2003 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद इस लोकसभा मैदान में उतरे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के लिए यह चुनाव साख का विषय बन गया है तो इनको घेरने की नीयत से प्रज्ञा को मैदान में लाकर संघ ने इस चुनाव को नाक का सवाल बना लिया है।
एक ओर अंकों का जादूगर और तगड़ा चुनाव प्रबंधक है जो एक-एक बूथ पर पिछले चुनाव परिणामों के अनुसार रणनीति बनाकर चले हैं तो दूसरी ओर भावनाओं, सहानुभूति और हिंदुत्व एजेंडा के दम पर प्रज्ञा मैदान में डटी हैं।
दोनों ही प्रत्याशी अतीत का बोझ ढोते नजर आए हैं। दिग्विजय कर्मचारियों से दूरी का दर्द महसूस करते दिखे और दो बार माफी भी मांगी। इधर, प्रज्ञा मालेगांव ब्लास्ट और हिंदू आतंकवाद पर लगातार सफाई देती रहीं।
भोपाल के रणक्षेत्र में आते ही हेमंत करकरे पर दिए बयान के बाद भी प्रज्ञा और भाजपा के बड़े नेता डैमेज कंट्रोल करते दिखाई दिए। मराठी समाज की नाराजगी दूर करने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को आना पड़ा। वहीं, भाजपा उपाध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे ने भी मैदान संभाला।
रणनीतिक तौर पर प्रज्ञा को घेरने में कांग्रेस को सफलता भी मिली। बाबरी मस्जिद के संबंध में दिए बयान पर प्रज्ञा पर तीन दिन की सख्ती हुई। उनके नाम का ऐलान भी देरी से हुआ था। इन कारणों से प्रज्ञा प्रचार के मामले में दिग्विजय से पिछड़ गईं।
दिग्विजय के साथ प्रचार में हर घड़ी कदमताल कर रहे मंत्री पीसी शर्मा जीत के प्रति आश्वस्त नजर आए। उन्होंने कहा- दिग्विजय ने व्यर्थ के विवाद में न पड़कर शानदार तरीके से जनसंपर्क किया। वे समाज के हर वर्ग से अलग अलग मिले।
भाजपा के प्रचार में खास भूमिका निभा रहे महापौर आलोक शर्मा का कहना है कि हमें मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में जैसा समर्थन मिला है, उससे भाजपा की जीत निश्चित है।
कांग्रेस के जीत के सपने सपने ही रह जाएंगे। इधर आम वोटर मुद्दों को लेकर मुखर है। बोट क्लब पर घूमने आए युवा आशुतोष खरे कहते हैं कि तालाब की दुर्दशा देख दुख होता है।
शहर की शान को जो बचा सकेगा, मैं उसी के साथ हूं। सिटिजन फोरम के अध्यक्ष आफाक अहमद कहते हैं, पढ़ा-लिखा मुस्लिम तबका सबसे पहले अमन और शांति चाहता है।
बैरसिया के किसान पदम सिंह ठाकुर ने कहा कि किसानों में कर्जमाफी को लेकर खासा असंतोष है। कांग्रेस की 72 हजार की योजना की चर्चा यहां जरूर है।
भाजपा की सबसे सुरक्षित सीट भोपाल में जीत के लिए कांग्रेस ने भाजपा के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है। दिग्विजय सिंह के समर्थन में कंप्यूटर बाबा के नेतृत्व में साधु संतों का समागम यहां सैफिया कॉलेज परिसर में हुआ।
रोड शो में बाबाओं के हाथ में केसरिया पताका और कांग्रेस के झंडे दिग्विजय सिंह की रणनीति के परिचायक बने। शाम को यहीं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ दिग्गज एकजुट हुए।
सुबह से रात तक चौक बाजार केसरिया रंग में रंगा रहा। यहीं के सराफा कारोबारी नवनीत अग्रवाल कहते हैं कि राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर यहां चर्चा अधिक है। अमित शाह का आना भी यहां लोगों की चर्चा का विषय बना हुआ है।