गणतंत्र दिवस में नहीं पढ़ पाईं थी सीएम का संदेश
इमरती देवी का नाम मध्यप्रदेश की जनता के लिए कोई नया नाम नहीं है। लेकिन इमरती देवी की राष्ट्रीय पहचान मिली गणतंत्र दिवस के मौके पर। देश 70वें गणतंत्र को धूमधाम से मना रहा था। मंत्रीजी ग्वालियर में ध्वजारोहण करने पहुंचे थीं। यहां उन्हें सीएम कमलनाथ का संदेश पढ़ना था। मंच पर पहुंची मंत्री ने 27 सेंकेड तक संदेश को पढ़ा इस दौरान कई गलतियां की और बाद में कह दिया अब कलेक्टर साहब इस संदेश को पढ़ेंगे। मजेदार बात ये थी कि इमरती देवी कलेक्टर भी सही तरीके से नहीं बोल पाईं चालिए कोई बात नहीं भाषा की टोन का फर्क हो सकता है। इमरती देवी इसके बाद राष्ट्रीय स्तर की नेता बन गई और एक दिन के लिए सोशल मीडिया पर पूरी तरफ से कब्जा कर लिया। हर तरफ सोशल मीडिया में इमरती देवी का ही वीडियो वायरल हो रह था। एक दिन के लिए सोशल मीडिया में ऐसा कब्जा किया कि मोदी और उनकी ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पिछड़ गए। इसके बाद भी मंत्रीजी को कोई अफसोश नहीं। मीडिया सामने आई तो मंत्री महोदया ने कहा, तबियत खराब थी इसलिे संदेश नहीं पढ़ पाई अगर भरोसा नहीं है तो डॉक्टर से पूछ लो।
अब शिक्षा पर विवाद
इमरती देवी के राष्ट्रीय स्तर पर छा जाने के बाद यह जानना जरूरी है कि आखिर इस मंत्री की शिक्षा क्या है। ऐसे इनकी शिक्षा को लेकर भी बड़ा संशय है जैसे की प्रधानमंत्री मोदी का कोई बैचमेट नहीं है उसी तरह इमरती देवी को ये खुद नहीं पता है कि उन्होंने पढ़ाई की कहां से है। हां उन्होंने ये जरुर कहा है कि वो 12वीं (हायर सेकेंडरी) पास है। अब उनकी डिग्री में भी विवाद शुरू हो गया है। 2018 के विधानसभा चुनाव में इमरती देवी ने अपना हलफनामा दाखिल किया था। इस हलफनामे के मुताबिक इमरती देवी ने 2009 में भिंड के एक सरकारी स्कूल से राज्य ओपन बोर्ड की हायर सेकंडरी परीक्षा पास की थी। 2013 के चुनावी हलफनामे में भी उन्होंने यही जानकारी दी है। लेकिन 2008 में जब वे मध्यप्रदेश की विधानसभा पहुंची थी तब भी हलफनामा दिया था। तबके हलफनामे में भी उन्होंने माध्यमिक शिक्षा मंडल से हायर सेकंडरी पास होना बताया था। अब सवाल ये है कि मंत्रीजी ने आखिर 12वीं पास कहां से की।
2007 में पास की थी परीक्षा
हलफनामे के इतर मंत्री महादया ने रविवार को मीडिया से बात करते हुए कहा, उन्होंने तो वर्ष 2007 में ही भितरवार के एक सरकारी स्कूल से 12वीं पास कर लिया था, जब वे जिला पंचायत सदस्य हुआ करती थीं। उन्होंने कहा मैं दतिया जिले के चरबरा गांव में पैदा हुई, वहां स्कूल ही नहीं था। लेकिन मैं अनपढ़ नहीं हूं। राजनीति में आने के बाद पढ़ाई की और भितरवार विधानसभा सीट से 2007 में 12वीं की परीक्षा पास की। उन्होंने कहा मैं कभी पढ़ने के लिए भिंड नहीं गई। अब सवाल ये हैं कि जब मंत्री महोदया पढ़ने के लिए भिंड गईं ही नहीं तो हलफनामे में भिंड की स्कूल से परीक्षा उत्तीर्ण करने का जिक्र क्यो किया गया?
हलफनामे के इतर मंत्री महादया ने रविवार को मीडिया से बात करते हुए कहा, उन्होंने तो वर्ष 2007 में ही भितरवार के एक सरकारी स्कूल से 12वीं पास कर लिया था, जब वे जिला पंचायत सदस्य हुआ करती थीं। उन्होंने कहा मैं दतिया जिले के चरबरा गांव में पैदा हुई, वहां स्कूल ही नहीं था। लेकिन मैं अनपढ़ नहीं हूं। राजनीति में आने के बाद पढ़ाई की और भितरवार विधानसभा सीट से 2007 में 12वीं की परीक्षा पास की। उन्होंने कहा मैं कभी पढ़ने के लिए भिंड नहीं गई। अब सवाल ये हैं कि जब मंत्री महोदया पढ़ने के लिए भिंड गईं ही नहीं तो हलफनामे में भिंड की स्कूल से परीक्षा उत्तीर्ण करने का जिक्र क्यो किया गया?
भारत में डिग्री विवाद कोई नया नहीं
भारतीय राजनेताओं की शिक्षा पर विवाद कोई नया नहीं है। इमरती देवी तो मध्यप्रदेश की कैबिनेट मंत्री हैं खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की शिक्षा कहां से हुई इस पर बीते पांच सालों से रहस्य बरकरार है। तो दिल्ली सरकार के मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की कुर्सी इसलिए चली गई कि उनकी डिग्री फर्जी थी। वहीं, केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की शिक्षा रहस्य बनी हुई है।
भाजपा को मिला मुद्दा
इमरती देवी की शिक्षा में विरोधभाष होने के बाद भाजपा नेताओं को एक बार फिर से मुद्दा मिल गया है। कांग्रेस जिन मुद्दों को लेकर भाजपा को घेऱने की कोशिश करती हैं कहीं ना कहीं उन्हीं मुद्दों पर आकर खुद घिर जाती है। अब देखना होगा इमरती देवी की शिक्षा में मध्यप्रदेश की सियासत में क्या हंगामा खड़ा होता है।
इमरती देवी की शिक्षा में विरोधभाष होने के बाद भाजपा नेताओं को एक बार फिर से मुद्दा मिल गया है। कांग्रेस जिन मुद्दों को लेकर भाजपा को घेऱने की कोशिश करती हैं कहीं ना कहीं उन्हीं मुद्दों पर आकर खुद घिर जाती है। अब देखना होगा इमरती देवी की शिक्षा में मध्यप्रदेश की सियासत में क्या हंगामा खड़ा होता है।