scriptSavings: बचत योजना में पेनल्टी से बचने के लिए निवेशक करें ये उपाय… | important and big news for inverters in india | Patrika News

Savings: बचत योजना में पेनल्टी से बचने के लिए निवेशक करें ये उपाय…

locationभोपालPublished: Feb 23, 2018 07:44:29 pm

निवेशक TAX की बचत के लिए तरह-तरह के विकल्पों में निवेश INVESTMENT करते हैं

invest
भोपाल। वित्त वर्ष 2017-18 खत्म होने में अब सिर्फ कुछ ही दिन का ही समय बचा है। ऐसे में आम आदमी का टेंशन भी बड़ा हुआ है।
दरअसल एक वित्त वर्ष के दौरान लोग अपने TAX की बचत के लिए तरह-तरह के विकल्पों में निवेश INVESTMENT करते हैं। लेकिन इन विकल्पों में किया गया निवेश तभी टैक्स बचत का फायदा देता है, जब एक वित्त वर्ष के दौरान एक नियत तारीख तक निश्चित निवेश बरकरार रखा जाए। अर्थशास्त्र के जानकार वीके शर्मा के अनुसार वहीं ऐसा न करने पर हमें नुकसान होता है यानी कई बार हमें पेनल्टी तक देनी पड़ जाती है।
आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही कुछ विकल्पों के बारे में, जिनमें 31 मार्च तक आपको एक निश्चित निवेश राशि सुनिश्चित करनी होगी। ऐसा नहीं करने पर आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है।
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS)…
जानकारों के अनुसार नेशनल पेंशन सिस्टम यानि एनपीएस एक बेहतर निवेश विकल्प माना जाता है। यह टैक्स सेविंग के लिहाज से भी अच्छा विकल्प माना जाता है। अगर आपने भी एनपीएस में अपना अकाउंट खुलवा रखा है तो यह सुनिश्चित कर लें कि 31 मार्च 2018 से पहले-पहले आपके अकाउंट में कम से कम 1000 रुपये जमा कराए जा चुके हों। ऐसा न होने की सूरत में आपका अकाउंट फ्रीज भी हो सकता है और फिर से अपना अकाउंट एक्टिव करवाने के लिए आपको 100 रुपये की पेनल्टी देनी पड़ेगी।
कन्या समृद्धि स्कीम…
बेटियों के उज्ज्वल भविष्य के लिहाज से सुकन्या समृद्धि योजना को एक बेहतर स्कीम माना जाता है। इस स्कीम के तहत खोले गए अकाउंट में भी एक वित्त वर्ष के दौरान 1000 रुपये जमा करवाना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं होता है तो मिनिमम डिपॉजिट न होने की सूरत में आपको 50 रुपये की पेनल्टी देनी पड़ सकती है।
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF)…
टैक्स सेविंग और निवेश के लिहाज से पीपीएफ को भी एक बेहतर विकल्प माना जाता है। इस अकाउंट में भी एक निश्चित राशि सुनिश्चित करनी होती है।

