इम्यूनिटी बढ़ानेवाली एक बूटी सर्वसुलभ और सस्ती है जिसके अन्य अनेक लाभ भी हैं. कोरोना से बचने के लिए लोग तरह—तरह के इम्यूनिटी बूस्टर आजमा रहे हैं जबकि अश्वगंधा से रोग प्रतिरोधक क्षमता सबसे ज्यादा विकसित होती है.
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अश्वगंधा बहुपयोगी है और इसकी जड़, तना और बीज तक का औषधियों में प्रयोग किया जाता रहा है. इम्युनिटी बढ़ाने वाली बहुप्रचारित दवा कोरोनिल भी इसी से तैयार की जा रही है. विशेषज्ञों, आयुर्वेदाचार्यों, डाक्टरों के अनुसार इम्युनिटी बढ़ाने वाली दवा कोरोनिल बनाने में अश्वगंधा का ही उपयोग किया गया है।
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अश्वगंधा के बीज मिर्च जैसे होते हैं। आजकल इसकी जमकर खेती भी की जा रही है। आमतौर पर 150 से 160 दिन में इसकी फसल तैयार हो जाती है।
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जब इसके फल आधे पक जाते हैं और पौधे की पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं, तब इसे जोत लेते हैं। इसके बाद जड़ सहित पौधों को इकट्ठा कर लेते हैं। अश्वगंधा की जड़ को तने से काटकर धो कर सुखा लेते हैं। इसके तने और बीज को अलग कर लेते हैं। इसके बीज आमतौर पर बाजार में 50 से 60 रुपए किलो की दर से मि जाते हैं।