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राजगढ़ लोकसभा संसदीय क्षेत्र के इतिहास से जुड़े रोचक तथ्य, क्या आप जानते हैं ये खास बात…

locationभोपालPublished: Apr 12, 2019 11:38:36 am

MP की वीआइपी सीटों में से है एक…

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राजगढ़ लोकसभा संसदीय क्षेत्र के इतिहास से जुड़े रोचक तथ्य, क्या आप जानते हैं ये खास बात…

भोपाल। यूं तो लोकसभा के दृष्टिकोण से मध्यप्रदेश में कई वीआइपी सीट हैं, जिनमें से कुछ भाजपा के लिए तो कुछ कांग्रेस के लिए खास हैं। लेकिन इस बार होने जा रहे 2019 के लोकसभा चुनावों में इन वीआइपी सीटों (High Profile Lok Sabha Seats)को लेकर दोनों ही दलों में तनाव बना हुआ है।

एक ओर जहां भाजपा की भोपाल, इंदौर, विदिशा जैसी सीटें अब तक प्रत्याशियों का इंतजार कर रही हैं। वहीं कांग्रेस की गुना या छिंदवाड़ा जैसी सीटें या तो प्रत्याशी(Lok Sabha Elections) का इंतजार कर रही है या जीत को लेकर टेंशन में हैं। इस बार यहां छठवें चरण में 12 मई 2019 को चुनाव होने हैं।

इन्हीं वीआइपी सीटों में से एक है राजगढ़ लोकसभा सीट… दरअसल यह क्षेत्र कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह(Lok Sabha Elections 2019) के दबदबे वाला क्षेत्र है। इस सीट पर अगर किसी पार्टी ने सबसे ज्यादा राज किया है तो वह कांग्रेस ही है।

दिग्विजय खुद यहां से 2 बार सांसद चुने जा चुके हैं, तो वहीं उनके भाई लक्ष्मण सिंह भी 5 बार इस सीट से जीतकर संसद पहुंच चुके हैं। हालांकि यहां पर दोनों भाइयों को हार का भी सामना करना पड़ा है।

फिलहाल इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है और रोडमल नागर(General election 2019) यहां के सांसद हैं। इस बार भी भाजपा की ओर से 2019 के चुनावों के लिए रोडमल नागर पर ही विश्वास दर्शाकर उन्हें उम्मीदवार बनाया गया है, वहीं कांग्रेस यहां अब तक अपना प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई है।


राजगढ़ को ऐसे समझें…
राजगढ़ एक छोटा-सा, लेकिन एक साफ-सुथरा जिला है। यहां नेवज नदी बहती है, जिसे शास्त्रों में ‘निर्विन्ध्या’ कहा गया है। राजगढ़ जिले में स्थित नरसिंहगढ़ के किले को ‘कश्मीर ए मालवा’ तक कहा जाता है।

ये मध्य प्रदेश का सर्वाधिक रेगिस्तान वाला जिला है। ये जिला मालवा पठार के उत्तरी छोर पर पार्वती नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है।

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ऐसे समझें राजनीतिक इतिहास…
साल 1962 में यहां पर हुए पहले चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार भानुप्रकाश सिंह को जीत मिली। उन्होंने कांग्रेस के लीलाधर जोशी को हराया था। कांग्रेस को इस सीट पर पहली बार जीत 1984 में मिली, जब दिग्विजय सिंह ने बीजेपी के जमनालाल को मात दी थी।

हालांकि इसका अगला चुनाव दिग्विजय सिंह हार गए थे, उन्हें बीजेपी के प्यारेलाल खंडेलवाल ने हरा दिया था। इसके बाद 1991 में दिग्विजय सिंह ने इस हार का बदला लेते हुए प्यालेलाल को हरा दिया।

 

 

 

 

वहीं दिग्विजय के मध्य प्रदेश का सीएम बनने के बाद यह सीट खाली हो गई और 1994 में यहां पर उपचुनाव हुआ। कांग्रेस की ओर से दिग्विजय के भाई लक्ष्मण सिंह मैदान में उतरे और उन्होंने बीजेपी के दत्ताराय रॉव को मात दे दी।

1994 में जीत हासिल करने के बाद लक्ष्मण सिंह ने 1996, 1998, 1999 और 2004 के चुनाव में भी यहीं से जीत हासिल की। 2004 के चुनाव में सिंह को जीत तो मिली थी, लेकिन उन्होंने इस बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव पर लड़ा था।

इसके अगले चुनाव में भी वह बीजेपी के टिकट पर लड़े और इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस बार उन्हें कांग्रेस के नारायण सिंह ने उन्हें मात दी।

6 बार कांग्रेस तो 3 बार भाजपा…
इस सीट पर कांग्रेस को 6 बार जीत मिली है और बीजेपी को 3 बार। ऐसे में देखा जाए तो इस सीट पर कांग्रेस का ही दबदबा रहा है।

राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 7 सीटें आती हैं. चचौड़ा, ब्यावरा, सारंगपुर, राघोगढ़, राजगढ़, सुसनेर, नरसिंहगढ़ और खिलचीपुर यहां की विधानसभा सीटें हैं।

राजगढ़ का ऐसे समझें ताना-बाना…
2011 की जनगणना के मुताबिक राजगढ़ में 24,89,435 जनसंख्या है। यहां की 81.39 फीसदी जनसंख्या ग्रामीण इलाके में रहती है और 18.61 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है।

इस क्षेत्र में गुर्जर, यादव और महाजन वोटर्स की संख्या अच्छी खासी है। ये चुनाव में किसी भी उम्मीदवार की जीत में अहम भूमिका निभाते हैं

2014 चुनाव के आंकड़े…
इसके अलावा राजगढ़ में 18.68 फीसदी अनुसूचित जाति के और 5.84 अनुसूचित जनजाति के लोग हैं। चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक पूर्व में इस सीट पर 15,78,748 मतदाता थे। इनमें से 7,51747 महिला मतदाता और 8,27,001 पुरुष मतदाता थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 57.75 फीसदी मतदान हुआ था।

ऐसे समझें 2014 का चुनाव…
2014 के चुनाव में बीजेपी के रोडमल नागर ने कांग्रेस अंलाबे नारायण सिंह को हराया था। इस चुनाव में नागर को 5,96,727(59.04 फीसदी) वोट मिले थे और अंलाबे नारायण को 3,67,990(36.41 फीसदी) वोट मिले थे। दोनों के बीच हार जीत का अंतर 2,28,737 वोटों का था, वहीं तीसरे स्थान पर बसपा रही थी ओर उसको 1.37 फीसदी वोट मिले थे।

इससे पहले 2009 के चुनाव में कांग्रेस के नारायण सिंह ने जीत हासिल की थी. उन्होंने बीजेपी के लक्ष्मण सिंह को हराया था। इस चुनाव में नारायण सिंह को 3,19,371(49.11 फीसदी) वोट मिले थे तो वहीं लक्ष्मण सिंह को 2,94,983( 45.36 फीसदी) वोट मिले थे। दोनों के बीच 24388 वोटों का था। वहीं 59 साल के रोडमल नागर 2014 में जीतकर पहली बार सांसद बने।

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