प्राप्त जानकारी के अनुसार बैरसिया तहसील के हिनौतिया सड़क गांव के निवासी रामचरण नागर और उनकी पत्नी कृष्णा बाई नागर ने कोरोना वैक्सीन का दूसरा डोज लगवाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था। उन्हें 10 जुलाई को वैक्सीन लगवाने का समय मिला। उनको ग्राम पंचायत धमर्रा के सेंटर पर स्लॉट मिला था। लेकिन वे जरूरी काम आ जाने के कारण वैक्सीन लगवाने नहीं जा पाए। लेकिन उसी दिन उनके मोबाइल पर मैसेज आया कि उनको सफलतापूर्वक वैक्सीन लग गई है। मैसेज के बाद उन्होंने सर्टिफिकेट चैक किया तो वह भी डाउनलोड हो गया। अब वे परेशान हैं कि रिकॉर्ड में तो उन्हें वैक्सीन लग गई है लेकिन हकीकत में नहीं लगी है। तो उन्हें दूसरी डोज कैसे लगेगी। हालांकि वैक्सीनेशन के प्रभारी एडीएम संदीप केरकेट्टा का कहना है कि ऐसा संभव नहीं है कि किसी को बिना वैक्सीन लगे सर्टिफिकेट जारी हो जाए। लेकिन इस मामले की जांच कराई जाएगी कि ऐसा कैसे हुआ।
इसके पहले बच्चों को जारी हो चुके हैं मैसेज वैक्सीनेशन में गडबडियों का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले एक 13 साल के लड़के वेदांत ने भी वैक्सीन नहीं लगवाई थी लेकिन उसे सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया था। इसी तरह एक 12 साल की बालिका मोहिनी को भी बिना वैक्सीन लगाए सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया था। जबकि अभी 18 साल से कम उम्र के बच्चों को वैक्सीन लगाई ही नहीं जा रही है। इसकी भी जांच कराई गई लेकिन अभी तक गडबडी का खुलासा नहीं किया गया।