बीते वर्ष दुनिया में 30 हजार घंटे इंटरनेट बंद किया गया। भारत में भी 1157 घंटे नेटबंदी रही। इससे बड़े पैमानेे पर आर्थिक नुकसान हुआ।
Internet Shutdown In Rajasthan : नेटबंदी के तुगलकी फरमान से सब कुछ चौपट, आम जनता प्रभावित
इंटरनेट (Internet) बंद करने के फैसलों पर प्रश्नचिह्न
विजय चौधरी भोपाल. स्क्रीन में कैद आज का युवा बगैर इंटरनेट (Internet) के अधूरा है। दिन—रात मोबाइल (mobile) हाथ में रखने वाले युवाओं की मुसीबत तो तब हो जाती है जबकि उन्हें इंटरनेट (Internet) के लिए मोहताज बना दिया जाए। मगर ऐसा हो रहा है।
यों तो यह इक्कीसवीं सदी का बाइसवां वर्ष है और इस युग को सूचना और तकनीक का युग माना जा रहा है, मगर इस दौर में भी सूचनाएं बाधित हो रही हैं। न सिर्फ भारत (India) में बल्कि पूरी दुनिया (World) में जिस तेजी से सूचनाएं प्रसारित होती हैं, उतनी ही बड़ी संख्या में सूचनाओं को रोकने की कोशिश भी हो रही है। इससे दुनिया को आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ा है। बीते वर्ष में विश्व में 30 हजार घंटे इंटरनेट बंद (Internet Shutdown) किया गया और अनुमान है कि इससे 40 हजार 300 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। इंटरनेट बंद (Internet Shutdown) करने में पहले स्थान पर म्यांमार (Myanmar) और दूसरे क्रम पर नाइजीरिया (Nigeria) रहा है। भारत (India) तीसरा देश है जहां 1157 घंटे इंटरनेट बंद रहा। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि वर्ष 2020 से 2021 में नेटबंदी (Internet Shutdown) 36 फीसदी अधिक रही। एक रपट के मुताबिक बीते वर्ष नेटबंदी से 5.9 करोड़ लोग प्रभावित हुए।
IMAGE CREDIT: patrika वैसे तो अब यह मांग उठ रही है कि इंटरनेट चलाना मानवाधिकार (Human Right) में शामिल किया जाए। जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) से जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत (Apex Court) तो यह कह भी चुकी है कि आज के दौर में इंटरनेट लोगों के मौलिक अधिकार में शामिल हो गया है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् की रिपोर्ट में भी इंटरनेट पर लगाई जाने वाली पाबंदियों की आलोचना की जा चुकी है।
तमाम कंप्यूटरों को एक दूसरे से जोड़ कर इंटरनेट बनाने के 50 साल बीत चुके हैं और World Wide Web की स्थापना को भी तीस साल हेा गए हैं लेकिन हालात बताते हैं कि एक स्वतंत्र ऑनलाइन दुनिया (Online World) का ख्वाब अधूरा ही है।
आम तौर पर सरकारें नेटबंदी (Internet Shutdown) के पीछे कानून व्यवस्था का हवाला देती है ताकि अराजकता न फैले। इसी आधार पर जमू-कश्मीर में तो कई बार यह पाबंदी लगाई गई। किसान आंदोलन के समय भी काफी समय नेट बंद रहा। राजस्थान में तो परीक्षा का पर्चा लीक न हो इस कारण नेटबंदी करने का चलन ही बना गया है। दुनिया की बात करें तो रूस (Russia) और चीन (China) ऐसे देश हैं जिन्होंने इंटरनेट पर पूरा सरकारी नियंत्रण कायम कर रखा है। दरअसल ये बोलने की आजादी पर लगाम लगाने और अपराध रोकने की असक्षमता को छुपाने की कोशिश ज्यादा दिखती है।
विडंबना यह है कि इस दौर में कई कारोबार ऐसे हैं जो सिर्फ इंटरनेट की मदद से ही चल सकते हैं। जैसे ही नेटबंदी (Internet Shutdown) होती है, यह पूरी तरह ठप हो जाते हैं। सरकारों को चाहिए कि नेटबंद करने के बजाए ऐसे रास्ते खोजें जिनसे कि बगैर नेटबंदी के कानून-व्यवस्था बहाल रहे और नागरिकों को सूचनाओं से दूर न रहना पड़े।