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मध्यप्रदेश में फायर एक्ट न होने से अग्निसुरक्षा ताक पर…

locationभोपालPublished: Oct 09, 2018 09:28:50 am

एक ही हाइड्रोलिक लिफ्ट के सहारे नगर निगम फायर ब्रिगेड७५ फीट ऊंची सिर्फ एक ही लिफ्ट, खुलती ७० फीट तक] हाइराइज बिल्डिंग्स को दी जा रही परमीशन

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Three will be new places Fire Point

भोपाल. नगर निगम में एक ओर तो हाइराइज बिल्डिंग्स की परमीशन दी जा रही हैं, दूसरी तरफ अग्नि सुरक्षा के इंतजामों को नजरअंदाज किया जा रहा है। फायर ब्रिगेड अमले के पास भी तक केवल ७५ फीट ऊंची एक ही टर्मिटेबल लैडर या हाइड्रोलिक प्लेटफार्म (लिफ्ट) है,
जबकि भवन अनुज्ञा शाखा द्वारा परमीशन १०० फीट से ऊंची बिल्डिंग्स की दी जा रही है। टर्मिटेबल लैडर १०५-११० फीट ऊंची खरीदने की डिमांड वर्ष २०१५ में तत्कालीन फायर अफसर आरके परमार के समय की गई थी, लेकिन नगरीय प्रशासन विभाग में मामला अटक गया। अब इसकी कीमत दोगुनी हो गई है। मध्यप्रदेश में फायर एक्ट न होने से बेखौफ बिल्डर्स व प्रतिष्ठान स्वामी अग्निसुरक्षा को नजरअंदाज करते हैं।

यहां हैं हाइराइज बिल्डिंग्स
भवन अनुज्ञा शाखा के एई महेश सिरोहिया का कहना है कि शहर में तीस मीटर से अधिक ऊंची बिल्डिंग्स को हाइराइज बिल्डिंग्स की श्रेणी में माना जाता है। ऐसी बिल्डिंग्स होशंगाबाद रोड, रायसेन रोड, कोलार रोड समेत शहरभर में हैं। न्यू मार्केट जैसे भीड़ वाले इलाके में प्लेटिनम प्लाजा, पंचानन भवन, गैमन इंडिया जैसी हाइराइज बिल्डिंग्स हैं। इनमें किसी ऊपरी तल पर यदि अग्नि हादसा हो जाए तो वहां तक हाइड्रोलिक प्लेटफार्म पहुंच ही नहीं सकता और जान-माल का बड़ा नुकसान हो सकता है।
मध्यप्रदेश में नहीं है फायर एक्ट
इससे रियल एस्टेट व्यवसायी और व्यापारिक प्रतिष्ठान वाले नहीं डरते हैं। उन्हें पता है कि फायर ब्रिगेड सिर्फ नोटिस ही दे सकता है, कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकता। इसलिए वे मनमानी करते हैं। दो क्रेन हैं वे भी बहुत पुरानी हैं, जिनमें एक कंडम गाडिय़ों को खींचने व दूसरी अतिक्रमण का सामान उठाने का काम करती है। वर्षों पुरानी के्रन को रंग-रोगन करके चलाया जा रहा है।
इसके सिवा केवल दस फायर स्टेशन हैं और एक आदमपुर छावनी में नई कचरा खंती के लिए अलग से बनाया गया है, जिसका पब्लिक के लिए कोई उपयोग नहीं। पचास हजार की आबादी पर एक फायर स्टेशन होना चाहिए। शहर की आबादी २० लाख मानें तो शहर में चालीस फायर स्टेशन होने चाहिए और प्रत्येक फायर स्टेशन पर कम से कम दो-तीन दमकल होनी चाहिए। कम से कम ६० दमकल की जगह अभी सिर्फ ३२ दमकल ही राजधानी के फायर ब्रिगेड के पास हैं। रातीबड़, बैरसिया जैसे इलाकों में अग्नि हादसा होने पर पहुंचने में बहुत समय लगता है।
चौक व न्यू मार्केट इलाके में अग्निकांड से निपटने के लिए यूनानी शिफाखाना के पास फायर स्टेशन है, जहां से टाटा ४०७ जैसी छोटी दमकल भी टैफिक जाम आदि के चलते समय पर नहीं पहुंच सकतीं। इनकी जगह बोलेरो जैसी छोटी गाडिय़ां घनी आबादी और भीड़ भरे इलाकों के लिए अधिक कारगर हो सकती हैं। एकमात्र हाइड्रोलिक प्लेटफार्म (लिफ्ट) पुल बोगदा स्टेशन पर खड़ी रहती है। अति घने व हाइराइज बिल्डिंग्स पर भी यह पहुंच नहीं सकती। हाल ही में गांधीनगर पानी की टंकी व पॉलीटेक्निक चौराहे पर टॉवर पर चढऩे वालों तक यह लिफ्ट कम ऊंचाई के कारण पहुंच नहीं सकी थी।
पर्याप्त संसाधन नहीं
शहर की २० लाख की आबादी के लिए नगर निगम के फायर ब्रिगेड अमले के पास पर्याप्त संसाधन नहीं है। नगर निगम के मौजूदा बेड़े में ३२ दमकल वाहन और १२५ फायर फाइटर्स का स्टाफ है। नतीजतन समय पर राहत नहीं मिलने से छोटी सी आग विकराल रूप ले लेती है।
नोटिस का नहीं देते जवाब
नगर निगम फायर ब्रिगेड द्वारा जारी किए जाने वाले नोटिस का २०-३० प्रतिशत प्रतिष्ठान ही जवाब देते हैं, बाकी अतिरिक्त समय मांगकर मामले को ठंडा कर देते हैं। गौरतलब है कि क्षेत्र में कई कमर्शियल एवं हाईराइज इमारतों का निर्माण किया जा रहा है, पर एनबीसी (नेशनल बिल्डिंग कोड) के प्रावधानों के मुताबिक आग से बचाव के आवश्यक उपायों की अनदेखी की जा रही है। बिल्डिंग परमीशन में भवन बनने से पहले पूरा ड्राइंग दी जाती है और भवन पूरी करने पर भी कम्प्लीशन सर्टिफिकेट दिया जाता है। इन दोनों स्तरों पर अग्निसुरक्षा को जिम्मेदार एजेंसियां नजरअंदाज कर अनुमति देती हैं।

