बसपा का वोट प्रतिशत बढ़ता रहा
1990 में बसपा को करीब 3.5o फीसदी वोट मिले थे। 1993 में 6.04 और 1998 में 7.02 फीसदी वोट हासिल किया। साल 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस विरोधी लहर और बीजेपी के जबरदस्त चुनाव प्रचार के बाद बीएसपी दो सीटों पर सिमटी, लेकिन उसने वोट फीसदी बढ़ाकर 7.26 कर लिया। 2008 में 7 सीटें जीती और 8.72 वोट फीसदी तक पहुंच गई। 2013 के चुनाव में भी बीएसपी को करीब 6.5 फीसदी वोटों के साथ सिर्फ चार सीटें मिलीं थीं। 2009 के लोकसभा चुनावों में बसपा ने एक बार फिर अपना प्रभाव दिखाया। रीवा संसदीय क्षेत्र से बसपा के देवराज सिंह पटेल ने कांग्रेस के दिग्गज नेता सुंदरलाल तिवारी को चुनाव हराया। 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा का वोट प्रतिशत 5.9 था। वहीं, 2014 की मोदी लहर में 1.2 था। 2004 के चुनाव में बसपा का वोट प्रतिशत 4.8 था।
1990 में बसपा को करीब 3.5o फीसदी वोट मिले थे। 1993 में 6.04 और 1998 में 7.02 फीसदी वोट हासिल किया। साल 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस विरोधी लहर और बीजेपी के जबरदस्त चुनाव प्रचार के बाद बीएसपी दो सीटों पर सिमटी, लेकिन उसने वोट फीसदी बढ़ाकर 7.26 कर लिया। 2008 में 7 सीटें जीती और 8.72 वोट फीसदी तक पहुंच गई। 2013 के चुनाव में भी बीएसपी को करीब 6.5 फीसदी वोटों के साथ सिर्फ चार सीटें मिलीं थीं। 2009 के लोकसभा चुनावों में बसपा ने एक बार फिर अपना प्रभाव दिखाया। रीवा संसदीय क्षेत्र से बसपा के देवराज सिंह पटेल ने कांग्रेस के दिग्गज नेता सुंदरलाल तिवारी को चुनाव हराया। 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा का वोट प्रतिशत 5.9 था। वहीं, 2014 की मोदी लहर में 1.2 था। 2004 के चुनाव में बसपा का वोट प्रतिशत 4.8 था।
इन सीटों पर है बसपा का असर
सुमावली, जौरा, वारासिवनी, सबलगढ़, दिमनी, अंबाह, मुरैना, भिंड, रामपुर बघेलान, सतना, रीवा, सेमारिया, महाराजपुर, पन्ना, देवतालाब, अशोकनगर, रेगांव, चित्रकूट, मैहर, अमरपाटन, नागौद, अटेर, लहार, कटंगी, जतारा, चुरहट, सिरमौर, त्यौंथर, चितरंगी. देवसर और सिंगरौली।