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International Tiger Day : बाघों को MP पसंद है, अगर यहीं स्थिति रही तो आने वाले समय में नहीं बचेगा ‘जंगल का राजा’

locationभोपालPublished: Jul 29, 2019 02:40:03 pm

Submitted by:

Faiz

Tiger Day : इस राज्य को मिला अपना खोया सम्मान, लेकिन विश्व में बाघों की घटती जनसंख्या चिंता का विषय

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International Tiger Day : बाघों को MP पसंद है, अगर यहीं स्थिति रही तो आने वाले समय में नहीं बचेगा ‘जंगल का राजा’


भोपालः आज विश्व बाघ दिवस ( International Tiger Day ) है। जहां एक तरफ इस मौके पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्य प्रदेश को साल 2019 में एक बार फिर टाइगर स्टेट ( Tiger State ) की उपाधि से नवाज़ा है। वहीं, विश्व में बाघों की घटती जनसंख्या ( tiger in world ) भारत समेत सभी देशों के लिए बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। यही कारण है कि, हर साल 29 जुलाई को विश्व टाइगर दिवस के रूप में मनाया जाता है ताकि, इसकी घटती जनसंख्या पर चिंतन करके इसके संरक्षण के प्रति जागरूकता ( awareness ) बढ़ाई जा सके।

 

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एक बार फिर हासिल किया खोया हुआ दर्जा

मध्य प्रदेश को एक बार टाइगर स्टेट का खिताब देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ( Narendra Modi ) ने बताया कि, एमपी इस बार 526 बाघों वाला राज्य होने के कारण देश का पहला राज्य है, जिसके बिना पर इसे टाइगर स्टेट की उपलब्धि से नवाज़ा जाता है। इसी के साथ मध्य प्रदेश ( madhya pradesh ) एक बार फिर अपना खोया हुआ दर्जा वापस पाकर टाइगर स्टेट बन गया है। मध्य प्रदेश के बाघों की संख्या के मद्देनज़र देश में दूसरे पायदान पर कर्नाटक ( Karnataka ) को स्थान मिला है यहां बाघों की संख्या 524 है। इसके अलावा उत्तरखंड ( uttrakhand ) को 442 टाइगर संख्या के साथ तीसरे पायदान पर जगह मिली है।


CM कमलनाथ ने ज़ाहिर की खुशी

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री द्वारा एमपी को टाइगर स्टेट का खिताब दिये जाने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ( CM kamalnath ) ने मध्यप्रदेश को देश में सबसे अधिक बाघ वाले प्रदेश का दर्जा हासिल होने पर ख़ुशी जाहिर करते हुए प्रदेश के सभी टाइगर रिज़र्व ( tiger reserve ) की प्रबंधन टीम को बधाई दी।

 

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भारत सबसे अनुकूल देश

एक तरफ जहां मध्य प्रदेश की श्रेणी में आकर खुद को गर्वान्वित कर रहा है, वहीं विश्वभर में बाघों की घटती जनसंख्या बड़ी चिंता का विषय है। विश्व स्तरीय रिपोर्ट के मुताबिक, पूरी दुनिया ( world population ) में अब 6 हज़ार से भी कम बाघ रह गए हैं। वहीं भारत में इनकी संख्या ( population of india ) 4 हज़ार से भी कम रह गई है। हालांकि, भारत ही विश्वभर में बाघों के लिए सबसे अनुकूल देश माना जाता है। इस हिसाब से देखा जाए तो विश्व के साथ साथ भारत के सामने भी बाघों के अस्तित्व को बचाना बड़ा चुनौती है।


चिंतन का विषय

वैश्विक स्तर पर घटती बाघों की जनसंख्या को देखते हुए विश्व के कई देश इनके संरक्षण को लेकर कई प्रकार की मुहिम चला रहे हैं। बाघों की लगातार घटती आबादी को देखते हुए कई पर्यावरणविदों ने अनुमान लगाया है कि, अगर अब भी सभी देश पूरी मुस्तैदी के साथ उसपर चिंतन नहीं करते हैं तो, आने वाले एक-दो दशकों में बाघ का नामों निशान इस धरती से मिट जाएगा। क्योंकि, जिस बाघ का नाम सुनते ही हम डर मेहसूस करने लगते हैं, उसकी गरज से अच्छे अच्छों के पसीने छूट जाते हैं। उसी बाघ के अस्तित्व पर अब बड़ा खतरा मंडरा रहा है। अगर हम अब हम और हमारी सरकार पूरी मुस्तैदी के साथ इस ओर चिंतन नहीं करते हैं, तो कुछ ही सालों में हम इसे पूरी तरह खो देंगे।

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