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रानी कमलापति की प्रतिमा के बिना मंजूरी स्थापना व अनावरण के सवाल पर महापौर बोले, अर्जुनसिंह की प्रतिमा किससे अनुमति लेकर लगाई थी

locationभोपालPublished: Feb 16, 2020 09:37:03 pm

रानी कमलापति की प्रतिमा के बिना मंजूरी स्थापना व अनावरण के सवाल पर महापौर बोले, अर्जुनसिंह की प्रतिमा किससे अनुमति लेकर लगाई थी

रानी कमलापति की प्रतिमा के बिना मंजूरी स्थापना व अनावरण के सवाल पर महापौर बोले, अर्जुनसिंह की प्रतिमा किससे अनुमति लेकर लगाई थी

रानी कमलापति की प्रतिमा के बिना मंजूरी स्थापना व अनावरण के सवाल पर महापौर बोले, अर्जुनसिंह की प्रतिमा किससे अनुमति लेकर लगाई थी


– कांग्रेस के विरोध में महापौर ने मिंटो हॉल गांधी प्रतिमा के नीचे किया प्रदर्शन, गाए भजन

भोपाल
छोटा तालाब पर अधूरे आर्चब्रिज के किनारे रानी कमलापति की प्रतिमा का रविवार को अनावरण किया गया। अनावरण पट्टिका पर कांग्रेस के प्रभारी मंत्री गोविंदसिह अन्य का नाम दर्ज था, लेकिन यहां कोई नहीं आया। कांग्रेस की क्षेत्रीय पार्षद शबिस्ता जकी व कार्यकर्ताओं ने तो इस कार्यक्रम का विरोध किया। कार्यक्रम स्थल से बाहर जमकर धरना प्रदर्शन और नारेबाजी की। महापौर आलोक शर्मा, गोविंदपुरा विधायक कृष्णा गौर, पूर्व मंत्री व नरेला विधायक विश्वास सारंग समेत भाजपा के जिला व अन्य पदाधिकारी कार्यक्रम में शामिल हुए। इन्होंने ने ही अनावरण किया। कार्यक्रम की पूरी रूपरेखा निगम प्रशासन ने तय की थी। बताया जा रहा है कि प्रभारी मंत्री व अन्य ने कार्यक्रम से किनारा करने की वजह इस प्रतिमा का संस्कृति विभाग की मंजूरी नहीं होना बताया गया। इसके जवाब में महापौर आलोक शर्मा ने कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि शहीद चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा की जगह अर्जुनसिंह की प्रतिमा स्थापना पर कांग्रेस ने किससे अनुमति ली थी। हालांकि बाद में निगम के संबंधित अफसर सभी मंजूरियों के दस्तावेज लेकर शासन-प्रशासन के अफसरों को बताते रहे।
शासन के मंत्री, विधायकों के कार्यक्रम के बहिष्कार का बहिष्कार करने से नाराज महापौर ने कांग्रेस के विरोध में मिंटो हॉल स्थित गांधी प्रतिमा के नीचे बैठकर भजन कीर्तन किया। करीब एक घंटे तक यहां बैठकर भजन कीर्तन किया। कांग्रेस की क्षेत्रीय पार्षद शबिस्ता जकी का कहना है कि उनका विरोध प्रतिमा अनावरण का नहीं है। लेकिन ब्रिज पूरा हुए बिना अनावरण करना गलत है और वे इसका ही विरोध कर रही है। विरोध में उनके पति व कांग्रेस के नेता आसिफ जकी भी बैठे। महापौर आलोक शर्मा का कहना है कि कांग्रेसी नेता-मंत्रियों ने कार्यक्रम में नहीं आकर रानी कमलापति का अपमान किया है। उनके अनुसार ये गोंड समाज का भी अपमान है। यहां पूर्व मंत्री नरेला विधायक विश्वास सारंग ने कहा है कि वे इस मुद्दे को लेकर जमीन पर उतरेंगे। कार्यक्रम के दौरान निगम का पूरा अमला मौजूद रहा।
17 हजार किग्रा की है प्रतिमा
रानी कमलापति की स्थापित प्रतिमा स्थापना व लोकार्पण का उद्देश्य भोपाल का नवाब काल से पहले के इतिहास से लोगों को रूबरू कराना है। पतिमा ग्वालियर के मूर्तिकार से तैयार कराई गई है। इसका वजन 17000 किलो है। इसकी ऊंचाई 32 फ ीट है, जिसमें 60 प्रतिशत तांबा, 20 प्रतिशत जस्ता, 10 प्रतिशत टीन, 5 प्रतिशत लेड और 5 प्रतिशत अन्य धातू का उपयोग किया हैं। इसके निर्माण पर 1.़96 लाख रुपए की लागत आई है। जिस स्थान पर रानी कमलापति ने जल समाधि ली थी उसी स्थान पर उनकी प्रतिमा को स्थापित किया गया। यहां उनका इतिहास भी दर्ज किया जाएगा। एएसआई के सहयोग से महल के जीर्णोद्धार की भी योजना बनाई जा रही है। कमलापति महल को संवारने पर करीब 15 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। 2011 में बड़ा तालाब पर राजा भोज की प्रतिमा की स्थापना व अनावरण किया गया था।
प्रतिमा के लिए 16 फीट डायमीटर का प्लेटफार्म

छोटे तालाब पर आर्च ब्रिज और रानी कमलापति महल के ठीक बीच में प्रतिमा की स्थापना की गई है। यहां पर छोटे तालाब की गहराई करीब 30 फ ीट है। पानी के अंदर ही 16 फ ीट डायमीटर का प्लेटफ ॉर्म और भव्य सिंहासन तैयार किया गया। यहां आकर्षक लाइटिंग की जाएगी। पूरे प्रोजेक्ट पर 2.़66 करोड़ रुपए खर्च हुए। 300 साल पहले बने सात मंजिला कमलापति महल का कुछ हिस्सा पानी में डूबा हुआ है। 1989 से यह महल भारतीय पुरातत्व संरक्षण के अधीन है।
आर्चब्रिज के मई तक पूरा होने की उम्मीद
आर्चब्रिज निर्माण की लागत 39 करोड़ रुपए हैं। अभी एप्रोच नहीं बन पा रही है। कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का कहना है कि कब्रस्तान से एप्रोच निकाली जा रही, जो गलत है। इसमें तीन मकान भी बाधक है। हालांकि निगम के इंजीनियर सभी विवादों का निपटारा करते हुए मई 2020 में काम पूरा करने की बात कह रहे हैं।
निगम आयुक्त विजय दत्ता से सीधी बात
सवाल- रानी कमलापति प्रतिमा अनावरण की अनुमति को लेकर स्थिति स्पष्ट करें?

जवाब- हमें प्रशासन की ओर से कार्यक्रम की अनुमति नहीं मिली थी।
सवाल- बिना अनुमति निगम की ओर से कार्यक्रम की व्यवस्था और कार्ड प्रकाशन कैसे हुआ?
जवाब- सुबह ही प्रभारी मंत्री से चर्चा हुई, उन्होंने अनुमति का पूछा तो हमने इंकार किया। इसलिए वे कार्यक्रम में नहीं आए। शनिवार को ही बोला था कि अनुमति नहीं है कार्यक्रम रोक दें।
सवाल- जब अनुमति नहीं थी तो निगम के तीन अपर आयुक्त व अमला क्या कर रहा था?
जवाब- हम सुबह सभी को यही समझा रहे थे कि अनुमति नहीं है, अनावरण टाल दीजिए, लेकिन ये हो गया। अब जांच करेंगे कि कौन इसमें दोषी है, कार्रवाई की जाएगी।

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