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क्या मध्यप्रदेश की सियासत में आने वाला है नया मोड़, अब अलग हो रहे हैं दो भाइयों के रास्ते?

locationभोपालPublished: Nov 16, 2019 12:30:23 pm

Submitted by:

Pawan Tiwari

कमल नाथ सरकार के कई मंत्रियों की नाराजगी की खबरें भी सामने आईं थीं।

क्या मध्यप्रदेश की सियासत में आने वाला है नया मोड़, अब अलग हो रहे हैं दो भाइयों के रास्ते?

क्या मध्यप्रदेश की सियासत में आने वाला है नया मोड़, अब अलग हो रहे हैं दो भाइयों के रास्ते?

भोपाल. मध्यप्रदेश की सियासत में एक बार फिर से नया मोड़ देखने को मिल सकता है। मध्यप्रदेश में कमल नाथ सरकार पर उनके ही विधायक हमलावर हो रहे हैं। तो कई नेता कमल नाथ के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के भी नाराजगी की खबरें आईं तो वहीं, वन मंत्री उमंग सिंघार के लिए भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। लेकिन इन सबके बीच इस बार प्रदेश की सियासत का केन्द्र दो भाई हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और उनके भाई लक्ष्मण सिंह की। लक्ष्मण सिंह, सीएम कमल नाथ पर हमलावर हैं तो दिग्विजय सिंह, कमल नाथ के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं।
लक्ष्मण ने बताया था मजबूर सीएम
दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह चाचौड़ा विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक हैं। हाल ही में उन्होंने मुख्यमंत्री कमल नाथ पर हमला बोलते हुए कहा था कि, कमल नाथ मजबूर नहीं बल्कि मजबूत सीएम बनें। चाचौड़ा में पत्रकारों से बात करते हुए लक्ष्मण सिंह ने कहा था कि कमलनाथ जी आप मजबूत मुख्यमंत्री बनकर काम करें, मजबूर मुख्यमंत्री बनकर काम मत करिए। अभी तक जो भी प्रयास हो रहे हैं वह यह कि सरकार बचाओ, बचाओ, बचाओ। हम भी चाहते हैं कि ये सरकार पांच सालों तक चले लेकिन जब तक चल रही है तब तक चल रही है।
दिग्विजय ने बताया मजबूत सीएम
वहीं, अपने भाई के बयान पर दिग्विजय सिंह ने इशारों में भी जवाब दिया। दिग्विजय सिंह ने भोपाल मे पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि किसी भी विधायक को जनता के सामने इस तरह के बयान नहीं देना चाहिए। पार्टी फोरम में भी बात रखी जा सकती है। उन्होंने कहा कि कमल नाथ एक मजबूत सीएम हैं। दिग्विजय ने कहा था- लक्ष्मण सिंह एक अनुभवी नेता हैं और कमल नाथ जी से उनके बेहतर संबंध भी हैं। ऐसे में उन्हें ऐसे बयान देने से बचना चाहिए।
दिग्विजय के घर में किया था प्रदर्शन
पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह अपनी ही सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ चुके हैं। लक्ष्मण सिंह ने कमल नाथ सरकार के खिलाफ अपने बड़े भाई और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के भोपाल स्थिति बंगले के बाहर धरना दिया था। इस दौरान उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने चाचौड़ा को जिला बनाने की घोषणा की है। हम चाहते हैं कि जो घोषणा की गई है उसे लागू कर दिया जाए। हम कोई नई मांग नहीं कर रहे हैं।
शिवराज सिंह से भी कर चुके हैं मुलाकात
लक्ष्मण सिंह शिवराज सिंह चौहान से भी मुलाकात कर चुके हैं। दिग्विजय सिंह के घर के बाहर धरना देने के अगले ही दिन लक्ष्मण सिंह, शिवराज सिंह चौहान से मिलने उनके आवास पर पहुंचे थे। इस दौरान कई तरह की अटकलें लगाई गईं थीं। लेकिन शिवराज और लक्ष्मण सिंह ने साफ किया था कि दोनों नेता पहले से ही अच्छे दोस्त हैं और ये एक सौजन्य मुलाकात थी।
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क्या पार्टी में हो रही है उपेक्षा
लक्ष्मण सिंह कांग्रेस के बड़े नेता हैं, लेकिन उनके पास पार्टी की कोई अहम जिम्मेदारी नहीं है। 15 सालों बाद 2018 में मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है। सरकार बनने के बाद ये अटकलें लगाई जा रही थी कि मंत्रिमंडल में वरिष्ठ नेताओं को मौका मिलेगा लेकिन लक्ष्मण सिंह को कमल नाथ मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया। जबकि दो बार के विधायक जयवर्धन सिंह को प्रदेश का मंत्री बना दिया गया। मंत्रिमंडल के चयन को लेकर लक्ष्मण सिंह ने कहा था कि कांग्रेस में मंत्रिमंडल का चयन पांच सितारा होटलों में बैठकर चंद लोग करते हैं।
क्या मध्यप्रदेश की सियासत में आने वाला है नया मोड़, अब अलग हो रहे हैं दो भाइयों के रास्ते?
पांच बार सांसद रहे हैं लक्ष्मण सिंह
दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह, राजगढ़ संसदीय सीट से पांच बार सांसद रह चुके हैं। 1994 में राजगढ़ लोकसभा सीट से सांसद बने थे उसके बाद लक्ष्मण सिंह 1996, 1998, 1999 और 2004 के चुनाव में भी जीत हासिल की। 2004 का चुनाव उन्होंने भाजपा के टिकट पर लड़ा था। लक्ष्मण सिंह कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में शामिल हुई थे। 2009 का चुनाव भाजपा के टिकट पर हराने के बाद वो दोबारा कांग्रेस में शामिल हो गए थे। भाजपा नेताओं से उनके अच्छे संबंध बताए जाते हैं।
लक्ष्मण हमलावर तो दिग्विजय बचाव में
लक्ष्मण सिंह लगातार अपनी सरकार और पार्टी पर हमला कर रहे हैं लेकिन दिग्विजय सिंह बचाव की मुद्रा में रहते हैं। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार पर लक्ष्मण सिंह ने पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व पर सवाल उठाए थे तो दिग्विजय सिंह ने पार्टी नेतृत्व पर सवाल नहीं उठाए थे। वहीं, लक्ष्मण सिंह प्रदेश में हो रहे ट्रांसफर पर भी सवाल उठा चुके हैं।
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