scriptअब तो मिथक को ही इतिहास में बदलने की कोशिशें की जा रही हैं | Jawahar Lal Neharu | Patrika News

अब तो मिथक को ही इतिहास में बदलने की कोशिशें की जा रही हैं

locationभोपालPublished: Nov 20, 2019 01:36:06 am

स्वराज भवन में परिसंवाद लोकतंत्र और नेहरू

अब तो मिथक को ही इतिहास में बदलने की कोशिशें की जा रही हैं

अब तो मिथक को ही इतिहास में बदलने की कोशिशें की जा रही हैं

भोपाल. स्वराज भवन सभागार में मंगलवार को लोकतंत्र और नेहरू विषय पर परिसंवाद का आयोजन हुआ। धर्मपाल शोधपीठ द्वारा आयोजित परिसंवाद में मप्र के पूर्व मुख्य सचिव और समाजसेवी शरतचन्द्र बेहार, वरिष्ठ पत्रकार लज्जाशंकर हरदेनिया, माखनलाल पत्रकारिता विवि के कुलपति दीपक तिवारी, कवि राजेश जोशी और समाजसेवी अंजलि नरोन्हा ने विचार साझा किए।
कवि राजेश जोशी ने नेहरू को एक श्रेष्ठ राजनीतिक चिंतक की संज्ञा देते हुए कहा कि देश में राजनीतिक चिंतन के क्षेत्र में अभी बहुत गिरावट आई है। राजनीति में अहंकार बढ़ा है और विज्ञान को नकारने तथा मिथक को इतिहास में बदलने की कोशिश हो रही है।
परिसंवाद में माखनलाल विवि के कुलपति दीपक तिवारी ने नेहरू ने आजादी के बाद इतनी विविधता वाले देश को एक सूत्र में पिरोने के लिए धर्मनिरपेक्ष और लोकतान्त्रिक भारत की स्थापना में उल्लेखनीय योगदान को रेखांकित किया।
तथ्यों के आधार पर विचार करने का अभ्यास

समाजसेवी अंजलि नरोन्हा ने लोकतांत्रिक भारत की शिक्षा व्यवस्था में नेहरू के योगदान चर्चा करते हुए कहा कि विद्यार्थियों को तथ्यों के आधार पर विचार-विमर्श करने का अभ्यास करना चाहिए, क्योंकि नेहरू के जमाने में विचार-विमर्श की परम्परा इसी तरह विकसित होती रही है। उन्होंने छात्रों पर हुई हिंसा पर अफसोस प्रकट किया।
नेहरू ने समग्र लोकतंत्र की परिकल्पना की
शरतचन्द्र बेहार ने कहा कि नेहरू ने समग्र लोकतंत्र की परिकल्पना की थी। वह समाज में भी लोकतंत्र चाहते थे। वह आर्थिक लोकतंत्र भी लागू करना चाहते थे। बेहार ने सचेत किया कि स्टूडेंट्स को अफवाहों पर भरोसा न करते हुए इतिहास के तथ्यों पर गहराई से ध्यान देना चाहिए। धर्मपाल शोधपीठ द्वारा छात्रों के बीच में आयोजित इस परिसंवाद का संचालन पीठ के निदेशक ध्रुव शुक्ल ने किया। हरदेनिया ने कहा कि नेहरू ऐसे विश्व मान्य नेता बने कि जिन्होंने केवल भारत ही नहीं, अपने विचारों से पूरी दुनिया के राजनीतिक चिंतन पर भी प्रभाव डाला। संसार के बड़े दार्शनिक, वैज्ञानिक और राजनीतिक नेहरू की लोकतांत्रिक नीतियों और चिंतन का लोहा मानते थे।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो