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अब बिना गिरफ्तारी चालान पेश नहीं कर सकेंगी जांच एजेंसियां

locationभोपालPublished: Dec 30, 2017 11:18:48 am

Submitted by:

pankaj shrivastava

सीबीआई, लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू को सख्त निर्देश…

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भोपाल। भ्रष्टाचार, आय से अधिक संपत्ति, दस्तावेज में कूटरचना और पद का दुरुपयोग मामलों में सीबीआई, लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू को आरोपियों की गिरफ्तारी करना होगा। अब एजेंसियां आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद ही अदालत में चालान पेश कर सकेंगी। हाईकोर्ट से आए नए आदेश के बाद भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों सहित अन्य गंभीर अपराधों में चालान पेश करने के पहले आरोपियों को गिरफ्तार करना पड़ेगा। इन मामलों की विवेचना करने वाली एजेंसियां आरोपियों को गिरफ्तार किए बिना चालान पेश कर देती थीं। इसके चलते रसूखदार आरोपी कानून की गिरफ्त से दूर थे।
सभी जांच एजेंसियां कानून का हवाला देकर रसूखदार आरोपियों को गिरफ्तार किए बिना चालान पेश कर जिम्मेदारी से बच रही थी। नए आदेश के मुताबिक जिन मामलों में 10 साल तक की सजा का प्रावधान है, उनमें जांच एजेंसियों को आरोपियों की गिरफ्तारी करना आवश्यक किया है। भ्रष्टाचार के मामलों में अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान है। वहीं, दस्तावेज में कूटरचना के मामलों में आजीवन कारावास तक का प्रावधान है। ऐसे में अब रसूखदार आरोपियों की गिरफ्तारी जरूरी हो गई है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और विजय कुमार शुक्ला की खण्डपीठ ने विवेचना एजेंसियों को नए आदेश दिए हैं।
ऐसे बदला मामला
पीएमटी परीक्षा घोटाले के मामले में फंसे पीपुल्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन एसएन विजयवर्गीय की अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई के बाद हुए आदेश में एजेंसियों को नए निर्देश दिए गए हैं। एसएन विजयवर्गीय की जमानत अर्जी खारिज हुई है। इस आदेश में पूर्व में आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं करने के आदेश को ओवर रूल किया है। कानूनविदों की राय में अब विवेचना एजेंसी को चालान पेश करने के पहले आरोपियों को गिरफ्तार करना आवश्यक हो गया है।
रसूखदार आरोपी कानून की गिरफ्त से दूर
पीएमटी 2012 व 2013 घोटालों के मामलों में सीबीआई ने आरोपियों की गिरफ्तारी के बिना ही अदालत में चालान पेश कर दिया था। इसके चलते अदालत से आरोपियों के खिलाफ वारंट जारी किए गए। पीएमटी 2012 के परीक्षा घोटाले के मामले में 4 मेडिकल कॉलेज के मालिक सहित ज्यादातर रसूखदार अब तक कानून की गिरफ्त में नहीं आ सके हैं। यदि चालान पेश करने के पहले ही सीबीआई रसूखदार मेडिकल कॉलेज के संचालकों की गिरफ्तारी कर लेती तो ज्यादातर आरोपी कानून के शिकंजे में होते।
कानून का हवाला देकर बचती थीं
अब तक विवेचना करने वाली एजेंसियां भ्रष्टाचार, पद के दुरुपयोग, आय से अधिक संपत्ति, दस्तावेज में कूटरचना के मामलों में आरोपियों की गिरफ्तारी तो करती थी, लेकिन उन्हें दफ्तर से ही जमानत पर छोड़ देती थीं। आरोपियों को चालान पेश करते समय सूचना दी जाती थी। ऐसे में आरोपी विवेचना में जांच एजेंसी ने गिरफ्तार नहीं किया है। हवाला देकर जमानत पर छूट जाते थे।
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