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औद्योगिक कॉरिडोर की टॉउनशिप लाएगी निवेश के साथ-साथ रोजगार

locationभोपालPublished: Oct 12, 2019 01:54:16 pm

Submitted by:

Alok pandya

दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में मध्यप्रदेश की हिस्सेदारी, परियोजना के पहले चरण में दूसरे सबसे बड़े भू-भाग वाली हिस्सेदारी है। मध्यप्रदेश की इंडस्ट्रियल टाउनशिप में सूचना प्रौद्योगिकी, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के उद्योग लगाए जाएंगे।

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भोपाल। दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर (डीएमआईसी) भले ही मध्यप्रदेश से होकर नहीं गुजर रहा हो, लेकिन यह प्रदेश के औद्योगिक विकास में अहम भूमिका निभाने वाला है। 1483 किलोमीटर लंबाई वाले इस कॉरिडोर के प्रभाव क्षेत्र में मध्यप्रदेश की 372 वर्ग किलोमीटर भू-भाग वाली इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप बस रही है। यह बहुत बड़ा इलाका है। इसके माध्यम से मध्यप्रदेश की आर्थिक तस्वीर में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में मध्यप्रदेश की हिस्सेदारी, परियोजना के पहले चरण में दूसरे सबसे बड़े भू-भाग वाली हिस्सेदारी है। मध्यप्रदेश की इंडस्ट्रियल टाउनशिप में सूचना प्रौद्योगिकी, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के उद्योग लगाए जाएंगे। ये वे क्षेत्र हैं जो पहले ही तेज विकास के साथ अपनी उपयोगिता को साबित कर चुके हैं। इसके अलावा ऑटोमोबाइल क्षेत्र को भी प्राथमिकता दी जाएगी।

 

क्या है डीएमआईसी-

दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर (डीएमआईसी) एक ऐसी परियोजना है जो उत्तरप्रदेश, दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से होकर गुजरेगी। इस परियोजना को 9000 करोड़ डालर से तैयार किया जा रहा है। खास बात यह है कि इनमें से चार राज्य ऐसे हैं जिनकी सीमा मध्यप्रदेश से सटी हुई है। इस कॉरिडोर के आसपास विकसित होने वाली औद्योगिक टाउनशिप में रोजग़ार के अपार अवसर होंगे। एक छोटे-मोटे शहर की तरह विकसित होने वाली इन औद्योगिक टाउनशिप में लोगों को उनकी योग्यता के अनुसार काम मिलना तय है।

कहां बनेगी इंडस्ट्रियल टाउनशिप-

डीएमआईसी के प्रभाव क्षेत्र में बड़ी-बड़ी इंडस्ट्रियल टॉउनिशिप भी विकसित की जाएगी। मध्यप्रदेश में यह टाउनशिप धार जिले के पीथमपुर में विकसित की जा रही है। वह निवेश तो लायेगी ही साथ ही स्थानीय लोगों को रोजग़ार के अवसर प्रदान करेगी। निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण बात यह भी है कि इस इंडस्ट्रियल टाउनशिप तक सड़क-हवाई अथवा रेल मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 3 (आगरा-मुंबई) इसे सड़क मार्ग से जोड़ता है जबकि करीब स्थित इंदौर शहर इसे रेल और हवाई संपर्क प्रदान करता है। इसके साथ-साथ प्रदेश के नीमच-नयागांव तथा रतलाम-नागदा क्षेत्र भी डीएमआईसी के निवेश और औद्योगिक विकास क्षेत्र में आ रहे हैं।

 

मध्यप्रदेश को क्या लाभ-

इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप में माल और अन्य वस्तुओं का तेजी से ट्रांसपोर्टेशन हो सकेगा। जीएसटी लागू होने के बाद एक देश-एक कर प्रणाली लागू हो चुकी है। ऐसे में कॉरिडोर के जरिए मध्यप्रदेश में लॉजिस्टिक की भरपूर संभावनाएं हैं। इस इंडस्ट्रियल टाउनशिप में उद्योग अपने केंद्र बनाकर ट्रांसपोर्टेशन के खर्च को बचा सकेंगे।

डीएमआईसी से मध्यप्रदेश का औद्योगिक विकास सुनिश्चित है। इस योजना में पीथमपुर में इंडस्ट्रियल टाउनशिप बन रही है। यह टाउनशिप निवेश के साथ ही प्रदेश में रोजगार के बड़े अवसर भी उपलब्ध कराएगी।

– राजेश राजौरा, प्रमुख सचिव उद्योग नीति एवं निवेश प्रोत्साहन

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