पहली फिल्म से निकाली गई तो मैं खूब रोई
उन्होंने कहा कि मैंने पढ़ाई के बाद फिल्म इंडस्ट्री में आने का फैसला लिया, मैं आउटसाइडर थी तो ऑडिशन देने जाती थी और रिजेक्ट भी होती थी। मेरी पहली फिल्म के लिए मुझे सिलेक्ट कर लिया गया, लेकिन बाद में निकाल दिया गया। जब मुझे ये पता चला तो मैं खूब रोई भी। मैंने पहली बार हॉरर फिल्म 1920 के लिए ऑडिशन दिया था तो रिजेक्ट हो गई थी, लेकिन डायरेक्टर को एक्टिंग पसंद आई तो फिर से लुक टेस्ट लिया। फिर मुझे सिलेक्ट कर लिया गया। मुझे जब ये फिल्म मिली तो कई लोगों ने कहा, पहली फिल्म में इस तरह का रोल करना क्या सही होगा, मैंने इसे चैलेंज के रूप में लिया। फिल्म ऑडियंस को खूब पसंद भी आई। इसके लिए मुझे फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला लेकिन मेरे लिए सबसे बड़ा अवार्ड दर्शकों का प्यार था।
मुझे साइन लैंग्वेज भी आती है
अदा का कहना है कि मैं तमिल परिवार से हूं और साउथ की फिल्में भी कर चुकी हूं। मैंने जब ये फिल्म करनी शुरू की, उस समय मुझे तेलगू नहीं आती थी। मेरी पढ़ाई मुंबई में कॉन्वेंट स्कूल में हुई लेकिन मुझे अलग-अलग भाषाएं सीखना अच्छा लगता है, मैंने हिंदी के साथ साइन लैग्वेंज भी सीखी है। मैं हिंदी फिल्म के डॉयलाग्स कुछ सेकंड में ही बोल लेती हूं तो तेलगू फिल्म के लिए डायलॉग 2 महीने पहले ही लेती हूं और उस पर काम करती हूं। मैंने साउथ की फिल्म शरणम की है, जिसकी हिंदी रीमैक बागी-2 है।
उन्होंने बताया कि 1920 से लेकर हंसी तो फंसी के बीच में काफी गेप रहा जिसका एक कारण यह है कि हॉरर फिल्म 1920 के बाद लोगों ने मेरी एक्टिंग तो पसंद की, लेकिन मुझे ज्यादा जानते नहीं थे और मेरी इमेज भी वही समझते थे कि ये आधी इंडियन आधी अंग्रेजन, घुंघराले बालों वाली लड़की है। उस वक्त मैं इंस्टाग्राम पर भी नहीं थी कि जिस वजह से लोग मुझे सोशल मीडिया पर देख नहीं पाते। इस कारण फिल्म मिलने में काफी वक्त लगा। अदा का कहना है कि फिल्मों में मेल या फीमेल सेंट्रिक जैसी कोई चीज नहीं होती है। हां, मेरे साथ यह रहा कि पहली की फिल्म में हिरोइन का दमदार रोल मिला और मेरी फिल्म चली भी। आप यदि अपने दम पर बॉक्स ऑफिस पर फिल्म चला सकते हैं तो आप अपनी मर्जी से फीस मांग सकते हैं। ये सब कुछ आपकी बॉक्स ऑफिस इमेज पर डिपेंड करता है।