इसलिए बेहतर होगा कि आप सुनिश्चित कर लें कि 31 मार्च से पहले आपके अकाउंट में 500 रुपये जमा किए जा चुके हों। ऐसा न होने पर आपको 50 रुपये जुर्माना अदा करना होगा और इसी के बाद आपका अकाउंट फिर से एक्टिव किया जाएगा।
एफडी के बारे में भी जरूर जान लें ये…
फिक्स्ड डिपॉजिट में पैसा इनवेस्ट करने से पहले आपको इससे जुड़ी कुछ जरूरी चीजों के बारे में भी जान लेना चाहिए। जानकारों के अनुसार 5 ऐसी ही अहम बातें हैं जो आपका जानना जरूरी है…
1- पूरी तरह सेफ नहीं एफडी :
एफडी कराने से पहले यह अच्छी तरह जान लें कि इसमें लगाया गया पैसा पूरी तरह सेफ नहीं है। कॉर्पोरेट डिपॉजिट असुरक्षित लोन होते हैं, जिनमें कोई गारंटी नहीं होती। बैंकों के मामले में डिपॉजिट इंश्योरेंस ऐंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (डीआईसीजीसी) एक कस्टमर के अधिकतम 1 लाख रुपये की गारंटी देता है और यह नियम बैंकों की हर ब्रांच के लिए लागू है। ऐसे में अगर आपके पास 3 से 4 लाख रुपये इनवेस्ट करने के लिए हैं तो इस रकम को अलग-अलग बैंकों में तीन-चार जगह इन्वेस्ट करना बेहतर होता है।
इसके दो तरह के फायदे होंगे। पहली बात तो यह है कि आपकी पूरी की पूरी रकम सुरक्षित रहेगी और दूसरा फायदा यह है कि अगर एफडी कराने के बाद आपको इमरजेंसी में अपनी एफडी तोड़नी पड़ गई तो आप कोई भी एक एफडी तोड़कर काम चला सकते हैं। इससे एफडी तोड़ने की वजह से जो नुकसान होता है, वह कम होगा। यानी समय से पहले विद्ड्रॉल करने की जो पेनल्टी आपको देनी होगी, वह सिर्फ उसी एफडी पर लगेगी जिसे आप समय से पहले तोड़ रहे हैं। बाकी का पैसा उसी ब्याज दर से इन्वेस्ट रहेगा और बढ़ता रहेगा।
2- कदम-दर-कदम
अलग-अलग बैंकों में इन्वेस्टमेंट करने का फायदा यह है कि इससे रिस्क कम हो जाता है। यह आपने कर भी दिया, लेकिन अगर पैसे को लंबी अवधि के लिए कम ब्याज दर पर लॉक-इन कर दिया है तो उससे होने वाले रिस्क का क्या! एफडी मेंअनिश्चितता बनी रहती है क्योंकि ब्याज दरें घटती-बढ़ती रहती हैं। इससे बचने के लिए ऐसे फिक्स्ड डिपॉजिट्स की एक सीढ़ी बनाइए जिनकी अवधि अलग-अलग हो। मसलन अगर आपके पास इन्वेस्ट करने के लिए चार लाख रुपये हैं, तो इस रकम को 1-1 लाख रुपये की चार डिपॉजिट में बांट लीजिए। फिर इन्हें 1, 2, 3 और चार साल के लिए फिक्स कर दीजिए। जब 1 साल वाली एफडी मच्योर हो, तो उसे 4 साल की एफडी में दोबारा इनवेस्ट कर दीजिए।
ऐसा करके कुछ निश्चित समय के बाद ब्याज दर के ऊंचा या नीचा होने का मामला संतुलित हो जाएगा। इसका एक और फायदा होगा। आपको नकदी मिलती रहेगी क्योंकि एक-एक साल के बाद आपकी एफडी मच्योर होती रहेंगी।
3- समय से पहले निकासी पर पेनल्टी
एफडी में इन्वेस्ट करने से पहले यह सुनिश्चित जरूर कर लें कि आपने अवधि सही चुनी है। शुरू में ही अगर आपने लंबी अवधि के लिए इन्वेस्ट कर दिया और बीच में आपको एफडी तोड़नी पड़ गई तो समझिए आपको कम रिटर्न मिलेगा। मान लीजिए, आपका बैंक 1 साल की एफडी पर 9 फीसदी का रिटर्न ऑफर कर रहा है और पांच साल की एफडी पर 9.5 फीसदी रिटर्न दे रहा है। ऐसे में अगर आपको लगता है कि आपको पांच साल से पहले पैसे की जरूरत पड़ सकती है तो लंबी अवधि वाली एफडी में पैसा लगाने से बचें।
