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Inside Story: विकास दुबे की गिरफ्तारी या फिर सेफ सरेंडर, जानें सच्चाई

locationभोपालPublished: Jul 09, 2020 04:47:54 pm

आठ पुलिसकर्मियों के हत्या का आरोपी विकास दुबे की गिरफ्तारी ने एमपी और यूपी की सियासत में भूचाल ला दिया है…

Inside Story: विकास दुबे की गिरफ्तारी या फिर सेफ सरेंडर, जानें सच्चाई

Inside Story: विकास दुबे की गिरफ्तारी या फिर सेफ सरेंडर, जानें सच्चाई

भोपाल. आठ पुलिसकर्मियों के हत्या के आरोपी विकास दुबे की गिरफ्तारी के बाद यूपी-एमपी की सियासत में भूचाल आ गया है। गिरफ्तारी की सूचना फैलने के साथ ही तरह-तरह के सवाल उठने लगे। सोशल मीडिया भी पक्ष-विपक्ष के आरोपों से पट गई। सत्ता पक्ष से जुड़े नेता इसे अपनी कामयाबी बता रहे हैं तो विपक्ष राजनीतिक सरेंडर करार देकर सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहा है। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मध्पप्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीसी शर्मा ने भी सवाल उठाए हैं।

https://twitter.com/yadavakhilesh/status/1281092640369508352?ref_src=twsrc%5Etfw
https://twitter.com/INCChhattisgarh/status/1281105207527485443?ref_src=twsrc%5Etfw
दरअसल, जब हम विकास दुबे से जुड़े मामले को लेकर तहतक जाते हैं तो यह अपराध और राजनीतिक गठजोड़ की ओर इशारा करता है। साथ ही अगर आप सोशल मीडिया का अध्ययन करते हैं तो पाते हैं कि किस प्रकार आठ पुलिसकर्मियों के हत्या के आरोपी के पक्ष में भी पोस्ट लिखी जा रही थी। यानी एक तबका सक्रिय था जो उसे जाति विशेष का नेता बताकर सुरक्षित करना चाहता था।
https://twitter.com/pcsharmainc/status/1281099929419542528?ref_src=twsrc%5Etfw
https://twitter.com/drnarottammisra/status/1281094597251198978?ref_src=twsrc%5Etfw
दरअसल, सोशल मीडिया पर किसी अपराधी के पक्ष में की गई पोस्ट आम बात नहीं हो सकती है। यह दर्शाता है कि विकास का राजनीतिक रसूख कितना था। सत्ता किसी की भी हो लेकिन हमेशा वह उसका भोगी रहा। यही कारण रहा कि क्षेत्रीय राजनीति में उसका कोई विरोध नहीं करना चाहता था। 2015 में विकास की पत्नी रिचा दुबे ने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीता।
Inside Story: विकास दुबे की गिरफ्तारी या फिर सेफ सरेंडर, जानें सच्चाई
अब जरा सोशल मीडिया पर दोड़ रही तस्वीरों का विश्लेषण करेंगे तो पाएंगे कि विकास हमेश बड़े नेताओं और अधिकारियों के संपर्क में रहता था। एक दिन पहले ही यूपी के चर्चित आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने फेसबुक पर एक तस्वीर पोस्ट कर यूपी के एक आईएएस पर सवाल खड़ा कर दिया था। साथ ही तंज भी किया था।
https://www.dailymotion.com/embed/video/x7uwmon
जातीय राजनीति तो कहीं पीछे नहीें


दरअसल, विकास के राजनीतिक रसूख का अंदाजा इससे भी लगा सकते हैं कि कुछ समय के अंदर वह ब्राह्मण चेहरे के रूप में तेजी से उभर गया, उसके एनकाउंटर पर ब्राह्मण नेताओं के सामने बड़ा संकट खड़ा हो सकता था। सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ धारणा बनाई जा सकती थी। वैसे भी यूपी में हाता और मठ की लड़ाई को ब्राह्मण बनाम क्षत्रीय माना जाता है। योगी आदित्यनाथ जब सत्ता में आते हैं तो सबसे पहले उन्होंने यूपी के बाहुबली और पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के आवास यानी हाता पर दबिश दिलवाई थी। इसके बाद यूपी में ब्राह्मणों का बड़ा तबका योगी से नाराज हो गया और बीजेपी को डैमेज कंट्रोल करने के लिए गोरखपुर सीट से हुए उपचुनाव में ब्राह्मण चेहरे को मैदान में उतारना पड़ा, फिर भी योगी की इस सीट पर बीजेपी को हार मिली थी। इसके बाद बीजेपी ने कई ब्राह्मण चेहरों को महत्वपूर्ण स्थान दिया। हालांकि योगी को अब भी ब्राह्मणों का एक बड़ा तबका नापसंद करता है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा यह भी है कि विकास दुबे को सरेंडर कराने में उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के कई बड़े ब्राह्मण नेताओं और अधिकारियों ने भूमिका निभाई है। ये नहीं चाहते थे कि विकास पुलिस के हत्थे चढ़े और उसे एनकाउंटर में मार दिया जाए। इसलिए जिस अंदाज में महाकाल मंदिर में उसे गिरफ्तार किया गया, उससे लगता है इसके पीछे एक सोची समझी रणनीति है।
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