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जिसका जितना रसूख उसे उतना बड़ा बंगला

locationभोपालPublished: May 25, 2020 12:46:33 am

Submitted by:

anil chaudhary

– आवास आवंटन: चेहरा और कद देखकर देखकर लागू होते हैं नियम

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भोपाल. प्रदेश में नेताओं को उनका कद और रसूख देखकर बंगलों का आवंटन किया जाता है। मंत्री तो बड़े बंगलों में रहने के पात्र हैं, लेकिन विधायक, पूर्व विधायकों सहित अन्य नेता रसूख के कारण बड़े बंगलों में डटे हैं। इनमें से कई तो ऐसे हैं, जिन्होंने एक बार बंगला मिलने के बाद उसे छोड़ा ही नहीं। सरकारें बदलती रहीं, लेकिन इनसे बंगला खाली नहीं करा पाईं।
– यह है नियम
भोपाल में मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के लिए ईयर मार्क बंगला है। मुख्यमंत्री का बंगला श्यामला हिल्स और मुख्य सचिव का बंगला चार इमली में है। मंत्रियों के लिए बी-टाइप बंगले की पात्रता है। इसके बाद सी, ई और एफ टाइप के आवास विधायकों सहित अन्य लोगों को आवंटित होते हैं, लेकिन रसूख की दम पर विधायक, नेता मंत्रियों के बंगले आवंटित करा लेते हैं।
– सांसदों को दो-दो बंगले
सांसदों को दिल्ली में सरकारी बंगला आवंटित है। इधर, राज्य सरकार भी भोपाल में बंगला देती देती है। इसमें कई मौजूदा सांसदों को भोपाल में बड़े-बड़े बंगले आवंटित हैं।
– न मंत्री, न विधायक फिर भी बंगला
कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे प्रभुराम चौधरी, इमरती देवी, महेंद्र सिंह सिसोदिया और प्रद्युम्न सिंह तोमर अब न तो विधायक हैं और न मंत्री। इसके बाद भी इन्होंने मंत्री के तौर पर मिला बी-टाइप बंगला नहीं छोड़ा है। सरकार इनको बंगला खाली करने का नोटिस दे चुकी है, लेकिन इन्हें नोटिस नहीं मिलने से सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे। पूर्व वित्तमंत्री तरुण भनोत ने बंगला खाली नहीं किया तो इसे सील कर दिया। हालांकि, दो दिन बाद सरकार ने यू-टर्न लेते हुए बंगले की सील खोल दी।

– सरकारी मेहरबानी ऐसे मामले
उमाशंकर गुप्ता : भाजपा सरकार में मंत्री रहते हुए सरकार ने इन्हें बंगला आवंटित किया था। पिछला विधानसभा चुनाव हार गए, लेकिन इन्होंने बंगले का कब्जा नहीं छोड़ा। कांग्रेस सरकार भी इनसे बंगला खाली नहीं करा पाई और अब भाजपा सरकार है।
कृष्णा गौर : पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की पुत्र वधु होने के साथ विधायक भी हैं। लंबे समय तक 74 बंगला स्थित बी-टाइप यह बंगला पूर्व मुख्यमंत्री गौर के नाम रहा। उनके निधन के बाद सरकार ने यह बंगला इन्हेंं आवंटित कर दिया।
जगदीश देवड़ा : भाजपा शासनकाल में मंत्री रहते हुए लिंक रोड क्रमांक पर सी-टाइप बंगला आवंटित हुआ था। चुनाव जीते, लेकिन सरकार कांग्रेस की बनी। इनका मंत्री बंगले पर कब्जा रहा। आज भी वे उसी बंगले पर रह रहे हैं। अब भाजपा सरकार है। प्रोटेम स्पीकर हैं।
विश्वास सारंग : भाजपा शासनकाल में मंत्री थे, इसलिए लिंक रोड स्थित इन्हें सी टाइप बंगला आवंटित हुआ। सरकारी बदली, मंत्री पद गया लेकिन इन्होंने बंगला नहीं छोड़ा। अब भाजपा सरकार है।
प्रभात झा : राज्यसभा सदस्य होने के कारण सरकार ने इन्हें भोपाल के 74 बंगला स्थित सरकारी बंगला आवंटित किया। अब इनका कार्यकाल समाप्त हो गया है, लेकिन इन्होंने बंगले से कब्जा नहीं छोड़ा।


यह बी-टाइप बंगला पूर्व में मेरे ससुर एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के नाम आवंटित था। उनके निधन के बाद मैंने विधायक के तौर पर यह बंगला मुझे आवंटित किए जाने के लिए तत्कालीन सरकार से आग्रह किया था तो सरकार ने मेरे आग्रह को स्वीकार किया था।
– कृष्णा गौर, भाजपा विधायक

लॉकडाउन के चलते बंगला खाली करने का नोटिस दिया जाना उचित नहीं है। एक ओर विधायकों पूर्व मंत्रियों को बंगला खाली करने का नोटिस दिया जा रहा है, वहीं जो विधायक, सांसद भी नहीं उनसे बंगला खाली नहीं कराया जा रहा है। नियमों में पारदर्शिता होना चाहिए।
– ब़ृजेन्द्र सिंह राठौर, पूर्व मंत्री

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