तथ्यों के आधार पर विचार करने का अभ्यास समाजसेवी अंजलि नरोन्हा ने लोकतांत्रिक भारत की शिक्षा व्यवस्था में नेहरू के योगदान चर्चा करते हुए कहा कि विद्यार्थियों को तथ्यों के आधार पर विचार-विमर्श करने का अभ्यास करना चाहिए, क्योंकि नेहरू के जमाने में विचार-विमर्श की परम्परा इसी तरह विकसित होती रही है। उन्होंने छात्रों पर हुई हिंसा पर अफसोस प्रकट किया।
नेहरू ने समग्र लोकतंत्र की परिकल्पना की
शरतचन्द्र बेहार ने कहा कि नेहरू ने समग्र लोकतंत्र की परिकल्पना की थी। वह समाज में भी लोकतंत्र चाहते थे। वह आर्थिक लोकतंत्र भी लागू करना चाहते थे। बेहार ने सचेत किया कि स्टूडेंट्स को अफवाहों पर भरोसा न करते हुए इतिहास के तथ्यों पर गहराई से ध्यान देना चाहिए। धर्मपाल शोधपीठ द्वारा छात्रों के बीच में आयोजित इस परिसंवाद का संचालन पीठ के निदेशक ध्रुव शुक्ल ने किया। हरदेनिया ने कहा कि नेहरू ऐसे विश्व मान्य नेता बने कि जिन्होंने केवल भारत ही नहीं, अपने विचारों से पूरी दुनिया के राजनीतिक चिंतन पर भी प्रभाव डाला। संसार के बड़े दार्शनिक, वैज्ञानिक और राजनीतिक नेहरू की लोकतांत्रिक नीतियों और चिंतन का लोहा मानते थे।
शरतचन्द्र बेहार ने कहा कि नेहरू ने समग्र लोकतंत्र की परिकल्पना की थी। वह समाज में भी लोकतंत्र चाहते थे। वह आर्थिक लोकतंत्र भी लागू करना चाहते थे। बेहार ने सचेत किया कि स्टूडेंट्स को अफवाहों पर भरोसा न करते हुए इतिहास के तथ्यों पर गहराई से ध्यान देना चाहिए। धर्मपाल शोधपीठ द्वारा छात्रों के बीच में आयोजित इस परिसंवाद का संचालन पीठ के निदेशक ध्रुव शुक्ल ने किया। हरदेनिया ने कहा कि नेहरू ऐसे विश्व मान्य नेता बने कि जिन्होंने केवल भारत ही नहीं, अपने विचारों से पूरी दुनिया के राजनीतिक चिंतन पर भी प्रभाव डाला। संसार के बड़े दार्शनिक, वैज्ञानिक और राजनीतिक नेहरू की लोकतांत्रिक नीतियों और चिंतन का लोहा मानते थे।