अगर आपने पांच साल की एफडी कराने के बाद उसे एक साल के बाद तोड़ दिया तो आपको ब्याज दर उतनी ही मिलेगी जितनी एक साल की एफडी पर मिलती है। इसके अलावा आपके ऊपर समय से पहले विद्ड्रॉल के लिए पेनल्टी भी लगाई जा सकती है। इसका मतलब यह होगा कि आधा पर्सेंट ज्यादा हासिल करने के चक्कर में आपको उससे भी कम ब्याज दर मिलेगी जो आपको 1 साल की एफडी पर मिल रही थी।
4- रहेगा टैक्स का टंटा
एफडी पर आपको जो भी ब्याज मिलेगा, वह पूरी तरह टैक्सेबल है। अगर एक साल में ब्याज की रकम 10 हजार रुपये से ज्यादा बढ़ जाती है तो बैंक या कॉर्पोरेट हाउस 10.3 फीसदी टैक्स सोर्स पर काट लेगा। रकम आपको यह टैक्स कटने के बाद ही मिलेगी। टैक्स की आपकी देनदारी का यहां अंत नहीं होता।
वहीं अगर आप हायर इनकम ग्रुप में है (सालाना आमदनी 5 लाख से ज्यादा), तो आपको इस आमदनी पर ज्यादा टैक्स देना होगा। अगर टीडीएस नहीं भी काटा गया है तो आपको बॉन्ड्स और एफडी से होने वाली अपनी आमदनी को अपने टैक्स रिटर्न में दिखाना चाहिए। याद रखें ब्याज पर टैक्स एक्रूड आधार पर लगाया जाता है। टैक्स आपको हर साल के आधार पर अदा करना होगा। दूसरी तरफ अगर आपकी आमदनी उस आमदनी से कम है, जिस पर टैक्स नहीं लगता तो आप रिटर्न जमा करके उस रकम का रिफंड ले सकते हैं जो टीडीएस के तौर पर काटी जा चुकी है। टीडीएस से बचने का तरीका यह है कि आप फॉर्म 15 जी भरकर यह घोषणा करें कि आपकी आमदनी टैक्सेबल सीमा से कम है। बुजुर्गों को फॉर्म 15 एच भरना चाहिए।
5- आमदनी आपकी आमदनी में
अगर आप सोचते हैं कि बच्चे या जीवनसाथी के नाम से एफडी में पैसे जमा करवाकर टैक्स से बच जाएंगे तो आप गलत हैं। अगर आप अपने बच्चे या जीवनसाथी को पैसा देते हैं, तो आपके ऊपर टैक्स की देनदारी नहीं बनेगी, लेकिन इस पैसे को उनके नाम से इन्वेस्ट कर दिया गया तो उससे होने वाली आमदनी को आपकी आमदनी में जोड़ा जाएगा। फिर उसी हिसाब से टैक्स लगेगा। अगर कोई शख्स अपने जीवनसाथी के नाम से एफडी में पैसा जमा करता है, तो उससे होने वाली आमदनी को उसकी आमदनी के तौर पर माना जाएगा। 18 साल से कम उम्र के नाबालिग बच्चों के मामले में नियम थोड़े अलग हैं।
आमदनी को माता या पिता में से उसकी आमदनी में जोड़ा जाएगा जो ज्यादा कमाता है। हालांकि एक बच्चे के लिए 1500 रुपये सालाना की छूट मिलती है। ऐसा अधिकतम दो बच्चों तक ही हो सकता है।
कुछ NFO और उनकी आखिरी तारीख
– डीएसपी ब्लैकरॉक म्यूचुअल फंड ने 9 महीने की क्लोज एंडेड स्कीम लॉन्च की है। इसका नाम है डीएसपी ब्लैकरॉक एफएमपी सीरीज 53। यह एनएफओ सब्सक्रिप्शन के लिए इस समय खुला हुआ है।
– डीएसपी ब्लैकरॉक म्यूचुअल फंड ने 36 महीने की क्लोज एंडेड इनकम स्कीम लॉन्च की है जिसका नाम है डीएसपी ब्लैकरॉक ड्यूअल अडवांटेज फंड सीरीज 4। यह एनएफओ 19 जून तक खुला रहेगा।
– बड़ौदा पायनियर म्यूचुअल फंड ने बड़ौदा पायनियर बैंकिंग ऐंड फाइनैंशल सर्विसेज फंड नाम से ओपन एंडेड स्कीम लॉन्च की है। एनएफओ 15 जून को बंद हो जाएगा। इसमें कोई एंट्री लोड नहीं है, लेकिन 365 दिन से पहले अगर आप बाहर आते हैं तो 1 फीसदी का एग्जिट लोड देना होगा।
– कैनरा रॉबेको एएमसी ने कैनरा रॉबेको गोल्ड सेविंग्स फंड लॉन्च किया है। 4 जून से शुरू हुआ यह फंड 18 जून तक खुला रहेगा। एक साल से पहले बाहर आने पर इसमें 2 फीसदी का एग्जिट लोड लगेगा।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो