भोपाल। गांव की जो बेटी कभी तैरकर नदी के लहरों का चीरती जाती थी, वो आज नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर नाम रोशन की रही हैं। विभिन्न टूर्नामेंट में कई पदक अपने नाम कर चुकी नमिता चंदेल के पेरेंट्स और कोच को अब भी उनसे बहुत उम्मीदें हैं। कोच के मुताबिक आज वह टीम इंडिया की बेस्ट प्लेयर है। बात मप्र राज्य वाटर स्पोट्र्स अकादमी की करें तो यहां के कोच उन्हें स्टार प्लेयर मानते हैं। नमिता इन दिनों एशियन गेम्स की तैयारी कर रही हैं। गांव की नदी में तैरती थीं अगर आप में कुछ करने का जुनून हो और मजबूत इरादा हो तो आप हर मुश्किल काम को अंजाम दे सकते हैं। ये बातें भोपाल की कयाकिंग एंड कैनोइंग अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी नमिता चंदेल पर सटीक बैठती है। सिवनी जिले के छपारा गांव से ताल्लुक रखने वाली नमिता ने नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर खूब नाम कमाया। नमिता की नदियों की लहरों से खेलने की शुरुआत बचपन में हो गई थी। गांव की बैनगंगा नदी में कभी तैराकी से लहरों की चीरने वाली ये लड़की आज भारत में उभरती हुई कैनो खिलाड़ी है। हाल ही में नमिता कैनो वीमंस वल्र्ड में भारत का प्रतिनिधित्व करके भोपाल लौटी। इस दौरान नमिता ने कैनो खेल का शानदार प्रदर्शन किया। नमिता ने पत्रिका से बताया अपनी जर्नी के बारे में। शुरू से ही खेल में नाम कमाना था 24 वर्षीय नमिता बतातीं हैं कि मुझे बचपन से ही खेल में रुचि रही। खास तौर पर गांव की नदी में दोस्तों के साथ तैरना अच्छा लगता था। मैं स्कूल लेवल पर तैराकी, कबड्डी और एथलेक्सि में प्राइज जीतती थी। फिर मैंने 2010 में अखबार में वाटर स्पोट्र्स अकादमी का एड देखा। मैंने फॉर्म भरा और ट्रायल के बाद मेरा सलेक्शन कयांकिग एंड कैनोइंग में हो गया। यहां कोच देवेंद्र गुप्ता के मार्गदर्शन में मैंने खेल की बारीकियां सींखी। गोल्ड का ठान रखा था बचपन से लहरों को चीरकर हौसला दिखाने वाली नमिता चंदेल को स्वर्णिम सफलता तब मिली जब उसने 2012 में मणिपुर में आयोजित नेशनल टूर्नामेंट में सोना जीता। इसके बाद नमिता ने सोच लिया था कि अब मुझे गोल्ड से नीचे नहीं आना। परिणाम स्वरूप नमिता ने 2013 से 2015 तक लगातार चार नेशनल टूर्नामेंट में लगातार चार स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया। इस दौरान दो रजत पदक भी शामिल हैं। नमिता को विदेशों में अपने खेल का प्रदर्शन दिखाने का मौका 2013 में इंडोनेशिया में आयोजित एशियन चैम्पियनशिप में मिला, लेकिन नमिता में पदक नहीं जीत सकी। नमिता को पहला अंतरराष्ट्रीय पदक 2015 में मिला, जब उन्होंने इंडोनेशिया में आयोजित कैनो इवेंट में रजत पदक जीत। इस जीत के बाद नमिता का आत्मविश्वास और बढ़ता गया। नमिता अपने छह साल के कॅरियर में नेशनल टूर्नामेंटों में 10 गोल्ड, तीन रजत और दो कांस्य पदक जीत चुकीं हैैं। एशियन गेम्स के लिए चल रही है तैयारी नमिता बतातीं हैं कि मेरा अब लक्ष्य इंडोनेशिया के जाकार्ता में होने वाली एशियन चैम्पियनशिप में पदक जीतना है। इससे पहले मैं उज्बेकिस्तान के समरकंध में होने वाले एशिया कप के लिए तैयारी में जुटी हूं। मैं हार्ड वर्किंग कर रही हूं। सुबह और शाम तीन-तीन घंटे की प्रेक्टिस जारी है। गांव वाले करते हैं सम्मान नमिता बताती हैं कि जब भी मैं पदक जीतकर अपने घर जाती हूं तो वहां के लोग और मेरा परिवार स्टेशन लेने पहुंच जाते हैं। हर स्कूल में मेरा सम्मान किया जाता है। मैं भी वहां बच्चों को मोटिवेट करती हूं। मुझे खुशी होती है।