भोपाल

लोकसभा: इन नेता के उम्मीदवार बनते ही छोटे हो जाते हैं चुनावी मुद्दे , इस बार भी लड़ेंगे चुनाव

लोकसभा: इन नेता के उम्मीदवार बनते ही छोटे हो जाते हैं चुनावी मुद्दे, इस बार भी लड़ेंगे चुनाव

भोपालMar 13, 2019 / 08:46 am

Pawan Tiwari

लोकसभा: भाजपा-कांग्रेस इन नेता के उम्मीदवार बनते ही छोटे हो जाते हैं चुनावी मु्ददे, इस बार भी लड़ेंगे चुनाव

भोपाल . लोकसभा चुनाव की तारीखों के एलान के बाद अब राजनीतिक पार्टियां उम्मीदवारों के नाम पर मंथन कर रही है। मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों के लिए भाजपा और कांग्रेस कई ऐसे मुद्दे हैं जिनके सहारे जनता के सामने वोट मांगने जाएंगे। वहीं, कहा जा रहा है कि इस बार मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव में मुद्दे छोटे हो रहे हैं और बड़े चेहरों पर फोकस किया जा रहा है। सभी पार्टियां मुद्दों के साथ-साथ ऐसे उम्मीदवारों के नाम पर मंथन कर रही हैं जो मुद्दों पर भारी हो सके। इस बार मध्यप्रदेश में मुद्दों से ज्यादा चेहरों को फोकस किया जा सकता है।
मध्यप्रदेश में इन चेहरों पर होगा फोकस

शिवराज सिंह चौहान
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद शिवराज सिंह चौहान को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है। शिवराज सिंह प्रदेश और देश में लगातार कांग्रेस पर हमला बोल रहे हैं। तो दूसरी तरफ ऐसी अटकलें है कि शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर से विदिशा संसदीय सीट या प्रदेश की किसी अन्य सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं।
क्यों खास है ये चेहरा: शिवराज सिंह चौहान तीन बार मध्यप्रदेश के सीएम रहे। 1990 में पहली बार विधायक बने। उसके बाद विदिशा संसदीय सीट पर 1991 में हुए उपचुनाव में जीतकर संसद पहुंचे उसके बाद इस सीट से लगातार पांच बार सांसद रहे। प्रदेश में उनकी छवि एक कुशल राजनेता के रूप में है। लोगों के बीच शिवराज सिंह मामा के नाम से प्रसिद्ध हैं।
2019 में क्यों लड़ सकते हैं चुनाव: विदिशा संसदीय सीट से अभी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज सांसद हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान स्वस्थ्य का हवाला देते हुए उन्होंने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था। ऐसे में माना जा रहा है कि शिवराज सिंह चौहान को फिर से लोकसभा का चुनाव लड़ाया जा सकता है।
 

दिग्विजय सिंह
दिग्विजय सिंह वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में 15 साल बाद कांग्रेस की वापसी करने में इनका बड़ा योगदान रहा है। माना जा रहा है कि दिग्विजय सिंह इस बार प्रदेश की किसी एक सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। दिग्विजय सिंह के राजगढ़ या इंदौर संसदीय सीट से चुनाव लड़ने की अटकलें हैं। खुद दिग्विजय सिंह कह चुके हैं कि पार्टी उन्हें जहां से टिकट देगी वो वहां से चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं।
क्यों खास है ये चेहरा: दिग्विजय सिंह को कांग्रेस का चाणक्य कहा जाता है। दिग्विजय सिंह दो बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। दिग्विजय सिंह पहली बार 1977 में राघौगढ़ विधानसभा सीट से विधायक बने थे। उसके बाद से कांग्रेस ये सीट कभी नहीं हारी। राजगढ़ लोकसभा सीट से दो बार सांसद भी रहे। पहली बार 1984 और दूसरी बार 1991 में इस सीट से सांसद बने।
2019 में क्यों लड़ सकते हैं चुनाव: 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को केवल दो सीटों पर जीत मिली थी। कांग्रेस इस बार केन्द्र में वापसी के लिए दिग्विजय जैसे बड़े चेहरों पर दांव लगा सकता है।
 

सुमित्रा महाजन
सुमित्रा महाजन लोकसभा स्पीकर हैं। वो इंदौर संसदीय सीट से सांसद हैं। मीसा बंदी परिवारों की मदद की करने के बाद राजनीति में आई। इसके बाद उपमहापौर चुनी गईं। इंदौर-3 से विधानसभा का टिकट मिला, लेकिन महेश जोशी से हार गईं। ये सुमित्रा महाजन की अभी तक की एक मात्र हार है।

क्यों खास है ये चेहरा: सुमित्रा महाजन देश की एक मात्र महिला नेता हैं, जो लगातार आठ बार लोकसभा चुनाव जीत चुकी हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे प्रकाशचंद्र सेठी की हार से शुरू हुआ सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। गुजरे 25 सालों में सात आम चुनाव हुए मगर यहां एक में भी कांग्रेस जीत के नजदीक नहीं पहुंच पाई।
2019 में क्यों लड़ सकती हैं चुनाव: भाजपा इस जिताऊ उम्मीदवार को एक बार फिर से टिकट दे सकती है। बीते 25 सालों से कांग्रेस इंदौर में जीत के लिए तरसी रही है। युवा कांग्रेस की एक पूरी पीढ़ी बूढ़ी हो गई लेकिन इस शहर की जनता ने अपने सांसद के रूप में ताई को ही चुना। सुमित्रा महाजन को ताी कहा जाता है।
 

प्रियदर्शनी राजे सिंधिया
ग्वालियर संसदीय सीट पर सिंधिया परिवार का दबदबा रहा पर लेकिन अब यह सीट भाजपा का गढ़ बन चुकी है। इस सीट से वर्तमान में नरेन्द्र सिंह तोमर सांसद हैं। हालांकि विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया है। 2014 के चुनाव में भाजपा के नरेंद्र सिंह तोमर ने कांग्रेस के अशोक सिंह को हराया था।
क्यों खास है ये चेहरा: प्रियदर्शनी राजे सिंधिया कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी हैं। प्रियदर्शनी राजे सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय हैं और पति के संसदीय सीट पर चुनाव प्रचार का जिम्मा संभालती हैं।
2019 में क्यों लड़ सकती हैं चुनाव: ग्वालियर संसदीय सीट पर जीत दर्ज करने के लिए कांग्रेस यहां से प्रियदर्शनी राजे सिंधिया को उम्मीदवार बना सकती है। कहा जाता है कि ग्वालियर और गुना शिवपुरी संसदीय सीट से सिंधिया परिवार का कोई सदस्य कभी चुनाव नहीं हारा।
 

ज्योतिरादित्य सिंधिया
गुना-शिवपुरी संसदीय सीट पर सिंधिया परिवार का दबदबा रहा है। यहां जब भी सिंधिया परिवार का कोई सदस्य मैदान में उतरा है उसे कभी हार नहीं मिली। कांग्रेस के लिए ये अजेय सीट है।
क्यों खास है ये चेहरा: इस सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया सांसद हैं। सिंधिया 2014 में यहां से लगातार चौथी बार सांसद बने हैं। मनमोहन सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी रह चुके हैं।

2019 में क्यों लड़ सकते हैं चुनाव: हालांकि इस सीट से इस बार ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी पत्नी प्रियदर्शनी राजे में से किसी एक के चुनाव लड़ने की अटकलें हैं। कांग्रेस अपने इस गढ़ को सुरक्षित बनाए रहने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया या प्रियदर्शनी राजे सिंधिया को चुनाव मैदान में उतार सकती हैं।

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