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आइलेट : कोरोना से पापा को खोने के बाद खुद को संभाला, पाई ऑल इंडिया रैंक-16

locationभोपालPublished: Aug 05, 2021 01:20:24 am

Submitted by:

hitesh sharma

नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के लिए हुए टेस्ट में शहर के तीन स्टूडेंट्स ने हासिल की एआइआर

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भोपाल। नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली के लिए आयोजित आइलेट ऑल इंडिया लॉ एंट्रेस टेस्ट का बुधवार को रिजल्ट घोषित हुआ। 110 सीट्स पर दाखिला लेने के लिए करीब 17 हजार स्टूडेंट्स ने परीक्षा में हिस्सा लिया था। इसमें भोपाल के आदर्श गौतम ने एआइआर-7, चिनमय जैन ने एआइआर-16 और कार्तिक गौतम ने एआइआर-20वीं रैंक हासिल की है। लॉ प्रेप के डायरेक्टर आलोक कुमार पांडेय ने बताया कि इस बार कटऑफ 100 मार्क्स रहा है।

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चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का बेटा हुआ सलेक्ट
आदर्श गौतम को एआइआर-7 मिली है। आदर्श ने बताया कि मेरे पापा रमेश गौतम विधि विभाग वल्लभ भवन में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं। पापा से इसके बारे में सुनता था, न्यूज पेपर में खबर पढ़ता तो धीरे-धीरे इस फील्ड में मेरा भी रूझान बढ़ने लगा। मुझे क्लैट में 259 रैंक मिली है। मैंने पिछले साल भी दोनों एग्जाम दी थीं। क्लैट में 1484 और आइलेट में 900 रैंक मिली थी। मैंने ड्रॉप लेकर फिर से तैयार की और सफलता पाई। इसके लिए पिछले 12 सालों के पेपर सॉल्व किए। मॉक टेस्ट देकर इसके पैटर्न को समझा। मैं हर दिन दस से बारह घंटे पढ़ाई करता था।

आज पापा और मेरा सपना पूरा हो गया
चिनमय जैन को एआइआर-16 मिली है। चिनमय ने बताया कि मुझे क्लैट में एआइआर-398 रैंक मिली है। एनएलयू, दिल्ली से पढ़ाई करना मेरा सपना रहा है। पापा संजय जैन सीए थे। अप्रेल में कोरोना से उनकी मौत हो गई। दो माह तक मैं खुद को संभाल नहीं पाया। परिवार ने कहा कि तुम्हें पापा का सपना पूरा करना है, मैंने फिर से पढ़ाई शुरू की। हर दिन दस से बारह घंटे पढ़ाई की। निराशा होती तो यू-ट्यूब पर मोटिवेशन वीडियोज देखता। पापा ही चाहते थे कि मैं इस फील्ड में करियर बनाऊं। आज मैंने सफलता की पहली सीढ़ी पर कदम रखा है।

दो साल से कर रहा था एग्जाम की तैयारी
कार्तिक श्रीवास्तव को एआइआर-20 हासिल हुई है। कार्तिक ने बताया कि क्लैट और आइलेट का पैटर्न बिल्कुल अलग है। 2019 तक ये दोनों समान थे, तब मैंने दोनों के बेसिक्स पर काफी मेहनत की थी लेकिन 2020 में सिलेबस बदल गया तो मैंने क्लैट पर फोकस किया। समय मिलने पर आइलेट के चैप्टर्स भी पढ़ता था। इस रैंक की उम्मीद नहीं थी, लेकिन मुझे खुशी है कि मेरी मेहनत रंग लाई। मुझे क्लैट में एआइआर-149वीं रैंक मिली थी। पापा संजय श्रीवास्तव भी एडवोकेट हैं, उन्हीं से इस फील्ड में आने की प्रेरणा मिली। दो साल की मेहनत के बाद अब यहां एडमिशन मिलेगा।

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