– सरकारी मेहरबानी ऐसे मामले
उमाशंकर गुप्ता : भाजपा सरकार में मंत्री रहते हुए सरकार ने इन्हें बंगला आवंटित किया था। पिछला विधानसभा चुनाव हार गए, लेकिन इन्होंने बंगले का कब्जा नहीं छोड़ा। कांग्रेस सरकार भी इनसे बंगला खाली नहीं करा पाई और अब भाजपा सरकार है।
कृष्णा गौर : पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की पुत्र वधु होने के साथ विधायक भी हैं। लंबे समय तक 74 बंगला स्थित बी-टाइप यह बंगला पूर्व मुख्यमंत्री गौर के नाम रहा। उनके निधन के बाद सरकार ने यह बंगला इन्हेंं आवंटित कर दिया।
जगदीश देवड़ा : भाजपा शासनकाल में मंत्री रहते हुए लिंक रोड क्रमांक पर सी-टाइप बंगला आवंटित हुआ था। चुनाव जीते, लेकिन सरकार कांग्रेस की बनी। इनका मंत्री बंगले पर कब्जा रहा। आज भी वे उसी बंगले पर रह रहे हैं। अब भाजपा सरकार है। प्रोटेम स्पीकर हैं।
विश्वास सारंग : भाजपा शासनकाल में मंत्री थे, इसलिए लिंक रोड स्थित इन्हें सी टाइप बंगला आवंटित हुआ। सरकारी बदली, मंत्री पद गया लेकिन इन्होंने बंगला नहीं छोड़ा। अब भाजपा सरकार है।
प्रभात झा : राज्यसभा सदस्य होने के कारण सरकार ने इन्हें भोपाल के 74 बंगला स्थित सरकारी बंगला आवंटित किया। अब इनका कार्यकाल समाप्त हो गया है, लेकिन इन्होंने बंगले से कब्जा नहीं छोड़ा।
यह बी-टाइप बंगला पूर्व में मेरे ससुर एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के नाम आवंटित था। उनके निधन के बाद मैंने विधायक के तौर पर यह बंगला मुझे आवंटित किए जाने के लिए तत्कालीन सरकार से आग्रह किया था तो सरकार ने मेरे आग्रह को स्वीकार किया था।
– कृष्णा गौर, भाजपा विधायक
लॉकडाउन के चलते बंगला खाली करने का नोटिस दिया जाना उचित नहीं है। एक ओर विधायकों पूर्व मंत्रियों को बंगला खाली करने का नोटिस दिया जा रहा है, वहीं जो विधायक, सांसद भी नहीं उनसे बंगला खाली नहीं कराया जा रहा है। नियमों में पारदर्शिता होना चाहिए।
– ब़ृजेन्द्र सिंह राठौर, पूर्व मंत्री