यहां हैं हाइराइज बिल्डिंग्स
भवन अनुज्ञा शाखा के एई महेश सिरोहिया का कहना है कि शहर में तीस मीटर से अधिक ऊंची बिल्डिंग्स को हाइराइज बिल्डिंग्स की श्रेणी में माना जाता है। ऐसी बिल्डिंग्स होशंगाबाद रोड, रायसेन रोड, कोलार रोड समेत शहरभर में हैं। न्यू मार्केट जैसे भीड़ वाले इलाके में प्लेटिनम प्लाजा, पंचानन भवन, गैमन इंडिया जैसी हाइराइज बिल्डिंग्स हैं। इनमें किसी ऊपरी तल पर यदि अग्नि हादसा हो जाए तो वहां तक हाइड्रोलिक प्लेटफार्म पहुंच ही नहीं सकता और जान-माल का बड़ा नुकसान हो सकता है।
इससे रियल एस्टेट व्यवसायी और व्यापारिक प्रतिष्ठान वाले नहीं डरते हैं। उन्हें पता है कि फायर ब्रिगेड सिर्फ नोटिस ही दे सकता है, कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकता। इसलिए वे मनमानी करते हैं। दो क्रेन हैं वे भी बहुत पुरानी हैं, जिनमें एक कंडम गाडिय़ों को खींचने व दूसरी अतिक्रमण का सामान उठाने का काम करती है। वर्षों पुरानी के्रन को रंग-रोगन करके चलाया जा रहा है।
शहर की २० लाख की आबादी के लिए नगर निगम के फायर ब्रिगेड अमले के पास पर्याप्त संसाधन नहीं है। नगर निगम के मौजूदा बेड़े में ३२ दमकल वाहन और १२५ फायर फाइटर्स का स्टाफ है। नतीजतन समय पर राहत नहीं मिलने से छोटी सी आग विकराल रूप ले लेती है।
नगर निगम फायर ब्रिगेड द्वारा जारी किए जाने वाले नोटिस का २०-३० प्रतिशत प्रतिष्ठान ही जवाब देते हैं, बाकी अतिरिक्त समय मांगकर मामले को ठंडा कर देते हैं। गौरतलब है कि क्षेत्र में कई कमर्शियल एवं हाईराइज इमारतों का निर्माण किया जा रहा है, पर एनबीसी (नेशनल बिल्डिंग कोड) के प्रावधानों के मुताबिक आग से बचाव के आवश्यक उपायों की अनदेखी की जा रही है। बिल्डिंग परमीशन में भवन बनने से पहले पूरा ड्राइंग दी जाती है और भवन पूरी करने पर भी कम्प्लीशन सर्टिफिकेट दिया जाता है। इन दोनों स्तरों पर अग्निसुरक्षा को जिम्मेदार एजेंसियां नजरअंदाज कर अनुमति देती हैं।
नहीं हैं पुख्ता इंतजाम
संतनगर कॉम्पलेक्स में गत दिसंबर में हुए भीषण अग्निकांड से सबक न लेते हुए राजधानी के व्यापारिक प्रतिष्ठानों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए। इससे एक ओर प्रतिष्ठानों की सुरक्षा पर सवालिया निशान लग गया है, वहीं इनके आसपास रहवासी क्षेत्रों पर भी खतरा लगातार मंडरा रहा है। गौरतलब है कि २७ दिसंबर २०१७ को संत हिरदाराम कॉम्लेक्स मे हुए अग्निकांड में सौ से अधिक दुकानें खाक हो गई थीं, इससे करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ था।
इस अग्निकांड के बाद हरकत में आए नगर निगम ने राजधानी के अलग-अलग क्षेत्रों में फायर सेफ्टी के इंतजामों की तफ्तीश की थी, इस दौरान शहर के पांच सौ से अधिक कमर्शियल कॉम्पलेक्स एवं व्यापारिक प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी किए गए थे, पर इनमें से अधिकतर ने जवाब नहीं दिया है, जबकि शेष ने जवाब के लिए अतिरिक्त समय मांगा था। फायर सेफ्टी के लिए जरूरी उपाय व्यापारिक प्रतिष्ठानों में नहीं किए गए हैं। संत हिरदाराम कॉम्पलेक्स में हुए अग्निकांड के बाद राजधानी में संचालित हो रहे कमर्शियल कॉम्पलेक्स के व्यापारिक प्रतिष्ठानों में सुरक्षा उपायों की जांच के लिए जोनवार टीम बनाई गई थीं।
इन्हें जोन एक से लेकर १९ तक में मौजूद व्यापारिक प्रतिष्ठानों की मौके पर पहुंचकर जांच करना थी। प्रत्येक टीम का प्रभारी का दायित्व भवन अनुज्ञा शाखा के सहायक यंत्री को सौंपा गया था। इस टीम में फायर ऑफिसर समेत वार्ड प्रभारियों को शामिल किया गया था। इन टीमों को दस दिन में रिपोर्ट प्रस्तुत करना थी, पर कार्रवाई महज नोटिस देने तक ही सीमित रही।
हम फायर सेफ्टी के लिए प्रतिष्ठान और कॉम्पलेक्स मालिकों को नोटिस दे सकते हैं और हमने दिया भी है। कुछ लोगों ने जवाब भी दिए। हमारे पास नोटिस देने के अलावा और कोई अधिकार नहीं है।
रामेश्वर नील, फायर अफसर, नगर निगम