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बिना मरीज को देखे ही तय हो जाती है बीमारी, मर्जी से बनते हंै मेडिकल

locationभोपालPublished: Apr 08, 2019 10:58:24 pm

Submitted by:

Praveen tamrakar

जिला चिकित्सालय में हर सोमवार मेडिकल बोर्ड लगता है, इसमें दिव्यांगों के प्रमाण पत्र के साथ ही कर्मचारी और अन्य लोगों के मेडिकल बनते हैं।

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Rajgarh After receipt of the amount of Rs 100, a receipt of Rs. 75 was given.

राजगढ़. जिला चिकित्सालय में हर सोमवार मेडिकल बोर्ड लगता है, इसमें दिव्यांगों के प्रमाण पत्र के साथ ही कर्मचारी और अन्य लोगों के मेडिकल बनते हैं। लेकिन इन मेडिकल को बनाने के लिए डॉक्टर किसी एक जगह नहीं बैठते, बल्कि उनकी अलग-अलग जगह तलाश करते हुए हस्ताक्षर कराने पड़ते हैं और यदि ऐसे नहीं भटकना है तो फिर सीएस ऑफिस के लिपिक को निर्धारित 160 रुपए की मेडिकल फीस देने के अलावा 100 रुपए लिपिक को देने के बाद वह खुद सभी जगह से हस्ताक्षर करा देता है।

ऐसे कई बार जरूरतमंद भी भटकते रहते हैं और कई ऐसे लोगों के मेडिकल बन जाते हैं जो बीमार ही नहीं होते। उनका मेडिकल कैसे बनता यह कोई भी बता सकता है। लेकिन बीमार होने के बाद भी जब एक महिला कर्मचारी का पात्र होने के बाद भी उन्हें अपात्र किया तो उनके भतीजे ने मेडिकल बोर्ड की हकीकत को अपने कैमरे में कैद कर लिया। इसमें लिपिक की रिश्वतखोरी और किस डॉक्टर को कितना भुगतान होता है यह सारा खुलासा लिपिक ने ही कर दिया।

14 डॉक्टरों को और लिपिक लेता है 29 क्र
मेडिकल बोर्ड का काम देख रहे लिपिक द्वारा हर मेडिकल पर 100 रुपए लिए जाते हैं, जबकि 150 की रसीद पहले आउटडोर पर काटी गई। ऐसे में जब लिपिक से पूछा गया कि यह क्यों और किस काम के लिए तो उन्होंने 75 रुपए की एक और रसीद थमा दी जो न तो रोकस की थी और न ही अस्पताल की। फिर जब बचे 25 रुपए वापस मांगे तो उनका कहना था कि यह राशि डॉक्टरों में बंटती है ऐसे ही थोड़े हस्ताक्षर हो जाते हैं।
अमूमन किसी बीमारी के लिए मरीज को डॉक्टर के सामने जाना होता है। लेकिन राजगढ़ में एक अलग परंपरा शुरू हो गई है। इसमें सोमवार के दिन लगने वाले मेडिकल बोर्ड में भले ही कोई डॉक्टर न बैठे और मरीज भी उनके सामने न जाए लेकिन मरीज की बीमारी का निदान डॉक्टर फार्म और कटी हुई फीस को देखकर ही तय कर देते हैं। इसमें न मरीज को देखा जाता है और ना ही कोई जांच कराई जाती है। इसके बाद भी मरीज को अक्षम्य सक्षम बता दिया जाता है। कुछ ऐसा ही सोमवार को देखने को मिला जहां मरीज डॉक्टर के सामने नहीं गया।
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