बड़े ऑपरेटर्स की बसें बाहर खड़े होकर पहले यात्रियों को बैठा लेती है, इससे अंदर बसें खड़ी करने से अन्य ऑपरेटर्स भी बच रहे हैं और कोशिश करते हैं कि अंदर से जल्दी बाहर आकर यहीं से यात्री बिठाएं। इस स्थिति की वजह से बस स्टैंड पर पूरे समय अव्यवस्था का माहौल रहता है। होशंगाबाद रोड पर भी कई बार ये बसें खड़ी होने से ट्रैफिक की दिक्कत बनती है। रोजाना करीब 60 बसें यहां आकर खड़ी होती है और यात्रियों को बिछाती है। कई बार ऐसी स्थिति बनती है कि यात्री बस अड्डे के अंदर खड़े होकर बस का इंतजार की करते रहते हैं और बसें बाहर ही खड़ी हो जाती है।
गौरतलब है कि 2010 में बने इस आईएसबीटी को प्रदेश के मॉडल बस स्टैंड की तर्ज पर व्यवस्थित होना था। यात्रियों की सुविधाओं में सबके लिए एक मॉडल की तरह काम करना था, लेकिन निजी स्वार्थ की वजह से ये अव्यवस्था का शिकार हो गया है। यात्री यहां सुविधाओं को तरस रहे हैं तो बस ऑपरेटर्स मनमानी कर रहे हैं। रोजाना करीब 300 बसों की आवाजाही के साथ 11 हजार यात्रियों के यहां आने-जाने का दावा किया जाता है, बावजूद इसके व्यवस्था बनाने कोई पक्के इंतजाम नहीं कर रखे हैं। संभागायुक्त कल्पना श्रीवास्तव का कहना है कि आईएसबीटी की स्थिति देखी जाएगी। अव्यवस्थाओं को दूर करने सभी एजेंसियों से मिलकर काम करेंगे।
ये हो तो आईएसबीटी पर बस संचालन बेहतर हो – आईएसबीटी के बाहर व अंदर पुलिस की टीम सक्रिय रहे। ट्रैफिक का अमला भी रहे, जो बसों को बाहर खड़ा न होने दें।
– रिटायर्ड व 25 दिवसीय कर्मचारियों की बजाय नियमित कर्मचारियों की नियुक्ति हो, जो बस स्टैंड की व्यवस्था बनाए रखें।
– आईएसबीटी के लिए डेडिकेटेड तौर पर इलेक्ट्रिसिटी, पानी और सिविल से जुड़े इंजीनियर हो, ताकि यहां किसी भी टूट फूट या उपकरण खराबी में तुरंत काम हो। अनुरक्षण शुल्क की पूरी वसूली कर बस स्टैंड के संचालन पर खर्च की जाए।