scriptरविवार को मांस नहीं खाता था ये बाघ, महाराजा के साथ खेलता था फुटबॉल | International Tiger Day: Story of White Tiger | Patrika News

रविवार को मांस नहीं खाता था ये बाघ, महाराजा के साथ खेलता था फुटबॉल

locationभोपालPublished: Jul 29, 2019 02:10:47 pm

Submitted by:

Pawan Tiwari

देश में पहली बार किसी जानवर का बीमा किया गया था वो यही बाघ था। ढाई लाख रुपए का बीमा किया गया था।
दुनियाभर में सफेद शेर का वंशज मोहन को माना जाता है।

mohan

रविवार को मांस नहीं खाता था ये बाघ, महाराजा के साथ खेलता था फुटबाल

भोपाल. आज विश्व बाघ दिवस ( International Tiger Day ) है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को बाघों का सेंसस (गणना) जारी की। इस मौके पर पीएम मोदी ( pm modi ) ने कहा कि आज हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि भारत करीब 3 हज़ार टाइगर्स के साथ दुनिया के सबसे बड़े और सबसे सुरक्षित निवास स्थानों में से एक हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही बाघ की कहानी बता रहे हैं जिसकी प्रजाति पूरी दुनिया में पाई जाती है। ये कहानी है मोहन बाघ की।

रीवा में पाए जाते हैं सफेद बाघ
दुनिया का पहला सफेद बाघ ( white tiger ) मध्यप्रदेश के रीवा में पाया गया था और नाम रखा गया था मोहन। आज दुनिया भर में जहां भी सफेच बाघ पाए जाते हैं उन्हें मोहन की संतान कहा जाता है। सफेद बाघों का वंशज मोहन है।
mohan
रीवा नरेश को मिला था पहला सफेद बाघ
रीवा के महाराजा मार्तंड सिंह शिकार के शौकीन थे। 1951 में वो शेर का शिकार करने निकले थे। रीवा में शिकार को लेकर एक किवदंती है अगर राजा किसी शेरनी का शिकार करे तो उसके बच्चों का भी राजा को शिकार करना पड़ता था। मार्तंड सिंह ने एक शेरनी का शिकार किया। उसके साथ तीन शावक ( शेरनी के बच्चे) थे। राजा ने दो शावकों को मार दिया लेकिन तीसरा शावक सफेद था। राजा उसे अपने साथ लेकर आए। उसका संरक्षण किया और नाम रखा मोहन। कहते हैं आज दुनिया में जितने भी सफेद शेर हैं वो मोहन की ही संतान हैं। 1960 में अमेरिका के राष्ट्रपति ने रीवा से एक सफेद बाघ खरीदा था।
राजा के साथ फुटबाल खेलता था मोहन
मोहन के बारे में बताया जाता है कि सफेद बाघ मोहन राजा मार्तण्ड सिंह को अच्छी तरह से पहचानता था। राजा मार्तण्ड सिंह अक्सर मोहन को देखने आया करते थे। इस दौरान वो मोहन की तरफ फुटबाल उछालते तो मोहन वापस वो फुटबाल राजा मार्तण्ड सिंह की तरफ उछाल देता था।
mohan

रविवार को नहीं खाता खा मांस
मोहन को लेकर कहा जाता है कि मोहन रविवार के बाद मांस नहीं खाता था। जिस कारण उसके लिए दूध की व्यवस्था कराई जाती थी।

जारी हुआ था डाक टिकट
1987 में दूरसंचार विभाग के द्वारा एक डाक टिकट जारी किया गया था इस डाक टिकट में मोहन की फोटो थी। रीवा का मुकंदपुर सफारी मोहन की याद में ही सजोया गया है। कहा जाता है कि मोहन ही वो जानवर था जिसका पहली बार बीमा किया गया था। दिल्ली में मोहन का ढाई लाख रुपए का बीमा किया गया था।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो