दरअसल, इस विवाद की शुरुआत मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बयान के बाद ही हुई है। टीकमगढ़ में उनके कार्यक्रम के दौरान अतिथि शिक्षक हंगामा करने लगे थे। तब सिंधिया ने कहा था कि वचन पत्र में आपका जिक्र है। लेकिन अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। धैर्य रखें, अगर मांगे पूरी नहीं होती है कि तो हम भी आपके साथ सड़क पर उतरेंगे। उसके बाद कांग्रेस में हंगामा मच गया।
दिल्ली में समन्वय समिति की बैठक थी। बैठक बीच में ही छोड़कर सिंधिया निकल गए। उसके बाद कमलनाथ ने उनके सड़क पर उतरने की बात पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि तो वो उतर जाएं। इतना बोलकर सीएम आगे बढ़ गए। इस बयान के बाद मध्यप्रदेश कांग्रेस में सियासी पारा और चढ़ गया है। ऐसे में सिंधिया खेमे के लोग भी अब खुलकर बोलने लगे हैं।
महाराज अकेले नहीं
ज्योतिरादित्य सिंधिया की धमकी पर उनके खेमे की मंत्री इमरती देवी ने कहा कि अगर महाराज सड़क पर उतरे तो उनके साथ पूरी कांग्रेस सड़क पर उतरेगी। उन्होंने यह भी कहा कि महाराजा अकेले नहीं हैं। उनके साथ राहुल गांधी, दिग्विजय सिंह और हमारे मुख्यमंत्री कमलनाथ भी हैं। लेकिन ये नौबत नहीं आई कि महाराज को सड़क पर उतरना पड़े। वहीं, सिंधिया के गुस्से की बात पर इमरती देवी ने चुप्पी साध ली।
ज्योतिरादित्य सिंधिया की धमकी पर उनके खेमे की मंत्री इमरती देवी ने कहा कि अगर महाराज सड़क पर उतरे तो उनके साथ पूरी कांग्रेस सड़क पर उतरेगी। उन्होंने यह भी कहा कि महाराजा अकेले नहीं हैं। उनके साथ राहुल गांधी, दिग्विजय सिंह और हमारे मुख्यमंत्री कमलनाथ भी हैं। लेकिन ये नौबत नहीं आई कि महाराज को सड़क पर उतरना पड़े। वहीं, सिंधिया के गुस्से की बात पर इमरती देवी ने चुप्पी साध ली।
वहीं, मंत्री गोविंद सिंह ने कहा है कि कमलनाथ जी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के बारे में कुछ सोच समझकर ही कहा होगा। हम सरकार में हैं तो सड़क पर क्यों उतरें। सड़क पर उतरने का काम हमलोगों ने शिवराज सिंह चौहान को दे दिया है। क्योंकि उनके पास कोई काम नहीं था। हालांकि सिंधिया पर वह सीधे तौर पर कुछ भी बोलने से बचते रहे। साथ ही कांग्रेस में कलह की बात को वह नकारते रहे।