लेकिन, मौसम वैज्ञानिक ऐसा नहीं मान रहे। उनके मुताबिक बारिश का दौर अभी खत्म नहीं हुआ है। सिस्टम और सक्रिय होगा। 27 अगस्त के बाद एक बार फिर जोरदार बरसात का दौर शुरू हो सकता है। इस तरह सितंबर माह तक बारिश की गतिविधियां जारी रहेंगी।
राजधानी में इस बार मानसून की दस्तक 18 जून को हुई थी। जून में कम पानी गिरा। 1 जुलाई के बाद से बारिश का क्रम तेज हुआ। और जुलाई-अगस्त माह में कोटे से दोगुनी बारिश हो गई।
आज अनेक स्थानों पर रीवा, शहडोल, जबलपुर , सागर, च्ंबल एवं ग्वालियर संभागों के जिलों में जबकि इंदौर , नर्मदापुरम ,भोपाल और उज्जैन संभागों के जिलों में कुछ स्थानो पर वर्षा या गरज चमक के साथ बौछार पद सकती हैं ।
मानसूनी कोटे के मुकाबले 25 इंच ज्यादा बारिश: शहर में 1 जून से 30 सितंबर तक कुल मानसूनी बारिश का कोटा 42.04 इंच का है। शहर में अब तक 67.48 इंच बारिश हो चुकी है। इस तरह 25 इंच ज्यादा बारिश हुई है। अगस्त माह में भी कोटे से दोगुनी बरसात हो चुकी है।
पिछले दस सालों में भोपाल में बारिश की स्थिति-
वर्ष – बारिश इंच में
2012 – 45.24
2013 – 50.52
2014 – 29
2015 – 39.92
2016 – 39.92
2017 – 31.24
2018 – 32.24
2019 – 70.62
2020 – 53.8
2021 – 37.6
2022 अब तक 67.48
रामचरित मानस में लिखा है –
तुलसीदास कृत रामचरित मानस में लिखा है- फूले कांस सकल महि छाई, जिमि वर्षा रितु प्रगट बुढ़ाई। इसका मतलब ही यही है कि कांस में फूल आ गए तो बरसात खत्म हो गई।
खेतों और सड़कों के किनारे लंबी घास में रुई जैसे फूल अब दिखने लगे हैं। चौपाई के अनुसार ये फूल बताते हैं कि अब बारिश नहीं होगी।
सितंबर के दूसरे सप्ताह तक बारिश: मौसम वैज्ञानिक (रेडार) डॉ. वेदप्रकाश सिंह के अनुसार परिस्थितियां जिस हिसाब से बन रही हैं, उसके अनुसार बारिश का दौर सितंबर के दूसरे सप्ताह के बाद तक जारी रह सकता है। इस समय झारखंड के ऊपर चक्रवातीय परिसंचरण सक्रिय है। 27 अगस्त के बाद मध्यम और तेज बारिश हो सकती है।