बना रहे हैं। फैक्टरी के एक छोर से दूसरे छोर के सतह में 12 मीटर का अंतर है। इसे 4-4 मीटर गहराई के तीन स्टेप में बनाया जा रहा है।
– ललित पाटनी, आयशर कंपनी के प्रतिनिधि
खनिज विभाग की टीम ने हमारे खिलाफ न तो कोई प्रकरण दर्ज किया है और न ही किसी तरह की कोई पेनाल्टी लगाई है। हमारे पास समतलीकरण की परमिशन है। फैक्टरी की 155 एकड़ जमीन को तीन स्टेप में बना रहे हैं। फैक्टरी के एक छोर से दूसरे छोर के सतह में 12 मीटर का अंतर है। इसे 4-4 मीटर गहराई के तीन स्टेप में बनाया जा रहा है।
– ललित पाटनी, आयशर कंपनी के प्रतिनिधि