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घडिय़ाल शिकार मामले में वन विभाग ने जांच की शुरू

locationभोपालPublished: Feb 05, 2019 10:39:52 am

कलियासोत डैम में घडिय़ाल और कछुओं के शिकार मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज …

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घडिय़ाल शिकार मामले में वन विभाग ने जांच की शुरू

भोपाल. कलियासोत डैम में दुर्लभ एवं लुप्तप्राय वन्यजीव घडिय़ाल और कछुओं के शिकार का मामला वन विभाग ने गंभीरता से लिया है। सीसीएफ के निर्देश पर डीएफओ ने अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया है। वन अमला इस मामले में अब गहराई से जांच कर रहा है। इसके साथ ही इस डैम से संबंधित विभागों को भी वन विभाग की ओर से नोटिस जारी किए जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि राजधानी के कलियासोत डैम में चालीस छोटे-बड़े घडिय़ालों के अलावा दुर्लभ प्रजाति के कछुए और मोर आदि संरक्षित वन्यजीव रहते हैं। उपयुक्त जलवायु के चलते इनकी ब्रीडिंग से संख्या में इजाफा हो रहा है, लेकिन इसके साथ ही घडिय़ाल और कछुओं का आखेट भी किया जा रहा है। इस डैम में मत्स्य पालन विभाग की अनुशंसा पर नगर निगम ने 06 फरवरी 2014 को सुभाष रायकवार, अध्यक्ष नवीन मत्स्य उद्योग को आगामी दस वर्षों मत्स्य आखेट के लिए अधिकृत किया था।
25 अक्टूबर 2018 को यह डैम भोपाल कलेक्टर के आदेश से जिला पंचायत अधिकारी को सौंपे जाने पर नगर निगम ने नवीन मत्स्य उद्योग को दिया गया ठेका निरस्त कर दिया था। स्थानीय लोगों का कहना था कि इसके बाद भी दिन और रात में ठेकेदार के लोग इस डैम में अवैध रूप से मत्स्य आखेट करते रहे। ठेकेदार के आदमी डैम में रात को मछली पकडऩे के लिए जाल लगा जाते थे और सुबह कई बार उनके जाल टूटे मिलते थे। रात में घडिय़ाल सिंघाडा, संबल, रोहू जैसी कीमती मछलियों को खा जाता था और जाल भी तोड़ देता था। इस नुकसान से निपटने के लिए ठेकेदार ने अपने एक करीबी आदमी को कोलकाता भेजकर स्पेशल ट्रेनिंग दिलवाई थी।
इस तरकीब में मजबूत जाल को बीच में बड़ी मछली रखकर उलझा दिया जाता है। फिर इस जाल को पानी के पास रख दिया जाता है। जैसे ही भूख घडिय़ाल मछली पर झपटता है और मछली को जाल से बाहर निकालने का प्रयास करता है, वह इसमें बुरी तरह फंस जाता है। मुंह फंस जाने पर घात में बैठे शिकारी उसे बांधकर गाड़ी में डालकर ले जाते हैं। बताया गया था मई 2009 व अगस्त 2016 में भी घडिय़ाल को जाल में फंसाकर मार डाला गया था। लोगों का कहना था ठेकेदार के लोगों को कमला नगर पुलिस का संरक्षण प्राप्त था।
डैम से संबंधित जल संसाधन विभाग, मत्स्य पालन, नगर निगम और जिला पंचायत ने कभी वन विभाग को डैम में मत्स्य आखेट के बारे में सूचित नहीं किया, जबकि जहां संरक्षित वन्यजीव हों, वहां कोई गतिविधि शुरू करने से पहले वन विभाग को सूचित किया जाना था और एनओसी ली जानी चाहिए थी। पूर्व में मड कार रैली और अन्य आयोजन भी इस डैम् में किए जाते रहे हैं, लेकिन आजतक कार्रवाई नहीं की गई।
कलियासोत डैम में घडिय़ाल और अन्य वन्यजीवों के अवैध शिकार के मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की गई है। डैम से संबंधित विभागों को भी नोटिस भेजे जा रहे हैं।
– डॉ. एसपी तिवारी, सीसीएफ
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