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योग के साथ प्राकृतिक चीजों को बढ़ावा देने की पहल

locationभोपालPublished: Dec 20, 2018 07:25:50 pm

Submitted by:

Rohit verma

फ्रेश जूस और एक्यूप्रेशर ट्रेक देने वाले शहर में 12 केन्द्र विकसित

Initiative to promote natural things with yoga

योग के साथ प्राकृतिक चीजों को बढ़ावा देने की पहल

भोपाल. आधुनिक जीवन की भागदौड़ व गलत खान-पान के चलते बिगड़ते स्वास्थ्य को सुधारने के लिए राजधानी में 2-3 वर्षों से ताजा रसाहार और एक्युप्रेशर का चलन तेजी से बढ़ा है। इससे लोगों को काफी राहत मिल रही है, जिसके चलते सुबह-शाम रसाहार करने वालों और एक्युप्रेशर यूज करने वालों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। इस समय शहर में रसाहार के छोटे-छोटे कई केन्द्र शुरू हो गए हैं, जहां मौसमी फलों व सब्जियों समेत कई तरह का रस उपलब्ध कराया जा रहा है।

एमपी नगर स्थित गायत्री शक्तिपीठ में 18 नवम्बर 2012 को एक्युप्रेशर ट्रैक शुरू किया गया था। इस ट्रैक पर तीन अलग-अलग रंगों के पाथ-वे हैं। इन पर नंगे पैर चलने से अलग-अलग रोगों में फायदा होता है। पहले तो कम लोग इस पर टहलने आते थे, लेकिन इस समय सुबह-शाम इस ट्रैक पर टहलने वालों की संख्या एक हजार से काफी अधिक हो गई है। चार इमली में एएसपी शैलेन्द्र सिंह चौहान के आवास समेत कुछ अधिकारियों के आवास में ऐसे एक्युप्रेशर पाथ हैं।

 

शक्तिपीठ के युवा प्रकोष्ठ के प्रदीप मिश्रा बताते हैं कि रसाहार केन्द्र सुबह 5.30 बजे से 10.30 बजे तक और शाम को 4.00 से 8.30 बजे तक आंवला, एलोवेरा, लौकी, करेला, चुकंदर, गाजर, नींबू-शहर, ज्वारा, नारियल, बेल, जामुन आदि का रस मिलता है।

अंकुरित अन्न, गाय का पंचगव्य आदि भी उपलब्ध रहता है। इस केन्द्र से सीखने के बाद लोगों ने शहर में 10-15 रसाहार केन्द्र खोल लिए हैं। शिवाजी नगर स्थित अंकुर कॉम्प्लेक्स से मां गायत्री अमृत रसाहार केन्द्र को वैद्य शिवकुमार ङ्क्षसह ने शुरू किया।

 

उन्होंने अपने 65 वर्ष के लंबे जीवन में प्राकृतिक आहार-विहार का सकारात्मक प्रभाव चिकित्सा में देखते हुए एमपी नगर गायत्री मंदिर में रसाहार का प्रयोग शुरू किया था। उस समय 05 प्रतिशत ही बच्चे और युवा रसाहार के लिए आते थे। फायदे जानने के बाद आज वहां रसाहार करने वालों में पचास प्रतिशत बच्चे और युवा होते हैं। आज शहर में उनके यहां तैयार होने वाले रसाहार के कई केन्द्र संचालित हो रहे हैं।

बढ़ रहा है प्रयोग शीतल पेय के नाम पर कई प्रोडक्ट सेहत को नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे में ज्वारा, हरी पत्तियों, लौकी आदि का फ्रेश जूस लेना चाहिए। खट्टा जूस आंवला, नींबू आदि जूस 5-6 घंटे तक ले सकते हैं। आयुर्वेद में पहली कल्पना षड्विधि में पहली रसविधि है, जिसमें रस तुरंत पीने की सलाह दी गई।
– वैद्य संजय शर्मा, आयुर्वेद मर्मज्ञ एवं क्वालिटी कंट्रोल हेड, विंध्य हर्बल्स

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