मरीज का इलाज करने वाले डॉ. एके द्विवेदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि इस बीमारी की शुरुआत हाथों की हथेलियों पर खुजली होने के साथ हुई थी। यहां पसीने के साथ खून आना शुरू हो गया। कई अस्पतालों में इलाज के लिए लेकर गए लेकिन आराम नहीं मिला। वक्त के साथ बीमारी बढ़ती गई और फिर पसीने के साथ खून आने के कारण शरीर में कई जगह घाव होने लगे। उन्होंने बताया कि इस बीमारी को हेमैटोहाइड्रोसिस कहा जाता है। फरवरी 2021 को इलाज शुरू हुआ और जुलाई में पसीने के साथ खून आना बंद हो गया। फिर नवंबर 2021 के बाद शरीर या चेहरे पर भी घाव नहीं हुए। उन्होंने बताया कि यह काफी दुर्लभ बीमारी है जो करीब एक करोड़ लोगों में से एक होती है।
स्कूल हो गया था बंद
डॉ. द्विवेदी ने बताया कि इस बीमारी के चलते मरीज मानसिक रूप से भी बीमार हो गई थी। स्कूल में भी उसके साथ अजीब व्यवहार होता था, खुद सबको लगता कि यह बीमारी उन्हें न हो जाए, इसके चलते वो मरीज से दूर रहने लगे, यहां तक कि स्कूल प्रबंधन ने भी उसे स्कूल आने से मना कर दिया। डॉ द्विवेदी बताते हैं कि इस बीमारी को मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित भी किया गया है।