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भोपाल

3 प्रत्याशियों के सहारे 6.5% आबादी पर फोकस, मुस्लिम के 90 फीसदी वोट पड़े तो क्या जीत जाएगी कांग्रेस?

3 प्रत्याशियों के सहारे साढ़े छह फीसदी आबादी पर फोकस, मुसलमानों के 90 फीसदी वोट पड़े तो क्या जीत जाएगी कांग्रेस ?

भोपालNov 22, 2018 / 03:10 pm

shailendra tiwari

mp election

3 प्रत्याशियों के सहारे साढ़े छह फीसदी आबादी पर फोकस, मुसलमानों के 90 फीसदी वोट पड़े तो क्या जीत जाएगी कांग्रेस ?

पवन तिवारी की रिपोर्ट

भोपाल. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में वोटिंग से पहले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का एक वीडियो वायरल हुआ है। वायरल वीडियो में कमलनाथ मुस्लिम समुदाय की बैठक में मुस्लिम बूथों में वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने की बात करते दिखाई दे रहे हैं। वायरल वीडियो में कमलनाथ कहते दिख रहे हैं कि मुस्लिम बहुल बूथों पर अगर 90 प्रतिशत से कम मतदान होगा तो कांग्रेस को नुकसान होगा। उन्हें आदिवासियों के वोट नहीं चाहिए क्योंकि आदिवासियों के वोट भाजपा को भी मिलते हैं जिस कारण वोट विभाजित हो जाते हैं। कमलनाथ का वीडियो वायरल होने के बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई है। ऐसे में एक सवाल यह भी उठता है कि मुसलमानों से 90 फीसदी वोट मांगने वाली कांग्रेस मुसलमानों की कितनी पैरोकार या हितैषी है और मध्यप्रदेश में मुस्लिम वोटर्स पर फोकस क्यों कर रही है?

मुस्लिम वोटर नहीं है निर्णायक: अगर बात करें मध्य प्रदेश की सियासत में मुस्लिम मतदाताओं की तो देश के अन्य राज्य जैसे कि उत्तर प्रदेश, असम और बिहार की तरह मुस्लिम मतदाता मध्यप्रदेश में जीत-हार में निर्णायक भूमिका नहीं निभाते हैं। इसके बाद भी कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल प्रदेश में मुस्लिम वोटर्स को लुभाने की कोशिश में लगे हैं। मध्यप्रदेश में 230 विधानसभा सीटें हैं। भाजपा और कांग्रेस की दोनों ही दलों ने मुस्लिम समाज के उम्मीदवारों पर दांव लगाने में कंजूसी दिखाई है। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस को मिलाकर केवल 4 उम्मीदवार मैदान में हैं। कांग्रेस ने 3 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने भोपाल उत्तर से आरिफ अकील, भोपाल मध्य से आरिफ मसूद और सरोंज से मसर्रत शहीद को टिकट दिया है। वहीं, भाजपा ने केवल एक मुस्लिम को टिकट दिया है। भाजपा ने फातिमा रसूल सिद्दकी को भोपाल उत्तर से चुनावी मैदान में उतारा है।
प्रदेश में आबादी करीब साढे़े छह फीसदी: मध्यप्रदेश में मुसलमानों की आबादी करीब साढ़े छह फीसदी है। जबकि मुस्लिम वोटर करीब 40 लाख हैं। मध्य प्रदेश के 52 जिलों में करीब 19 जिले ऐसे हैं जहां मुसलमानों की आबादी एक लाख के आसपास या उससे ज्यादा है। मुस्लिम बाहुल्य विधानसभा की बात की जाए तो प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से करीब 15 विधानसभा सीटों पर मुसलमानों का प्रभाव है। पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या इतनी भी नहीं की मुस्लिम मतदाता के वोट के सहारे चुनाव जीता जा सके। भोपाल उत्तर विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा 60 फीसदी और बुरहानपुर सीट पर 50 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। वहीं, इंदौर-1, इंदौर-3, भोपाल मध्य, उज्जैन और जबलपुर सीट पर 30 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं। जबकि खंडवा, रतलाम, जावरा और ग्वालियर सीट पर 20 से 25 फीसदी के बीच मुस्लिम मतदाता हैं। शाजापुर, मंडला, नीमच, महिदपुर, मंदसौर, इंदौर-5, नसरुल्लागंज, इछावर, आष्टा और उज्जैन दक्षिण सीट पर करीब 16 फीसदी वोटर हैं।
क्यों चाहिए कांग्रेस को मुस्लिम वोट: आकंड़ों के आधार पर बात की जाए तो केवल मुस्लिम वोटर्स के सहारे मध्यप्रदेश में कांग्रेस चुनाव नहीं जीत सकती है। फिर भी कांग्रेस का फोकस मुस्लिम वोटर्स हैं। भाजपा की छवि हिन्दुत्ववादी और मुस्लिम विरोधी रही है। वहीं, कांग्रेस को मुसलमानों की हितैषी पार्टी माना जाता रहा है। कांग्रेस ने गुजरात विधानसभा चुनावों में अपनी रणनीति बदली थी। उसी रणनीति के आधार पर कांग्रेस मध्यप्रदेश में भी मंदिरों का दौरा कर रही है। हिन्दू मतदाता को साधने के लिए मंदिर तो मुस्लिम वोटर्स को साधने के लिए कांग्रेस आरएसएस पर हमला कर रही है। अब अगर बात मु्स्लिम मतदाताओं से हटकर एससी-एसटी वोटर्स की जाए तो आंकड़ा ठीक उल्टा हो जाता है। 230 में से 35 अनुसूचित जाति जबकि 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। राज्य में लगभग 16 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति वर्ग की है। इसमें 73 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती है। मध्य प्रदेश में दलितों से ज्यादा आदिवासियों की आबादी है। दलित समुदाय की आबादी 6 फीसदी है जबकि यहां आदिवासियों की आबादी करीब 15 फीसदी है।

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