नहीं हैं पुख्ता इंतजाम
संतनगर कॉम्पलेक्स में गत दिसंबर में हुए भीषण अग्निकांड से सबक न लेते हुए राजधानी के व्यापारिक प्रतिष्ठानों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए। इससे एक ओर प्रतिष्ठानों की सुरक्षा पर सवालिया निशान लग गया है, वहीं इनके आसपास रहवासी क्षेत्रों पर भी खतरा लगातार मंडरा रहा है। गौरतलब है कि २७ दिसंबर २०१७ को संत हिरदाराम कॉम्लेक्स मे हुए अग्निकांड में सौ से अधिक दुकानें खाक हो गई थीं, इससे करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ था।

इस अग्निकांड के बाद हरकत में आए नगर निगम ने राजधानी के अलग-अलग क्षेत्रों में फायर सेफ्टी के इंतजामों की तफ्तीश की थी, इस दौरान शहर के पांच सौ से अधिक कमर्शियल कॉम्पलेक्स एवं व्यापारिक प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी किए गए थे, पर इनमें से अधिकतर ने जवाब नहीं दिया है, जबकि शेष ने जवाब के लिए अतिरिक्त समय मांगा था। फायर सेफ्टी के लिए जरूरी उपाय व्यापारिक प्रतिष्ठानों में नहीं किए गए हैं। संत हिरदाराम कॉम्पलेक्स में हुए अग्निकांड के बाद राजधानी में संचालित हो रहे कमर्शियल कॉम्पलेक्स के व्यापारिक प्रतिष्ठानों में सुरक्षा उपायों की जांच के लिए जोनवार टीम बनाई गई थीं।

इन्हें जोन एक से लेकर १९ तक में मौजूद व्यापारिक प्रतिष्ठानों की मौके पर पहुंचकर जांच करना थी। प्रत्येक टीम का प्रभारी का दायित्व भवन अनुज्ञा शाखा के सहायक यंत्री को सौंपा गया था। इस टीम में फायर ऑफिसर समेत वार्ड प्रभारियों को शामिल किया गया था। इन टीमों को दस दिन में रिपोर्ट प्रस्तुत करना थी, पर कार्रवाई महज नोटिस देने तक ही सीमित रही।

 

हम फायर सेफ्टी के लिए प्रतिष्ठान और कॉम्पलेक्स मालिकों को नोटिस दे सकते हैं और हमने दिया भी है। कुछ लोगों ने जवाब भी दिए। हमारे पास नोटिस देने के अलावा और कोई अधिकार नहीं है।
रामेश्वर नील, फायर अफसर, नगर निगम
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