दो दिवसीय 19वें सालाना इज्तिमा ए ख्वातीन के दूसरे दिन कई विषयों पर तकरीर हुई। छिंदवाड़ा से तशरीफ़ लाई तलत फलाही साहिबा ने बताया कि एक बार में ही तीन बार तलाक़ कह देना चाहिए ग़लत तरीका है। अशिक्षा की वजह से मुस्लिम समाज में तलाक को लेकर कई ग़लतफ़हमी बन गईं। इन्होंने कहा कि क़ुरआन कहता है, एक महीने में एक बार तलाक़ कहना है, दूसरे में दूसरी बार। इस तरीके से मियां बीवी के बीच सुलह की गुंजाइश रहेगी। लेकिन अगर कोई एक बार में तीन तलाक़ दे देता है तो ज्यादती है। जिसकी इस्लाम में कोई जगह नहीं है।
पर्दा बुरी नजरों से बचाता है, तरक्की में रूकावट नहीं सम्मेलन में हरदा से पहुंची यास्मीन साहिबा ने कहा कि पर्दा किसी महिला/लड़की की तरक्की में रुकावट नहीं है बल्कि पर्दा करने से औरत को सम्मान मिलता है। उनका कहना था कि आज के दौर में जब औरते दिखावे और नुमाइश पर ज़ोर दे रही हैं, वे दरअसल धोखे में है। उनका कहना था कि बेहूदा कपड़े पहन कर औरत जिस्म की नुमाइश करती है इससे छेड़छाड़ और रेप जैसी घटनाएं होती हैं। इस्लाम इस बात पर ज़ोर देता है कि महिलाएं पर्दा करें।
बुजुर्गो की सेवा के साथ दें सम्मान माता पिता और अपने बुजुर्गों से किस तरह का बर्ताव करना चाहिए इस बारे में जानकारी दी गई। सीहोर की बुशरा साहिबा ने कहा कि हर एक मां को चाहिए कि वो अपने बच्चों को तालीम दे कि वो अपने दादा-दादी, नाना-नानी और यहां तक कि पड़ोस में रहने वाले बुज़ुर्गों के साथ अच्छा बर्ताव करें। अस्मा फलाही साहिबा ने अपनी तकऱीर क़ुरआन को पढऩे के साथ समझों और उन बातों पर अमल करों। उन्होंने बताया कि क़ुरआन में दुआ सिखाई गई है – ए हमारे मालिक, मेरे माता पिता पर रहम फऱमा जिस तरह से उन्होंने मुझे पाला पोसा, मेरी देखभाल की, मेरी मदद की। जमाअत ए इस्लामी मध्यप्रदेश की महिला विंग की अध्यक्ष माहनाज़ साहिबा ने बताया कि मुस्लिम बंदे को चाहिए कि वो ईश्वर से अपना ताल्लुक मज़बूत करें। इंदौर से सम्मेलन में पहुंची माहरुख साहिबा ने कहा कि ईश्वर इस बात को पसंद करता है कि उसके रास्ते में क़ुरबानी दी जाए।