विदेश मंत्रालय ने इस विदेश भवन को बनाने का निर्णय लिया है। प्रस्तावित भवन की डिजाइन सीपीडब्ल्यूडी(Videsh Bhavan Building built on Arera Hills) को सौंप दी गई है। वहीं इस भवन के निर्माण के लिए एक साल का समय तय किया गया है।
इस भवन को लेकर विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि भवन के लिए बजट संबंधी कोई सीमा नहीं है। इसे अंतरराष्ट्रीय मानदंड के हिसाब से सर्वसुविधायुक्त बनाया जाएगा। दरअसल विदेश मंत्रालय ने देश के हर राज्य की राजधानी में विदेश भवन बनाने का निर्णय लिया है।
ये होंगे फायदें :
विदेश में नौकरी के लिए जाने वाले हजारों लोगों को अब अपने दस्तावेजों पर मुहर आदि(अटेसटेशन एंड एप्पोस्टाइल) लगवाने के लिए दिल्ली के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। राजधानी में बनने वाले विदेश भवन में ही यह औपचारिकता पूरी होने लगेगी। वहीं जानकारी के अनुसार इससे विदेश मंत्रालय के सभी दफ्तर एक ही छत के नीचे आ जाएंगे।
विदेश में नौकरी के लिए जाने वाले हजारों लोगों को अब अपने दस्तावेजों पर मुहर आदि(अटेसटेशन एंड एप्पोस्टाइल) लगवाने के लिए दिल्ली के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। राजधानी में बनने वाले विदेश भवन में ही यह औपचारिकता पूरी होने लगेगी। वहीं जानकारी के अनुसार इससे विदेश मंत्रालय के सभी दफ्तर एक ही छत के नीचे आ जाएंगे।
मध्यप्रदेश के लगभग सभी जिलों से हर साल बड़ी संख्या में युवा विदेशों में नौकरी और उच्च शिक्षा के लिए जाते हैं। जिन लोगों को विदेशों में नौकरी का अवसर मिलता है, उन्हें अपने दस्तोवेजों पर विदेश मंत्रालय से’अटेसटेशन एंड एप्पोस्टाइल” (Authentication) कराना अनिवार्य होता है।
इसके बिना कहीं भी नौकरी पाना संभव नहीं रहता। इस औपचारिकता के लिए संबंधित व्यक्ति को दिल्ली के चक्कर लगाना पड़ते हैं। भोपाल में विदेश भवन बनने के बाद यह सुविधा यहीं मिलने लगेगी। दिल्ली जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
यह भी होगा विदेश भवन में :
विदेश मंत्रालय के सभी कार्यालय अब एक ही छत के नीचे काम करने लगेंगे। भोपाल में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) का रीजनल आफिस(International Videsh Bhavan Building in bhopal) भी काम कर रहा है। यह दफ्तर भी बाणगंगा से उठकर विदेश भवन में शिफ्ट हो जाएगा। पासपोर्ट सेवा केन्द्र एवं पासपोर्ट आफिस के अलावा ‘अटेसटेशन एंड एप्पोस्टाइल” के लिए विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अफसर भी बैठने लगेंगे। वीजा संबंधी प्रारंभिक जानकारी भी विदेश भवन से हासिल होने लगेंगी।
विदेश मंत्रालय के सभी कार्यालय अब एक ही छत के नीचे काम करने लगेंगे। भोपाल में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) का रीजनल आफिस(International Videsh Bhavan Building in bhopal) भी काम कर रहा है। यह दफ्तर भी बाणगंगा से उठकर विदेश भवन में शिफ्ट हो जाएगा। पासपोर्ट सेवा केन्द्र एवं पासपोर्ट आफिस के अलावा ‘अटेसटेशन एंड एप्पोस्टाइल” के लिए विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अफसर भी बैठने लगेंगे। वीजा संबंधी प्रारंभिक जानकारी भी विदेश भवन से हासिल होने लगेंगी।
डिजाइन को मिली हरी-झंडी :
