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भगवान जगन्नाथ की निकलती है रथयात्रा, सैकड़ों मील दंडवंत करते हुए आते हैं भक्त, VIDEO

locationभोपालPublished: Jul 13, 2018 07:29:37 pm

Submitted by:

Manish Gite

भगवान जगन्नाथ की निकलती है रथयात्रा, सैकड़ों मील दंडवंत करते हुए आते हैं भक्त

JAGANNATH RATH YATRA

भगवान जगन्नाथ की निकलती है रथयात्रा, सैकड़ों मील दंडवंत करते हुए आते हैं भक्त, VIDEO

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गोविन्द सक्सेना.विदिशा
चारों धाम में से एक है उड़ीसा की जगन्नाथपुरी। आषाढ़ सुदी दूज पर यहां रथयात्रा और रथ में आरूढ़ भगवान जगदीश, बलभद्र और देवी सुभद्रा के दर्शन बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। लेकिन पुरी में ये दुर्लभ दर्शन देखने सभी नहीं जा पाते हैं। जो भक्त उड़ीसा की जगन्नाथपुरी नहीं जा पा रहे हैं उनके लिए अच्छी खबर है कि भगवान खुद रथयात्रा के दिन मप्र के विदिशा जिले के छोटे से गांव मानौरा मेें पधारते हैं और लाखों लोगों को दर्शन देते हैं।

 

 

जी हां, यह परम्परा चली आ रही है पिछले दो सौ वर्षों से। यहां भगवान जगदीश स्वामी का प्राचीन मंदिर है, जिसमें जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के श्रीविग्रह विराजमान हैं। यदि आप भी उड़ीसा की जगन्नाथ पुरी नहीं जा पा रहे हैं तो बना लीजिए प्लान विदिशा जिले के मानोरा गांव आने का और रथ में आरूढ़ साक्षात जगदीश स्वामी के दर्शन करने का।

 

JAGANNATH
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भक्त को दिया वचन निभाने आते हैं भगवान
मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी रामनाथ सिंह बताते हैं कि यह मंदिर भगवान के भक्त और मानौरा के तरफदार मानिकचंद और देवी पद्मावती की आस्था का प्रतीक है। तरफदार दंपत्ति भगवान के दर्शन की आकांक्षा में दंडवत करते हुए जगन्नाथपुरी चल पड़ेे थे। दुर्गम रास्तों के कारण दोनों के शरीर लहुलुहान हो गए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। इस पर भगवान स्वयं प्रकट हुए और उनको मानोरा में ही हर वर्ष दर्शन देने आने का वचन दिया। अपने भक्त को दिए इसी वचन को निभाने हर वर्ष भगवान आषाढ़ी दूज को रथयात्रा के दिन मानोरा पधारते हैं और रथ में सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकलते हैं।

 

भगवान मानोरा पधार गए…
मंदिर के मुख्य पुजारी भगवती दास बताते हैं कि रथयात्रा की पूर्व संध्या को आरती, भोग लगाने के बाद जब रात्रि को भगवान को शयन कराते हैं तो उनके पट पूरी तरह से बंद किए जाते हैं, लेकिन सुबह अपने आप थोड़ा सा पट खुला मिलता है। जब रथ पर भगवान को सवार कराया जाता है तो अपने आप उसमें कंपन होता है अथवा वह खुद ही लुढ़कने लगता है। यही प्रतीक है कि भगवान मानोरा आ गए हैं। मुख्य पुजारी के मुताबिक उड़ीसा की पुरी में भी पंडा रथयात्रा के दौरान जब वहां भगवान का रथ ठिठककर रुकता है तो घोषणा करते हैं कि भगवान मानोरा पधार गए हैं।

मीठे भात का भोग लगता है जगन्नाथ को
रथयात्रा के दिन भगवान जगदीश को पूरी पवित्रता के साथ बनाए गए मीठे भात का भोग अर्पित किया जाता है। कई श्रद्धालु अपनी मन्नत पूरी होने पर भी भगवान को ये भोग अर्पित कराते हैं। इस भोग को अटका कहा जाता है। यह मिट्टी की हंडियों में मुख्य पुजारी द्वारा ही तैयार किया जाता है। जिसे भगवान को अर्पित करने के बाद भक्तों में बांटा जाता है। इसी लिए कहा जाता है कि जगन्नाथ का भात, जगत पसारे हाथ।

 

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तन की सुधि नहीं, मन जगदीश के हवाले
भगवान के दर्शन करने बड़ी संख्या में लोग मीलों दूर से दण्डवत करते हुए मानोरा पहुंचते हैं। रास्ता चाहे जितना दुर्गम, पथरीला, कीचड़ भरा या सड़कें गड्ढे और गिट्टियों वाली हों, भक्तों की आस्था कम नहीं होती। एक दिन पहले से दंडवत करते लोग यहां पहुंचते हैं और रास्ते भर जय जगदीश हरे की टेर लगाते जाते हैं। सच उन्हें ऐसे में अपने तन की भी सुध नहीं रहती कि कहीं शरीर छिल रहा है, कहीं चोट लग रही है,कहीं वे कीचड़ में लथपथ हैं, बस एक ही ध्ुान रहती है जगदीश स्वामी के दर्शन की।

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