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आरटीआई से जानकारी न देने पर सूचना आयोग ने कार्यपालन यंत्री पर ठोका 10 हजार का जुर्माना

locationभोपालPublished: Aug 10, 2022 09:28:49 pm

दरअसल आयोग में सतना जिले के राजीव कुमार खरे ने शिकायत दर्ज करवाई थी कि कार्यपालन यंत्री गृह निर्माण मंडल से उन्होंने कुल भवनों की संख्या निर्माण के स्थान और रिक्त भवनों की जानकारी चाही थी लेकिन उनके आरटीआई आवेदन को सिर्फ इसलिए खारिज कर दिया क्योंकि उन्होंने आरटीआई की निर्धारित फीस को नॉन ज्यूडिशियल स्टॉप के जरिए जमा कराई थी।

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राज्य सूचना आयोग ने एक शिकायत प्रकरण का निराकरण करते हुए गृह निर्माण मंडल के कार्यपालन यंत्री केएल अहिरवार पर 10 हजार रूपए का जुर्माना लगाया है। आयोग में अगले 30 दिनों में जुर्माना राशि जमा करने के आदेश जारी किए हैं। दरअसल आयोग में सतना जिले के राजीव कुमार खरे ने शिकायत दर्ज करवाई थी कि कार्यपालन यंत्री गृह निर्माण मंडल से उन्होंने कुल भवनों की संख्या निर्माण के स्थान और रिक्त भवनों की जानकारी चाही थी लेकिन उनके आरटीआई आवेदन को सिर्फ इसलिए खारिज कर दिया क्योंकि उन्होंने आरटीआई की निर्धारित फीस को नॉन ज्यूडिशियल स्टॉप के जरिए जमा कराई थी। जबकि विभाग ये इस फीस को नगद के रूप में स्वीकार करने की बात कही।

किसी भी रूप में जमा कर सकते हैं फीस

राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया कि आरटीआई की फीस कोई भी आवेदक पोस्टल ऑर्ड, डिमांड ड्राफ्ट, नॉन ज्यूडिशियल स्टॉप या ऑनलाइन चालान के माध्यम से जमा कर सकता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकरण में जब एक बार आरटीआई आवेदक नॉन ज्यूडिशियल स्टॉप से फीस जमा कर चुका है तो उसके द्वारा किए गए खर्च को नजरअंदाज करके कैश में फीस मांगना अनुचित है। आरटीआई फीस एक ही माध्यम विशेष से जमा करने के लिए दवा बनाकर आरटीआई आवेदन को ही निरस्त कर देना गलत है।

कार्यपालन यंत्री ने दिया आयोग को तर्क

कार्यपालन यंत्री के एल अहिरवार ने आयोग के समक्ष अपने बचाव में कहा कि 2008 में विभागीय स्तर के सर्कुलर जिसमें सिर्फ नगद में आरटीआई फीस जमा कराने के आदेश थे। लेकिन आयोग ने इस प्रकरण में जांच करते हुए यह पाया कि 2008 के बाद मध्यप्रदेश शासन की ओर से एक सर्कुलर 2010 में भी जारी हुआ था जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि आरटीआई किसी भी माध्यम से ली जा सकती है।

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