विदेश मंत्रालय के सीनियर आर्किटेक्ट भवन की आंतरिक साज-सज्जा की प्लानिंग को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। भवन के लिए सीपीडब्ल्यूडी एवं नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी सहित दो अन्य एजेंसियों ने प्रस्ताव दिए थे। इसमें मंत्रालय के विशेषज्ञों ने सीपीडब्ल्यूडी की डिजाइन को हरी-झंडी दे दी है। बताया जाता है कि शुरुआती तौर पर भवन निर्माण के लिए करीब 15 करोड़ रुपए के बजट का आकलन है।
विदेश मंत्रालय के सीनियर आर्किटेक्ट भवन की आंतरिक साज-सज्जा की प्लानिंग को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। भवन के लिए सीपीडब्ल्यूडी एवं नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी सहित दो अन्य एजेंसियों ने प्रस्ताव दिए थे। इसमें मंत्रालय के विशेषज्ञों ने सीपीडब्ल्यूडी की डिजाइन को हरी-झंडी दे दी है। बताया जाता है कि शुरुआती तौर पर भवन निर्माण के लिए करीब 15 करोड़ रुपए के बजट का आकलन है।
भोपाल में विदेश भवन बनाने के लिए विदेश मंत्रालय ने डिजाइन फाइनल कर दी है। विशेषज्ञों की टीम ने निर्माण संबंधी योजना को हरी-झंडी दे दी है। जल्दी ही काम शुरू हो जाएगा।
– मनोज कुमार राय, क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी मप्र
– मनोज कुमार राय, क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी मप्र
डेढ़ लाख पासपोर्ट :
सूत्रों के अनुसार मध्यप्रदेश में हर साल करीब डेढ़ लाख से अधिक लोग पासपोर्ट बनवाते हैं। इनमें से हजारों की संख्या ऐसे लोगों की रहती है जो दूसरे देशों में रोजगार के लिए जाते हैं। उच्च शिक्षा के लिए जाने वालों की संख्या भी हजारों में है। विदेश भवन बनने के बाद ऐसे लोगों को दस्तावेजों पर ‘अटेशटेशन एंड एप्पोस्टाइल” की सुविधा शुरू हो जाएगी।
सूत्रों के अनुसार मध्यप्रदेश में हर साल करीब डेढ़ लाख से अधिक लोग पासपोर्ट बनवाते हैं। इनमें से हजारों की संख्या ऐसे लोगों की रहती है जो दूसरे देशों में रोजगार के लिए जाते हैं। उच्च शिक्षा के लिए जाने वालों की संख्या भी हजारों में है। विदेश भवन बनने के बाद ऐसे लोगों को दस्तावेजों पर ‘अटेशटेशन एंड एप्पोस्टाइल” की सुविधा शुरू हो जाएगी।
सबसे ज्यादा भोपाल-इंदौर के लोग : विदेशों में नौकरी के लिए वैसे तो प्रदेश के सभी जिलों के लोग जाते हंै लेकिन इनमें राजधानी भोपाल व इंदौर के बाशिंदों की संख्या ज्यादा रहती है। सबसे ज्यादा पासपोर्ट बनवाने वाले इंदौर अंचल से ही आते हैं। वहीं जानकारी के अनुसार पासपोर्ट बनवाने वालों की संख्या हर साल औसतन 20 फीसदी बढ़ रही है।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने दो साल पहले अरेरा पहाड़ी पर सूचना भवन के पास स्थित भूखंड पर भूमिपूजन किया था, लेकिन निर्माण लगातार टलता रहा। जबकि मुंबई में भी उसी समय विदेश भवन की आधार शिला रखी गई थी। पिछले महीने वहां विदेश भवन का उद्घाटन हो चुका है। इस मामले में भोपाल पिछड़ गया। उल्लेखनीय है कि भोपाल में वर्ष 1978 में तत्कालीन विदेश मंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी ने पासपोर्ट कार्यालय का उद्घाटन किया था।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने दो साल पहले अरेरा पहाड़ी पर सूचना भवन के पास स्थित भूखंड पर भूमिपूजन किया था, लेकिन निर्माण लगातार टलता रहा। जबकि मुंबई में भी उसी समय विदेश भवन की आधार शिला रखी गई थी। पिछले महीने वहां विदेश भवन का उद्घाटन हो चुका है। इस मामले में भोपाल पिछड़ गया। उल्लेखनीय है कि भोपाल में वर्ष 1978 में तत्कालीन विदेश मंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी ने पासपोर्ट कार्यालय का उद्घाटन किया था।