लोक निर्माण विभाग ने सभी स्तर के इंजीनियरों को सड़कों के निरीक्षण करने के संबंध में टार्गेट दिए हैं। जिसमें उप यंत्रियों को हर 15 दिन में सड़कों का निरीक्षण करना पड़ेगा। इसी तरह से सहायक यंत्रियों को प्रत्येक एक माह में तथा कार्यपालन यंत्रियों को तीन माह में कम से कम एक बार सड़कों का निरीक्षण करना पड़ेगा।
सड़कों के निरीक्षण की रिपोर्ट उक्त इंजीनियर तैयार कर मुख्यालय को भेजेंगे और जहां भी सड़कें खराब अथवा ब्लैक स्पाट हैं उसे ठीक करने तथा सड़कों का पुनर्निर्माण कराए जाने के संबंध में प्रस्ताव तैयार करेंगे। वहीं अधीक्षण यंत्री को भी हर 6 माह में सड़कों की स्थिति का जायजा लेना पड़ेगा। अधीक्षण यंत्री सड़कों की रिपोर्ट तैयार कर एक प्रति वह संबंधित उपयंत्री को भी उपलब्ध कराएंगे, जिससे कि जहां खराब सड़कें हैं उसमें सुधार किया जा सके।
गारंटी पीरियड में सड़कें खराब, तो ठेकेदारों पर होगी कार्रवाई
प्रदेश की जो सड़कें गारंटी पीरियड की हैं उनका रख-रखाव ठेकेदारों द्वारा किया जाएगा। अगर ठेकेदार सड़कों की ठीक से मरम्मत और पेंच वर्क नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं विभाग ने इंजीनियरों को निर्देश दिए हैं कि सभी सड़कों का रख रखाव अनुबंध की शर्तों के आधार पर कराया जाए। इस दौरान यह भी ध्यान रखें कि सड़कों का रख-रखाव और मरम्मत सड़क परिवहन मंत्रालय भारत सरकार के मैन्युअल के अनुसार हो।
ब्लैक स्पटों का विशेष ध्यान
विभाग ने मैदानी इंजीनियरों को निर्देश दिए हैं कि पुलिस द्वारा जहां-जहां ब्लैक स्पाट चिंहित किए गए हैं उसे दूर करने के लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक उपाय किए जाएं। दीर्घकालिक उपायों के लिए इंजीनियर खुद रोड मैप तैयार करें और उसके लिए अलग से प्रस्ताव विभाग के पास भेजें।