गिर-141 का जन्म गुजरात में 10 मार्च 2015 को हुआ है। एक साल की उम्र में इसे खरीदकर मध्यप्रदेश के भोपाल स्थित सेंट्रल सीमेन सेंटर में लाया गया था। बड़े सींग वाले यह सांड बहुत ही कीमती होते हैं। लेकिन इनके पैरों के करीब जाने के लिए आपको जैविक सुरक्षा सूट की आवश्यकता होती है। पिछले कुछ महीनों से इसके वीर्य की मांग काफी बढ़ रही है।
स्वदेशी नस्ल में हो रहा है सुधार
वहीं एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए एक अधिकारी ने तर्क दिया कि एमपी प्राधिकरण अभी भी इसके सीमेन को राज्य के बाहर साझा करने की स्थिति में नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें पहले स्थानीय स्वदेशी नस्लों में सुधार करना होगा।
देश में हैं 53 सीमेन सेंटर
अभी पूरे देश में 53 सीमेन सेंटर हैं, जहां नस्ल सुधार के लिए सीमेन खुराक के लिए उच्छ गुणवत्ता वाले बैल रखे जाते हैं। प्रत्येक बैल का डेटा केंद्र सरकार के पास उपलब्ध है, जो देश के सर्वश्रेष्ठ सांड का दर्जा देता है। गिर-141 को भारत में सबसे अच्छे सांड के रूप में पहचाना गया है। भोपाल सीमेने सेंटर के प्रबंधक दीपाली देशपांडे ने कहा कि हमें इसे लेकर गर्व है। उन्होंने बताया कि गुजरात से लाने के बाद करीब डेढ़ साल पहले इससे सीमेन कलेक्शन का काम शुरू हुआ है।
अभी पूरे देश में 53 सीमेन सेंटर हैं, जहां नस्ल सुधार के लिए सीमेन खुराक के लिए उच्छ गुणवत्ता वाले बैल रखे जाते हैं। प्रत्येक बैल का डेटा केंद्र सरकार के पास उपलब्ध है, जो देश के सर्वश्रेष्ठ सांड का दर्जा देता है। गिर-141 को भारत में सबसे अच्छे सांड के रूप में पहचाना गया है। भोपाल सीमेने सेंटर के प्रबंधक दीपाली देशपांडे ने कहा कि हमें इसे लेकर गर्व है। उन्होंने बताया कि गुजरात से लाने के बाद करीब डेढ़ साल पहले इससे सीमेन कलेक्शन का काम शुरू हुआ है।
ये है इसका डाइट चार्ट
वहीं, गिर-141 का डाइट चार्ट भी स्पेशल है। इसे हर दिन दानेदार अनाज 24 किग्रा, 10 किग्रा गेहूं के भूसे और चार किग्रा हरे चारे, प्रोटीन सप्लीमेंट, अनाज और चोकर का मिश्रण 4 किग्रा, इसके साथ ही 100 ग्राम मिनरल मिश्रण भी इसे दिया जाता है। पूरे दिन में ये सारी चीजें मिलाकर इसे कई बार खिलाया जाता है। सीमेन सेंटर के लोग ही तय करते हैं कि इसे कब क्या खिलाना है। इसके साथ ही जैविक सुरक्षा किट के बिना कोई इसके करीब नहीं जा सकता है। हर तीन महीने के बाद इसके मेडिकल चेकअप भी होता है।
वहीं, गिर-141 का डाइट चार्ट भी स्पेशल है। इसे हर दिन दानेदार अनाज 24 किग्रा, 10 किग्रा गेहूं के भूसे और चार किग्रा हरे चारे, प्रोटीन सप्लीमेंट, अनाज और चोकर का मिश्रण 4 किग्रा, इसके साथ ही 100 ग्राम मिनरल मिश्रण भी इसे दिया जाता है। पूरे दिन में ये सारी चीजें मिलाकर इसे कई बार खिलाया जाता है। सीमेन सेंटर के लोग ही तय करते हैं कि इसे कब क्या खिलाना है। इसके साथ ही जैविक सुरक्षा किट के बिना कोई इसके करीब नहीं जा सकता है। हर तीन महीने के बाद इसके मेडिकल चेकअप भी होता है।
25,000 सीमेन बेचे गए हैं
वहीं, गिर-141 के एक सीमेन की कीमत 24 रुपये है, अब तक करीब 25,000 हजार सीमेन बेचे जा चुके हैं। वहीं, अन्य राज्यों से इसकी डिमांड को देखते हुए इसकी कीमत बढ़ सकती है। वहीं, इसके सीमेन के प्रयोग करने वाले सेंटर के संचालक कहते हैं कि हमलोग देश के विभिन्न हिस्सों से सांड का पता लगाते रहते हैं। गिर-141 के सीमेन से हमेशा स्वस्थ बछड़ों का जन्म हुआ है। इसके परिणाम अब तक बहुत अच्छे मिले हैं।
वहीं, गिर-141 के एक सीमेन की कीमत 24 रुपये है, अब तक करीब 25,000 हजार सीमेन बेचे जा चुके हैं। वहीं, अन्य राज्यों से इसकी डिमांड को देखते हुए इसकी कीमत बढ़ सकती है। वहीं, इसके सीमेन के प्रयोग करने वाले सेंटर के संचालक कहते हैं कि हमलोग देश के विभिन्न हिस्सों से सांड का पता लगाते रहते हैं। गिर-141 के सीमेन से हमेशा स्वस्थ बछड़ों का जन्म हुआ है। इसके परिणाम अब तक बहुत अच्छे मिले हैं।
मप्र पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के प्रबंध निदेशक एच बी एस भदोरिया ने कहा कि गिर-144 देश का सबसे अच्छा सांड है। “यह केंद्र सरकार द्वारा प्रमाणित किया गया है। प्रमाणीकरण दूध की उपज क्षमता पर आधारित था। गिर-141 की मां की दूध क्षमता 305 दिनों में 7,468 लीटर थी, जो देश में अब तक की सबसे अधिक है। इस बैल का उपयोग भविष्य की पीढ़ियों के लिए अपनी मां की आनुवंशिक क्षमता को स्थानांतरित करने के लिए किया जा रहा है और परिणाम उम्मीद से बेहतर हैं।