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भोपाल की इस निशानेबाज ने पटियाला में जीता भारत का दिल, जानें सफलता की कहानी

locationभोपालPublished: Dec 29, 2016 03:28:00 pm

Submitted by:

sanjana kumar

17 वर्षीय मनीषा कीर भोपाल से सटे गोरेगांव के एक गरीब परिवार में जन्मीं। उनके पिता कैलाश कीर पेशे से मछुआरे हैं। वे बड़ी झील में आज भी मछली पकडऩे का व्यवसाय करते हैं। जानें उनके संघर्षों से सफलता तक की कहानी…

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भोपाल। दो दिन पहले पटियाला में निशाना लगाकर देश की नंबर वन शूटर बनी मध्यप्रदेश की मनीषा कीर को वल्र्ड कप इंडियन टीम के लिए चुना गया है। ट्रेप जैसी निशानेबाजी में देशभर में नाम कमाने वाली मनीषा कीर के संघर्षों की कहानी जानकर हैरान रह जाएंगे आप…

17 वर्षीय मनीषा कीर भोपाल से सटे गोरेगांव के एक गरीब परिवार में जन्मीं। उनके पिता कैलाश कीर पेशे से मछुआरे हैं। वे बड़ी झील में आज भी मछली पकडऩे का व्यवसाय करते हैं। वे सिंघाड़े की खेती भी करते हैं। मनीषा के चार भाई हैं। 

देश की इकलौती शूटर
मनीषा देश की एकलौती ऐसी शूटर हैं, जो जूनियर शूटर्स में नंबर वन रह चुकी हैं और अब सीनियर शूटर्स में भी उन्होंने नंबर वन पर जगह बना ली है। 

पिता से सीखा मछली भेदना
मनीषा ने अपने पिता से मछली को भेदना सीखा। उनके मुताबिक मछली का मूवमेंट जानने के लिए शांत मन से अंदाजा लगाना होता हैै कि मछली किधर है। इस कला में उन्हें उनके पिता ने ही निपुण बनाया है। इस निपुणता का लाभ उन्हें अपने शूटर्स के कॅरियर में मिला। 

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उड़ती चिडिय़ा पर निशाना लगाने की कला कोच मनशेर सिंह ने उन्हें सिखाई। अपनी इसी कला के दम पर आज वह देश की नंबर वन शूटर बन गई है।

कभी नहीं पकड़ी थी बंदूक
मनीषा के मुताबिक 2013 से पहले उन्होंने कभी बंदूक नहीं पकड़ी थी, लेकिन उसी साल मई में अकादमी में प्रवेश लेनक के बाद उन्होंने बंदूक से शूटिंग की प्रेक्टिस शुरू की।

इंटरनेशनल शूटिंग में जीत चुकी हैं स्वर्ण
पिछले साल मनीषा ने फिनलैंड में अंतरराष्ट्रीय शूटिंग में स्वर्ण जीता। तब उन्हें लगा कि उनका प्रयास सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। यही अहसास उनके आत्मविश्वास को बढ़ा गया। 

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अब उनका अगला पड़ाव है 2020 ओलिंपिक जिसमें उन्हें स्वर्णपदक के लिए हर संभव प्रयास करना है। 

सबसे कठिन विधा है ट्रेप शूटिंग
मनीषा ट्रेप शूटर हैं। शूटिंग में ट्रेप सबसे कठिन विधा मानी जाती है। इसमें आवाज के साथ क्ले बर्ड निकलती है जिस पर निशाना लगाना होता है। इसे उड़ती चिडय़िा भी बोल सकते हैं। लेकिन यह चिडय़िा मिट्टी की होती है और ट्रेप रेंज में लगी मशीनों से आवाज के साथ निकलती है, जो स्पीड के साथ आगे को जाती है। इन्हीं पर निशाना लगाना होता है ट्रेप।
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