कमेटी में रिपोर्ट प्रस्तुत होने के बाद आयकर विभाग ने इन सीटों पर होने वाले कैश फ्लो पर नजर रखने के लिए खुफिया एजेंसी तैनात कर दी है। उसके मुताबिक 35 जिलों की इन सीटों पर पैसा पानी की तरह बहाया जा सकता है। यह पैसा कैसे खर्च होगा, इसकी निगरानी की व्यवस्था के लिए भी खुफिया एजेंसी भी तैनात की जा रही हैं।
चिह्नित सीटों के बैंक, एटीएम से पैसे की निकासी और जमा की गई रकम के संबंध में साप्ताहिक रिपोर्ट तैयार होगी। अप्रत्याशित लेन-देन वाले बैंक खातों का डाटा तैयार होगा। कम ट्रांजेक्शन वाले खातों में यदि अचानक ज्यादा राशि जमा होती है तो बैंक अधिकारी आयकर विभाग को इसकी जानकारी देंगे।
एटीएम में डाले जा रहे पैसों की एक चार्टशीट भी तैयार की जा रही है। वहीं, जो खाते चुनाव के दौरान अथवा चुनाव से दो-तीन महीने पहले खोले गए हंै, उनकी निगरानी आयकर विभाग ने शुरू कर दी है।
चुनाव में….
अगर इन बैंक खातों पर 50 हजार रुपए से अधिक राशि एक साथ जमा हुई है या बार-बार पैसे डाले और निकाले जा रहे हैं तो संबंधित खातेदार से पूछताछ की जाएगी। चुनाव के दौरान यह भी देखा जाएगा कि खाताधारक एटीएम से पैसे किस समय (रात या दिन) ज्यादा निकाल रहे हैं।
महंगी गाडिय़ों पर नजर
टीम के सदस्य यह भी देख रहे हैं कि कौन-कब महंगी गाडिय़ां उठा रहा है। इसका उपयोग वही कर रहे हैं या कोई और। दरअसल, चुनाव के समय प्रत्याशी अपने लिए दूसरों के नाम से लग्जरी वाहन खरीदवाते हैं। चुनाव के बाद इन्हें बेच दिया जाता है। ऐसे में इसका खर्च प्रत्याशी के खाते में नहीं जुड़ पाता। बड़ी खरीदारी और होटलिंग के भी रेकॉर्ड तैयार किए जा रहे हैं।
चार विधायकों के मोबाइल सर्विलांस पर
प्रदेश के चार धनपति विधायकों के मोबाइल सर्विलांस पर रखे गए हैं। वे लोग भी आयकर विभाग के रडार पर हैं, जो कई महीनों से इन विधायकों से मोबाइल पर बातचीत कर रहे हैं। इन विधायकों की गतिविधियों, उनके करीबियों और उनसे लगातार मिलने वाले लोगों का रेकॉर्ड भी तैयार किया जा रहा है। विधायकों के संपर्क में रहने वाले कारोबारी, व्यापारी और आपराधिक गतिविधियों से जुड़े लोगों पर पुलिस और आयकर विभाग की विशेष नजर है।
ऐसे तैयार हुई सूची
बैंक से लेनदेन, एटीएम से निकासी और जमा हुई राशि, शराब बिक्री, बर्तन व कपड़ों की खरीदी तथा टोल नाकों से वाहन आवाजाही, होटलों में भीड़, चुनाव और उसके तीन माह के अंदर वाहन खरीदी को आधार बनाया गया है। पिछले चुनाव में जब्त धन, बैंक लेन-देन और खर्च को शामिल किया गया है।
बड़े ट्रांजेक्शन पर नजर
चुनाव खर्च और बैंक लेन-देन पर नजर रखने के लिए इंवेस्टीगेशन विंग में अलग से टीम बनाई है, जो बड़े ट्रांजेक्शन और पैसों की आवाजाही पर नजर रखेगी। प्रदेश में कई विधानसभा क्षेत्रों को खर्च के हिसाब से सेंसेटिव जोन के रूप में चिह्नित किया गया है। इन विधानसभा क्षेत्रों पर आयकर और व्यय पर्यवेक्षकों की खुफिया नजर रहेगी।
– पीके दास, प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त (एमपी-सीजी) आयकर विभाग
ये हैं व्यय संवेदनशील विधानसभा क्षेत्र
बालाघाट, लहार, बुरहानपुर, विजावर, छिंदवाड़ा, दमोह, दतिया, देवास, हाट पिपलिया, पानसेमल, ग्वालियर, हरदा, सिवनी मालवा, सोहागपुर, पाटन, जबलपुर कैंट, बड़वारा, मुड़वारा, हरसूद, महेश्वर, मंदसौर, मल्हारगढ़, गोटेगांव, जावद, पवई, भोजपुर, सिलवानी, रतलाम सिटी, जौरा, रीवा, बीना, रेहली, मनावर, धार, सतना, नागोद, बुदनी, सीहोर, पिछोर, चुरहट, चितरंगी, सिंगरौली, जतारा, महिदपुर, उज्जैन उत्तर, विदिशा, सिरोंज।
वाहन, नकदी, कपड़े और महंगे गिफ्ट से लुभा सकते हैं
चुनाव आयोग का कहना है कि कर्नाटक और तमिलनाडु के विधानसभा चुनाव में ऐसे किस्से सामने आए थे, जब मतदाताओं को लुभाने के लिए उम्मीदवारों ने नकदी, कपड़े, वाहन और गहने बांटे थे। इसके लिए चिह्नित मतदाताओं को कूपन दिए गए थे। मध्यप्रदेश में भी कुछ ऐसा ही तरीका अपनाए जाने का अंदेशा है।
कमेटी के अधिकारी कारोबारी, व्यापारी और धनाढ्यों की स्क्रीनिंग करेंगे। इसमें यह पता लगाया जाएगा कि उनके यहां पहले कितना कारोबार था और आज की स्थिति क्या है। चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों के अधिकतम खर्च की सीमा 28 लाख रुपए तय की है।