रीवा में पाए जाते हैं सफेद बाघ
दुनिया का पहला सफेद बाघ ( white tiger ) मध्यप्रदेश के रीवा में पाया गया था और नाम रखा गया था मोहन। आज दुनिया भर में जहां भी सफेच बाघ पाए जाते हैं उन्हें मोहन की संतान कहा जाता है। सफेद बाघों का वंशज मोहन है।
रीवा के महाराजा मार्तंड सिंह शिकार के शौकीन थे। 1951 में वो शेर का शिकार करने निकले थे। रीवा में शिकार को लेकर एक किवदंती है अगर राजा किसी शेरनी का शिकार करे तो उसके बच्चों का भी राजा को शिकार करना पड़ता था। मार्तंड सिंह ने एक शेरनी का शिकार किया। उसके साथ तीन शावक ( शेरनी के बच्चे) थे। राजा ने दो शावकों को मार दिया लेकिन तीसरा शावक सफेद था। राजा उसे अपने साथ लेकर आए। उसका संरक्षण किया और नाम रखा मोहन। कहते हैं आज दुनिया में जितने भी सफेद शेर हैं वो मोहन की ही संतान हैं। 1960 में अमेरिका के राष्ट्रपति ने रीवा से एक सफेद बाघ खरीदा था।
मोहन के बारे में बताया जाता है कि सफेद बाघ मोहन राजा मार्तण्ड सिंह को अच्छी तरह से पहचानता था। राजा मार्तण्ड सिंह अक्सर मोहन को देखने आया करते थे। इस दौरान वो मोहन की तरफ फुटबाल उछालते तो मोहन वापस वो फुटबाल राजा मार्तण्ड सिंह की तरफ उछाल देता था।
रविवार को नहीं खाता खा मांस
मोहन को लेकर कहा जाता है कि मोहन रविवार के बाद मांस नहीं खाता था। जिस कारण उसके लिए दूध की व्यवस्था कराई जाती थी। जारी हुआ था डाक टिकट
1987 में दूरसंचार विभाग के द्वारा एक डाक टिकट जारी किया गया था इस डाक टिकट में मोहन की फोटो थी। रीवा का मुकंदपुर सफारी मोहन की याद में ही सजोया गया है। कहा जाता है कि मोहन ही वो जानवर था जिसका पहली बार बीमा किया गया था। दिल्ली में मोहन का ढाई लाख रुपए का बीमा किया गया था।