मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आयकर विभाग की जांच में विधानसभा चुनाव के दौरान 30 विधायकों ने शपथ पत्र में बताई गई आय और पांच साल के आयकर रिटर्न में बताई गई आय में काफी फर्क आ रहा है। इनमें से 16 विधायकों को आयकर विभाग ने सम्मान जारी कर जवाब मांगा है। इन विधायकों को 15 दिन में जवाब देना है।
रद्द हो सकती है सदस्यता
जिन 30 विधायकों की आय में फर्क मिला है, उनमें से भाजपा के 5, कांग्रेस के 9 विधायक और एसपी और बीएसपी के एक-एक विधायक भी शामिल हैं।
आयकर विभाग की जांच में फंसे विधायक यदि संतोषजनक जवाब नहीं देते हैं तो उनके चुनाव के दौरान दिए गए शपथ-पत्र और आयकर रिटर्न में फर्क के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश और इलेक्शन कमीशन की गाइडलाइंस के आधार पर उनकी विधानसभा से सदस्यता रद्द की जा सकती है।
-प्रत्याशियों के 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान दिए गए शपथ-पत्र की जांच की गई।
-इसमें प्रत्याशियों की ओर से दिए गए शपथ पत्र में घोषित संपत्ति का मिलान किया जाएगा और पिछले पांच साल के आयकर रिटर्न में घोषित व्यवसाय, आमदनी समेत कुल जायदाद का आंकलन किया जाएगा।
-आयकर विभाग की जांच के बाद यदि चुनाव आयोग कोई कार्रवाई करता है तो स्पष्ट है कि सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (एसपी) और बीएसपी के विधायकों को होगा। यदि ऐसा होता है तो अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस की कमलनाथ सरकार संकट में आ सकती है।