इन पांच की सफाई के बिना अधूरी है स्वच्छता
32 नाले सीधे तालाबों में : बड़ा तालाब में सीधे मिल रहे 16 नालों समेत शहर के अन्य 12 तालाबों में 32 नाले सीधे मिल रहे हैं। निगम की ही रिपोर्ट के अनुसार इन नालों से निकलकर रोजाना 2 एमएलडी सीवेज तालाबों को गंदा कर रहा है।
80 हजार सुअर, 35 हजार मवेशी : नगर पालिक निगम अधिनियम में निगम सीमा को आवारा जानवरों, मवेशियों से पूरी तरह मुक्त करने का नियम है, लेकिन निगम के ही सर्वे की बात करें तो शहर में 80 हजार सुअर, डेढ़ लाख कुत्ते और 35 हजार से अधिक मवेशी करीब 600 डेयरियों में हैं।
1700 किमी सीवेज नेटवर्क की जरूरत : राजधानी में महज 700 किमी का ही सीवेज नेटवर्क है। ये भी टुकड़ों में है। शहर की 60 फीसदी आबादी को 1700 किमी लंबा सीवेज नेटवर्क चाहिए। इसके अभाव में सीवेज चैंबर से बहकर सडक़ों, गलियों, खाली प्लॉट्स में भर रही है।
30 हजार खाली प्लॉट्स : शहर में गंदगी का सबसे बड़ा कारण कॉलोनियों में पड़े खाली प्लॉट्स भी हैं। बारिश का पानी और क्षेत्र का कचरा यहीं जमा हो जाता है। कोलार में ही निगम को 2500 से अधिक खाली प्लॉट्स मिले।
750 नालों पर 14000 से अधिक अतिक्रमण : शहर में 750 से अधिक नालों पर निगम ने करीब 14000 अतिक्रमण चिह्नित किए थे। इनकी वजह से कई नालों की बीते 20 साल तक सफाई नहीं हो पाई। इनकी गंदगी से पूरे क्षेत्र में जलभराव की स्थिति बन रही है।
जो पॉइंट स्वच्छता
अभियान में शामिल किए, उससे इसके अभी बेहद प्राथमिक होने की स्थिति नजर आ रही है। इसमें गंदगी के गंभीर मामलों को छेड़ा तक नहीं गया। शहर को आवारा पशुओं से मुक्त किए बिना, नालों की सफाई किए बिना, सीवेज नेटवर्क बिछाए बिना स्वच्छ होने की कल्पना कैसे की जा सकती है?
-सुरेंद्र तिवारी, प्रभारी म्यूनिसिपल विंग, भोपाल सिटीजंस फोरम
केंद्र ने जो बिंदु तय किए थे, हमने उन पर तो काम किया और दूसरा नंबर बनाए रखा। हम नाला सफाई, सीवेज नेटवर्क, आवारा पशु जैसे बिंदुओं पर भी काम कर रहे हैं, जल्द ही असर नजर आएगा।
-आलोक शर्मा, महापौर