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भक्ति भाव से भगवान जिनेंद्र का कलशाभिषेक, जैन महापुरुषों की जीवनगाथा का वर्णन

locationभोपालPublished: Sep 18, 2018 01:32:56 am

Submitted by:

Bhalendra Malhotra

पर्यूषण पर्व की आराधना, शहर के जैन मंदिरों में श्रद्धा

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paryushan Festival

भोपाल. जैन समाज के दस दिवसीय पर्यूषण महापर्व में शहर के मन्दिरों में भक्ति की बयार बह रही है। रोजाना सुबह भगवान जिनेंद्र की जिन प्रतिमाओं का कलशाभिषेक, शांतिधारा के साथ पूजा अर्चना और विधान हो रहे हैं, दोपहर में तत्वार्थ सूत्र का वाचन, दृव्य संग्रह की कक्षा और शाम को प्रतिक्रमन, महाआरती के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम, नृत्य नाटिकाओं के जरिए जैन दर्शनके महापुरुषों और सतियों की गाथाओं को दर्शाते हुए आकर्षक प्रस्तुतियां हो रही है।
आत्मशुद्धि के महापर्व पर्यूषण पर्व के चौथे दिन सोमवार को उत्तम शौच धर्म की आराधना हुई। मन्दिरों में शौच धर्म की विशेष पूजा-अर्चना के साथ व्याख्यान हुए। साथ ही शहर के जैन मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना, विधान के आयोजन किए गए। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हुए।
मन की पवित्रता शौच धर्म से: मुनिश्री विद्यासागर
चौक जैन धर्मशाला में मुनिश्री विद्यासागर महाराज ने आशीष वचन में कहा कि जीवन मन की शुचिता, मन की पवित्रता, शौच धर्म से आती है, शौच धर्म पवित्रता का प्रतीक है, यह पवितत्रा शुचिता संतोष के माध्यम से आती है। व्यक्ति को जैसे-जैसे लाभ प्राप्त होता है वैसे-वैसे उसका लोभ और आकांक्षाएं बढ़ती जाती हैं, वहीं उसके पतन का कारण बनती हैं, लोभ एक दिन इच्छा में और इच्छा से तृष्णा में बदल जाता है।
इन्हीं अनगिनत कामनाओं को तितर-बितर करने के लिये शौच धर्म पवन बनकर आया है। मुनिश्री ने कहा कि जीवन में पवित्रता लाने के लिए संतोषरूपी जल की आवश्यकता है। शौच धर्म लोक व्यवहार की शुद्धि का ध्यान रखते हुए अंतरंग की शुद्धि पर जोर देता है।
शाहपुरा में श्रावक संस्कार शिविर

पर्यूषण पर्व के मौके पर शाहपुरा जैन मंदिर में श्रावक संस्कार शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इसमें तकरीबन 200 श्रावक श्राविकाएं भाग ले रहे हैं, जो भौतिक सुख सुविधाओं से दूर रहकर आत्मशुद्धि के लिए तप, जप, आराधना कर रहे हैं। मंदिर समिति के संतोष जैन ने बताया आचार्य निर्भय सागर महाराज के सान्निध्य में यह आयोजन किया जा रहा है। सोमवार को आचार्यश्री ने उत्तम शौच धर्म पर व्यख्यान दिए और इसके महत्व पर प्रकाश डाला।
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