1998 में हुई गोशाला की शुरुआत
इस गोशाला की शुरुआत 15 अगस्त 1998 में हुई थी। तब से निरंतर गोशाला में गायों की सेवा का काम जारी है। यहां लोग अपनी गाय, बैल, बछड़ों को छोड़ जाते हैं, जो उनके लिए उपयोगी न हो। नगर निगम भी आवारा मवेशियों को यहीं छोड़ जाता है। वर्तमान में गोशाला में करीब दो हजार गायें हैं।
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गोशाला में पधारे थे आचार्य श्री विद्यासागर महाराज
गोशाला में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज की प्रेरणा से दयोदय महासंघ के अंतर्गत जीव दया गोसंरक्षण एवं पर्यावरण संवर्धन केंद्र चलाया जाता है। दयोदय महासंघ द्वारा असहाय और बीमार गोवंश को गुड़, तिल, पूड़ी खिलाने का अभियान भी चलाया जा चुका हैै। आचार्य श्री विद्यासागर महाराज 2016 में गोशाला में पधारे थे।

11 साल पहले शुरू किया प्रयोग
जीव दया गोशाला के संचालक अशोक जैन ने बताया कि 2009-10 में हमने यहां आने वाली आवारा, बीमार और कमजोर गायों पर विशेष ध्यान देना शुरू किया। उन्हें पोष्टिक और भरपूर आहार देने लगे। बेहतर तरीके से देखभाल की। इसका नतीजा यह हुआ कि ऐसी गायों ने बछिया-बछड़ों को जन्म दिया और दूध देने लगीं। इनसे पैदा हुई बछियों से जो गाय-बछड़े जन्में वे काफी हष्ट-पुष्ट हुए और उनकी नस्ल में भी सुधार हुआ।
एक्सपर्ट व्यू
यदि आपने गाय पाल रखी है तो ऐसे करें देखभाल
कई बार लोग ग्यावन न होने के कारण गायों को छोड़ देते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं। जैसे उचित आहार न मिलना या कोई बीमारी होना। यदि उनकी सही तरीके से देखभाल करें और आयरन, कैल्शियम, जिंक, फोलिक एसिड से भरपूर पौष्टिक आहार दें तो उनके गर्भधारण से जुड़े अंग विकसित हो जाते हैं। हार्मोन का स्त्राव पुन: शुरू हो जाता है और वे गर्भधारण कर लेती हैं।
-डॉ. अजय रामटेक उप संचालक, पशु चिकित्सा सेवाएं, भोपाल