scriptIn Pitru Paksha, instead of cow grass, now cow grass, crows are presen | पितृपक्ष में कौग्रास की जगह अब गौग्रास, कौओ का टोटा, लोग गायों को ​खिला रहे खीर पुड़ी और हरा चारा | Patrika News

पितृपक्ष में कौग्रास की जगह अब गौग्रास, कौओ का टोटा, लोग गायों को ​खिला रहे खीर पुड़ी और हरा चारा

locationभोपालPublished: Oct 10, 2023 10:07:12 pm

-गायत्री मंदिर में रोजाना से चार सौ से पांच सौ लोग पहुंच रहे चारा खिलाने
-पितरों को तृप्त करने गाय को हाथ से तो कौओं के लिए खुले छोड़ते हैं भोजन

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कौओ का टोटा, लोग गायों को ​खिला रहे खीर पुड़ी और हरा चारा

भोपाल. पितृपक्ष में पिंडदान के समय ब्राह्मण भोजन कराने से पहले कौआ को भोजन कराने का विधान है। लेकिन अब शहरों में कौओं की संख्या कम दिखाई दे रही है। बड़ी मशक्कत से रेलवे स्टेशन या शहर से दूर एक-दो कौए दिखते हैं तो लोग उन्हें भोजन डाल आते हैं। बदलते समय के साथ कौए न मिलने के कारण अब लोग गाय को हरा चारा खिला रहे हैं। जिससे पितरों को तृप्त किया जा सके। गायत्री शक्तिपीठ में अन्य दिनों के मुकाबले दो गुना से भी अधिक संख्या में लोग गाय का घास खिलाने के लिए पहुंच रहे हैं। वहीं शहर की अन्य गौ शालाओं में भी लोगों को तादात बढ़ी हैं। मंदिर में आम तौर पर 25 से 30 लोग गाय का घास खिलाने पहुंचते थे, लेकिन अब चार सौ से पांच सौ लोग पहुंच रहे हैं।
पंचबली को खिलाने का विशेष महत्व
पंडित जगदीश शर्मा ने बताया कि गाय को पिंडदानी अपने हाथों से भोजन खिलाते हैं। वहीं, कौओं के लिए छत पर या खुले में रखकर छोड़ देते हैं। कभी -कभी एक-दो कौए दिख जाते हैं। पिंडदानी इसी को मान लेते हैं कि भोजन पितर तक पहुंच गया है। पितृपक्ष में पंचवली (गाय, कौआ, कुत्ता, चीटी और कन्याओं) को खिलाने का विशेष महत्व है।
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